कोचिंग संस्थानों पर SC-HC सख्त: छात्रों की सुरक्षा-मानसिक स्वास्थ्य पर 2 महीने में लागू होंगी नई गाइडलाइन, ये नियम अनिवार्य

0
9

जयपुर: सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि दो महीने के भीतर कोचिंग सेंटरों के लिए नियम लागू किए जाएं, जिनमें पंजीकरण, छात्रों के संरक्षण और शिकायत निवारण तंत्र को अनिवार्य किया जाए। इन नियमों को लागू कराने, निरीक्षण और शिकायतों की देखरेख के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय निगरानी समितियों के गठन का आदेश दिया।

विद्यार्थियों की आत्महत्या के मुद्दे पर सभी शिक्षण संस्थानों से आत्महत्या रोकने के लिए एक समान मानसिक स्वास्थ्य नीति अपनाने और लागू करने को कहा। इसके अलावा केंद्र सरकार को 90 दिनों के भीतर हलफनामा पेश करना होगा, जिसमें नियमों की पालना, राज्यों से समन्वय, निगरानी तंत्र और छात्र मानसिक स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स की रिपोर्ट के लिए समय सीमा की जानकारी देनी होगी।

सख्ती से पालन कराएं

इधर, राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि कानून बनने तक केंद्र सरकार की गाइडलाइन और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधानों को सख्ती से लागू कराएं। कोचिंग संस्थानों से भी छात्रों को आत्महत्या से बचाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने को कहा है। न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायाधीश चन्द्रप्रकाश श्रीमाली की खंडपीठ ने स्वप्रेरणा से दर्ज जनहित याचिका पर शुक्रवार को यह आदेश दिया। अब तीन सप्ताह बाद सुनवाई होगी।

वेबसाइट और नोटिस बोर्ड पर सार्वजनिक करें

सभी शैक्षणिक संस्थान आत्महत्या रोकने के लिए एक समान मानसिक स्वास्थ्य नीति अपनाएं, जिसे हर साल अपडेट किया जाएगा। इसे संस्थान की वेबसाइट और नोटिस बोर्ड पर सार्वजनिक करना होगा।

100 या अधिक छात्रों वाले सभी शैक्षणिक संस्थानों को कम से कम एक योग्य काउंसलर, मनोवैज्ञानिक या सामाजिक कार्यकर्ता को नियुक्त करना होगा। कम छात्रों वाले संस्थान भी काउंसलर की व्यवस्था करें।

इन दिशा-निर्देशों का पालन करना जरूरी

-छात्रों के अनुपात में काउंसलर की व्यवस्था करें।
-छात्रों की परफॉर्मेंस, सार्वजनिक शर्मिंदगी से बचें।
-मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या रोकने के लिए हेल्पलाइन की व्यवस्था करें।
-सभी शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को काउंसलरों से वर्ष में कम से कम दो बार प्रशिक्षण दिलाएं।
-यौन उत्पीड़न, रैगिंग और धमकाने सहित अन्य घटनाओं की रिपोर्टिंग के लिए मैकेनिज्म स्थापित करें।
-समय रहते कार्रवाई नहीं करने पर संस्था को दोषी माना जाएगा।
-संस्थान छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अभिभावकों के लिए भी सेमीनार आदि का आयोजन करें, जिससे वे बच्चों पर दवाब नहीं बनाएं।

यह भी हैं जरूरी निर्देश

-जागरुकता गतिविधियों का रिकॉर्ड रखें और शिक्षा विभाग, यूजीसी व एआइसीटीई, सीबीएसई का नियामक प्राधिकरण को वार्षिक रिपोर्ट पेश करें।
-खेल सहित अन्य गैर शैक्षणिक गतिविधियां बढ़ाएं। परीक्षा पैटर्न की नियमित समीक्षा की जाए।
-कोचिंग सेंटरों और प्रशिक्षण संस्थानों सहित सभी शैक्षणिक संस्थान कॅरियर काउंसलर की व्यवस्था करें।
-आवासीय शैक्षणिक संस्थान परिसर उत्पीड़न, बदमाशी, ड्रग्स आदि से मुक्त हों।
-सभी आवासीय संस्थान छतों, बालकनी और अन्य स्थानों पर सुरक्षा का मैकेनिज्म बनाएं।
-राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा, कानून बनने तक केंद्र की गाइडलाइन लागू हों।