Tuesday, December 24, 2024
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FSSAI Direction For Fruit Sellers: फलों को पकाने में यूज होने वाला कैल्शियम कार्बाइड सेहत के लिए है खतरनाक, FSSAI ने दी चेतावनी

FSSAI Direction For Fruit Sellers: ‘फूड सेफटी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया’ यानी ‘एफएसएसएआई’ ने फलों को पकाने के चैंबर्स का संचालन करने वाले फलों के व्यापारियों और फूड बिजनेस ऑपरेटर्स (FBO) को खास तौर से आम के मौसम में फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड पर रोक का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए सतर्क किया है. FSSAI ने खाद्य सुरक्षा विभागों को राज्यों, संघ शासित प्रदेशों को सतर्क रहने और खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 और उसके तहत बनाए गए नियमों और विनियमों के प्रावधानों के अनुसार इस तरह के गैरकानूनी कामों में शामिल लोंगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की सलाह दी है.

सेहत के लिए खतरनाक है कैल्शियम कार्बाइड

आम जैसे फलों को पकाने के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला कैल्शियम कार्बाइड, एसिटिलीन गैस छोड़ता है जिसमें आर्सेनिक और फॉस्फोरस के हानिकारक अंश होते हैं. ये पदार्थ, जिन्हें ‘मसाला’ के नाम से भी जाना जाता है, गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं जैसे चक्कर आना, बार-बार प्यास लगना, जलन, कमजोरी, निगलने में कठिनाई, उल्टी और त्वचा का अल्सर वगैरह इसके अतिरिक्त, एसिटिलीन गैस इसको डील वालों के लिए भी उतना ही खतरनाक है. इस बात की संभावना है कि कैल्शियम कार्बाइड फलों के साथ सीधे संपर्क में आ सकता है और फलों पर आर्सेनिक और फॉस्फोरस के अवशेष छोड़ सकता है सख्त मनाही है

इन खतरों के कारण, फलों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल को खाद्य सुरक्षा और मानक (बिक्री पर रोक और प्रतिबंध) विनियम, 2011 के विनियम 2.3.5 के तहत बैन कर दिया गया है. यह रेगुलेश साफ तौर से कहता है, “कोई भी व्यक्ति फलों को बेचने या बेचने की पेशकश या एक्पोज नहीं करेगा या अपने परिसर में बिक्री के मकसद से किसी भी विवरण के तहत नहीं रखेगा, जो एसिटिलीन गैस, जिसे आमतौर पर कार्बाइड गैस के रूप में जाना जाता है, के उपयोग से कृत्रिम रूप से पकाए गए हैं.”

एथिलीन गैस की इजाजत

फलों के पकने के लिए बैन किए गए कैल्शियम कार्बाइड के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के मसले को देखते हुए, FSSAI ने भारत में फलों के पकने के लिए एक सुरक्षित विकल्प के रूप में एथिलीन गैस के इस्तेमाल की इजाजत दी है. फसल, किस्म और मैचुरिटी के आधार पर एथिलीन गैस का उपयोग 100 पीपीएम (100 μl/L) तक के कंसंट्रेशन में किया जा सकता है. एथिलीन, फलों में एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला हार्मोन, रासायनिक और जैव रासायनिक गतिविधियों की एक सीरीज शुरू करके और नियंत्रित करके पकने की प्रक्रिया को कंट्रोल करता है. कच्चे फलों का एथिलीन गैस के साथ ट्रीटमेंट नेचुरल तरीके से पकने की प्रक्रिया को तब तक ट्रिगर करता है जब तक कि फल खुद ही पर्याप्त मात्रा में एथिलीन का उत्पादन शुरू नहीं कर देता. इसके अलावा, केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति (CIB & RC) ने आमों और अन्य फलों के समान पकने के लिए इथेफोन 39% SL को मंजूरी दी है.

FSSAI की गाइडलाइन

FSSAI ने एक व्यापक मार्गदर्शन दस्तावेज प्रकाशित किया है. यह डॉक्यूमेंट खाद्य व्यापार संचालकों को एथिलीन गैस द्वारा फलों के कृत्रिम पकने की प्रक्रिया का पालन करने का सुझाव देता है. दस्तावेज में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) शामिल है, जिसमें एथिलीन गैस द्वारा फलों के कृत्रिम पकने के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है, जैसे प्रतिबंध, एथिलीन पकाने की प्रणाली/चैंबर्स की जरूरत, हैंडलिंग की स्थिति, एथिलीन गैस के सोर्स, विभिन्न स्रोतों से एथिलीन गैस के एप्लिकेशन के लिए प्रोटोकॉल, पोस्ट ट्रीटमेंट ऑपरेशन, सुरक्षा दिशानिर्देश आदि.

‘कड़ी कार्रवाई होगी’

अगर कंज्यूमर्ज द्वारा कैल्शियम कार्बाइड के किसी भी उपयोग या फलों के कृत्रिम पकने के लिए आर्टिफीशियल राइपनिंग एजेंट्स के इस्तेमाल के किसी भी गलत प्रैक्टिस को देखा जाता है, तो उसी को संबंधित राज्य खाद्य सुरक्षा आयुक्तों के के संज्ञान में लाया जा सकता है ताकि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके.

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