वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे राजनीतिज्ञों को एक्शन-रिएक्शन2024 प्लान के जरिए किया दरकिनार
जालंधर । विधानसभा चुनाव में बहुमत में आई भाजपा ने एक्शन-रिएक्शन 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर राजस्थान, छत्तीसगढ़ तथा मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री चयन सूत्र का प्रयोग किया। यह फार्मूला तीन राज्यों पर प्रयोग किये गये, जहां पार्टी ने विजय हासिल कर वर्षों तक मुख्यमंत्री जैसे अहम पदों पर बने राजनीतिज्ञों को अपने प्लान के जरिए दरकिनार किया।
अब सवाल यह है कि अगर ऐसे लोगों को पार्टी ने तवज्जो देने को जरूरी नहीं समझा, तो फिर पंजाब के नेताओं का क्या होगा, यह तो सोच कर भी शायद कई नेताओं की कंपकंपी छूट जाएगी। पंजाब में भाजपा के 2 विधायकों के अलावा बाकी सबकी पराजय हुई है। जब मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के दावेदार और जीत हासिल करने वालों को पार्टी ने अहमियत नहीं दी, तो फिर इन पंजाब के हारे हुए नेताओं की क्या बिसात। जो स्थिति उक्त राज्यों में पुराने नेताओं के साथ हुई है, वही हालत आने वाले दौर में पंजाब में भी अगर पुराने नेताओं के साथ होती है तो उसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा।
साल 2022 के विधानसभा चुनावों में पंजाब में भाजपा 117 में से 73 सीट पर मैदान में उतरी थी और पार्टी सिर्फ पठानकोट से अश्विनी शर्मा तथा मुकेरियां से जंगी लाल महाजन के विजय के साथ 2 सीटें अर्जित की थी। इसके अलावा पार्टी के सभी एकत्र उम्मीदवार आम आदमी पार्टी के सामने धराशायी हो गए। इसमें पहले नम्बर पर आम आदमी पार्टी, दूसरे पर कांग्रेस, तीसरे पर अकाली दल और चौथे पर भाजपा की स्थिति थी। पार्टी ने राज्य में 6.60 फीसदी वोट हासिल किया, जबकि पार्टी के पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने 18.38 प्रतिशत वोट हासिल किए।
पंजाब में पार्टी ने समय-समय पर स्थानीय नेताओं के कहने पर कई प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिल रही है, जिससे यह बात तो साफ है कि या तो प्रयास दिल लगाकर नहीं हो रहे या जो कोशिश की जा रही है, उसमें दम नहीं है। साल 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी ने कांग्रेस तथा अन्य दलों के करीब एक दर्जन बड़े नेताओं को इंपोर्ट कराया था, लेकिन हैरानी की बात है कि यह प्रयास भी विफल रहा। अब सवाल है कि साल 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी पंजाब में कौन सा ऐसा प्रयोग करेगी जिससे उसे कुछ सफलता हासिल हो पाए।
साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए जो नेता प्रयास कर रहे हैं, उनके लिए मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान का उदाहरण काफी कुछ साफ कर देने वाला है। अगर तो वही पुराने नेता फिर से पार्टी की टिकट पर लड़कर मंत्री या मुख्यमंत्री बनने के सपने देख रहे हैं तो उन्हें अपने घरों में विष्णु देव साई, मोहन यादव तथा भजन लाल शर्मा के फोटो लगा लेने चाहिए क्योंकि ये तस्वीरें उन्हें इस बात का आभास करवाती रहेंगी कि पुराने दिन लद गए, अब जो सक्षम होगा, वही पार्टी की पसंद होगा।