बाहर से मरीज बुलाने के आरोप में रावतपुरा मेडिकल कॉलेज घिरा,फैकल्टी ने NMC को भेजी रिपोर्ट

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नवा रायपुर स्थित रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज को लेकर पहले भी कई गंभीर शिकायतें सामने आई हैं। सीबीआई छापे के बाद इन बातों की पुष्टि भी हो गई। दरअसल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों से मिलीभगत के चलते पिछले साल कॉलेज को मान्यता मिल गई थी। आरोप है कि कॉलेज में 90 फीसदी फैकल्टी दक्षिण भारत से हैं, जो एनएमसी के निरीक्षण के दौरान हेड काउंटिंग के समय दर्शन देते हैं।

250 सीटों को बढ़ाने के लिए आवेदन किया

बाकी समय कुछ ही फैकल्टी से कॉलेज का संचालन होता है। अस्पताल में भी मरीज बाहर से बुलाए जाते हैं। असल में ये बीमार होते भी नहीं हैं। सीबीआई ने 1 जुलाई को रावतपुरा कॉलेज में छापा मारकर एनएमसी के तीन एसेसर, कॉलेज के डायरेक्टर समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया था। दरअसल कॉलेज पिछले साल एमबीबीएस की 150 सीटों के साथ शुरू हुआ है। कॉलेज ने लंबी छलांग के चक्कर में 250 सीटों को बढ़ाने के लिए आवेदन कर दिया।

इसी के निरीक्षण में कॉलेज में उपलब्ध सुविधाओं व फैकल्टी की जांच करने के लिए एनएमसी की टीम पहुंची और सीबीआई ने छापा मार दिया। इसमें एनएमसी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के बीच आर्थिक लेनदेन की पुष्टि हुई। पिछले साल जुलाई में इस्तीफा दे चुके एक फैकल्टी ने कॉलेज पर उनका फर्जी बायोमीट्रिक अटेंडेंस लगाने की शिकायत एनएमसी से की थी। उन्होंने पुख्ता प्रमाण देते हुए नामजद शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामले की चर्चा न केवल प्रदेश में थी, बल्कि दूसरे राज्यों में इसकी खासी चर्चा रही।

महाराज के रसूख से मिली मान्यता, सीटें हो गईं पैक

सीबीआई की टीम रावतपुरा सरकार उर्फ पं. रविशंकर महाराज से पूछताछ करने मध्यप्रदेश जा चुकी है। हालांकि उन्हें अभी हिरासत में नहीं लिया गया है। पत्रिका की पड़ताल में महाराज की ऊंची पहुंच के चलते ही कॉलेज अस्तित्व में आया है। वास्तविकता में पिछले साल कॉलेज को मान्यता मिलने जैसी कोई बात नहीं थी। सीबीआई रेड के बाद कॉलेज में इस साल जीरो ईयर होने की आशंका बढ़ गई है। दरअसल एनएमसी ने ऐसे ही मामले में बेंगलूरु के एक निजी मेडिकल कॉलेज में जीरो ईयर कर दिया था।

एक और रसूखदार कॉलेज, रातों रात सीटें दोगुनी

प्रदेश में एक और रसूखदार निजी मेडिकल कॉलेज है, जहां पिछले साल एमबीबीएस की सीटें रातों-रात दोगुनी हो गई। यह भी नया कॉलेज है। कहने का मतलब ये है कि कॉलेज को कम सीटों के लिए मान्यता दी गई थी। महज दो से तीन दिनों के भीतर दोगुनी सीटों की मान्यता पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय व एनएमसी की टीम के अधिकारियों पर कई सवाल उठ रहे हैं।

कॉलेज नया शुरू हुआ है। सोचने में ये अजीब लगता है कि मर्जी से एमबीबीएस की सीटें बढ़वाई जा सकती हैं, लेकिन प्रदेश में ऐसा हुआ है। कॉलेज की काफी चर्चा भी हुई। बताया जाता है कि वहां भी सुविधा व फैकल्टी के नाम पर कुछ खास नहीं है।