भारत और सिंगापुर के बीच पैसा हस्तांतरण के लिए जल्द ही यूपीआई UPI और पेनाऊ PayNow सेवाएं शुरू हो जाएंगी।दोनों देशों के लोगों के बीच तत्काल पैसा हस्तांतरण की लिंक जोड़ने की तकनीकी तैयारी पूरी हो गई है।सिंगापुर में भारतीय उच्चायुक्त पी. कुमारन ने बताया कि इससे बहुत कम खर्च में दोनों देशों के बीच पैसा हस्तांतरण हो सकेगा।इससे कामकाजी प्रवासियों को बहुत सहूलियत होगी।उन्होंने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक और सिंगापुर की केंद्रीय बैंक मॉनेटरी अथॉरिटी ऑफ सिंगापुर दोनों देशों की त्वरित मनी ट्रांसफर लिंक को जोड़ने में जुटे हैं और यह जल्द शुरू हो सकती है।
उन्होंने बताया कि सिंगापुर अपने PayNow को भारत के UPI से जोड़ना चाहता है।यह प्रोजेक्ट अगले कुछ महीनों में पूरा हो जाएगा।इसके बाद सिंगापुर में बैठा कोई भी व्यक्ति भारत में अपने परिवार के सदस्यों को पैसे भेज सकेगा।लिंक जुड़ने का काम औपचारिक रूप से पूरा होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस परियोजना की घोषणा करेंगे।इससे प्रवासियों को भारत में पैसा भेजना आसान होगा और उन्हें इसका बहुत कम शुल्क देना होगा।सिंगापुर का PayNow भारत के घरेलू कार्ड भुगतान नेटवर्क RuPay की तरह है।
सिंगापुर में भारत के राजदूत कुमारन का यह बयान आसियान व संबद्ध देशों की शिखर बैठक के पहले आया है।कंबोडिया की राजधानी नोम पेन्ह में शुरू होने वाली इस बैठक में 10 क्षेत्रीय सदस्य देशों के नेता शामिल होने वाले हैं। कुमारन ने बताया कि वर्तमान में भारत पैसा भेजने के लिए मनी ट्रांसफर कंपनियों का सहारा लेना पड़ता है, इसका शुल्क ज्यादा है।
प्रवासी कामगार इसके माध्यम से एकमुश्त बड़ी रकम भेजने की बजाए छोटी छोटी राशि भारत भेज सकेंगे और उसका शुल्क भी कम लगेगा। PayNow आसियान व उससे संबद्ध देशों से भी जुड़ा है, इसलिए लोगों के लिए इसके माध्यम से पूरे आसियान इलाके में खरीदी-बिक्री आसान हो जाएगी।इस तरह भारत व आसियान भी पेमेंट नेटवर्क से जुड़ जाएंगे।अभी फिलीपींस इससे जुड़ा है और मलयेशिया व थाईलैंड पेमेंट सिस्टम भी इससे जुड़े हैं।आसियान में 10 देश ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड व वियतनाम शामिल हैं।
10 फीसदी शुल्क लेती हैं कंपनियां
सिंगापुर में अनुमानित रूप से करीब 2 लाख भारतीय पेशेवर काम करते हैं। वे अक्सर अपने घरों को पैसा भेजते रहते हैं। UPI-PayNow लिंक से उन्हें बहुत फायदा व बचत होगी, क्योंकि निजी कंपनियां पैसा भेजने के लिए उनसे 10 फीसदी तक शुल्क लेती हैं।