भोपाल : प्रदेश में विधानसभा चुनाव का वक्त नजदीक आता जा रहा है। नवंबर में भाजपा, कांग्रेस सहित अन्य राजनीति दलों की अग्नि परीक्षा होगी। मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच होगा। पिछले विधानसभा चुनाव और जुलाई में हुए नगरीय निकाय चुनाव को देखते हुए भाजपा ग्वालियर-चंबल अंचल को लेकर बेहद सतर्क है। यही वजह है कि संत रविदास जयंती से शुरू हुई भाजपा की विकास यात्राओं का शुभारंभ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्वालियर-चंबल अंचल से किया है। विकास यात्रा को भाजपा के चुनावी अभियान की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। सरकार 25 फरवरी तक हर विधानसभा क्षेत्र में गांव-गांव व शहर-शहर जाकर अपनी योजनाओं का प्रचार-प्रसार करके मतदाताओं को साधने का काम करेगी। विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों को स्वीकृति पत्र और सरकारी योजनाओं से वंचित लोगों के नाम जोड़कर उनसे संवाद स्थापित करेगी।

ग्वालियर-चंबल वह इलाका है, जहां पिछले चुनाव में भाजपा को सबसे कम सीटें मिली थीं और वह सत्ता से बाहर हो गई थी। भाजपा ने जनता से जुडऩे के लिए 21 दिन का प्लान तैयार किया है। यात्रा भले ही सरकारी हो पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने इसकी कमान अपने हाथ में ले रखी है। इन 21 दिनों में पार्टी का लक्ष्य 83 लाख से अधिक हितग्राहियों के नाम सरकारी योजनाओं में जोडऩा है। ग्वालियर-चंबल वह इलाका है, जहां भाजपा को कभी एकतरफा जीत हासिल नहीं हो पाई। यहां कांग्रेस हमेशा से मुकाबले में रही है, तो बहुजन समाज पार्टी भी राजनीतिक दलों के गणित गड़बड़ाती रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस अंचल में महज सात सीटें ही मिल पाई थीं और 26 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। एक सीट बसपा के खाते में गई थी। हालांकि तब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस का बड़ा चेहरा हुआ करते थे। इस बार भाजपा की चिंता इस इलाके में ज्यादा है। सालों तक कांग्रेस का झंडा उठाने वाले सिंधिया समर्थक अब भाजपा में हंै। सिंधिया का इस इलाके में प्रभाव जगजाहिर है। कांग्रेस में वे जब थे, तब 34 में से करीब 30 सीटों पर उनकी पसंद के प्रत्याशी ही मैदान में उतरते थे। कैडरबेस भाजपा में अगले चुनाव में उनके कितने समर्थकों को टिकट मिलेगा, यह तो भविष्य बताएगा पर फिलहाल भाजपा के लिए यहां सबसे बड़ी चुनौती सिंधिया समर्थक और भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं के बीच चुनाव के दौर में बेहतर समन्वय बनाना है।
रविदास जयंती पर ग्वालियर-चंबल से ही विकास यात्राओं की शुरूआत करने की एक और वजह अनुसूचित जाति के मतदाताओं के बीच अपनी पैठ बढ़ाना है। इस अंचल में इस वर्ग का मतदाता खासी संख्या में है। यह मतदाता पहले कांग्रेस और फिर बीएसपी का माना जाता था। यही वजह है कि यहां से बसपा खासे वोट लेती रही है। उसे विधानसभा से सीटें भी इसी अंचल से मिलती रही हैं। पिछले कुछ सालों से बसपा यहां कमजोर हो रही है। भाजपा को चिंता है कि इस वर्ग का मतदाता कांग्रेस की ओर न मुड़े। इसलिए इस अंचल पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इस अंचल में अजा वर्ग के लिए सात सीटें आरक्षित है। 2018 के विधानसभा चुनाव में इनमें महज एक सीट ही भाजपा को मिली थी। भाजपा का प्रयास है कि अगले चुनाव में यहां से दो दर्जन से अधिक सीटे जीतकर अपना आधार और मजबूत करे। इसके लिए नेताओं को भी सक्रिय किया जा रहा है।
कांग्रेस भी पीछे नहीं है
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष आगामी चुनाव में ग्वालियर-चंबल अंचल का महत्व समझते हैं। यही वजह है कि संत रविदास जयंती पर पहले वे मुरैना पहुंचे। वहां सभा करने के बाद वे ग्वालियर पहुंच गए और वहां एक विशाल सभा को संबोधित किया। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह सहित अंचल के सभी कांग्रेस नेताा कार्यक्रम में मौजूद रहे। कार्यक्रम के जरिए कांग्रेस ने प्रदेश भर के अजा वर्ग के मतदाताओं को साधने की कोशिश की है।