NPS vs OPS: देशभर में पुरानी पेंशन (OPS) को लेकर मांग की जा रही है. नए पेंशन सिस्टम की तुलना में ओल्ड पेंशन की मांग कई राज्यों में की जा रही है. वहीं, कई राज्यों ने नई पेंशन स्कीम को रद्द करके पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लागू कर दिया है. इस बीच खबर है कि सरकार OPS को लागू नहीं करेगी. बल्कि NPS में बदलाव किया जाएगा और पुरानी पेंशन की ही तरह लाभ दिया जाएगा. इस संशोधन के बाद यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद उनके आखिरी दिनों में मिलने वाले वेतन का 40 से 45 प्रतिशत पेंशन के रूप में दिया जा सके. इस बारे में एक उच्च स्तरीय पैनल की तरफ से सिफारिश की गई है. पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों को अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में देने का प्रावधान है. राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ और झारखंड में पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर दिया गया है.
OPS में वापसी नहीं करने का फैसला
टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) में प्रकाशित खबर के अनुसार केंद्र सरकार की तरफ से ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) में वापसी नहीं करने का फैसला किया गया है. लेकिन सरकार ने उस समय एक निश्चित लेवल की हेल्प के लिए विंडो ओपन रखी जब कांग्रेस मनमोहन सिंह सरकार के फैसले को बदलने का ऐलान कर रही थी. ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के तहत रिटायरमेंट के बाद हर महीने मिलने वाले आखिरी वेतन का आधा हिस्सा पेंशन के रूप में मिलता है. इस पेंशन में समय-समय पर वेतन आयोग की सिफारिश के आधार पर बढ़ोतरी भी होती है. लेकिल न्यू पेंशन स्कीम (NPS) में सरकारी कर्मचारी बेसिक सैलरी का 10% जमा करते हैं और सरकार उसमें 14% का योगदान देती है.
सरकार देगी कर्मचारियों को 50% गारंटी का भरोसा!
रिटायरमेंट के बाद जमा की गई राशि के आधार पर ही कर्मचारियों को पेंशन मिलती है. सोमनाथन कमेटी (Somanathan Committee) ने दुनियाभर के देशों की पेंशन स्कीम और आंध्र प्रदेश सरकार की तरफ से किए गए बदलावों का अध्ययन किया है. साथ ही, यह कमेटी इस बात की भी स्टडी कर रही है कि अगर सरकार पेंशन पर एक निश्चित राशि की गारंटी देती है तो क्या असर होगा. स्टडी से यह साफ हुआ कि केंद्र सरकार के लिए 40-45% पेंशन की गारंटी देना मुमकिन है. लेकिन इससे 25-30 साल तक काम करने वाले कर्मचारियों की चिंता दूर नहीं होगी. इसीलिए, सरकार अब 50% गारंटी देने का विचार कर रही है.
नई व्यवस्था में सरकार एक फंड बनाएगी!
इसका सीधा सा मतलब यह हुआ कि यदि पेंशन के लिए पैसा कम पड़ता है तो सरकार की तरफ से उसे पूरा किया जाएगा, साथ ही हर साल अनुमान लगाना जरूरी होगा. कुछ कमेटी मेंबर का कहना है कि सरकारी पेंशन योजना में केंद्र सरकार के पास रिटायरमेंट फंड नहीं होता. नई व्यवस्था में शायद सरकार एक फंड बनाएगी. इस फंड में हर साल पैसा जमा किया जाएगा, ठीक उसी तरह जैसे कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट बेनिफिट्स के लिए फंड बनाती हैं.
कर्मचारियों को OPS की तरह मिल रहा फायदा
टीओआई के अनुसार अधिकारियों का कहना है कि जो लोग 25-30 साल तक सरकारी नौकरी करते हैं उन्हें ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के तहत मिलने वाली पेंशन के बराबर ही अच्छा रिटर्न मिल रहा है. असल में अभी तक कम पेंशन मिलने की शिकायत सिर्फ ऐसे लोगों की आ रही हैं जिन्होंने 20 साल या इससे कम समय काम करने के बाद इस योजना को छोड़ दिया है.
एनपीएस को 2004 में लॉन्च किया गया
आपको बता दें मौजूदा समय में लागू मार्केट लिंक्ड पेंशन प्लान को साल 2004 में लॉन्च किया गया था. इसमें कर्मचारियों को मूल वेतन का 10% और सरकार को 14% योगदान देने की जरूरत होती है. जबकि पुरानी पेंशन में कर्मचारी का किसी तरह का योगदान नहीं होता. सूत्रों का दावा है कि अब सरकार कैलकुलेशन में कुछ बदलाव करके रिटायर होने वाले कर्मचारियों को हायर रिटर्न दे सकती है. इसके बाद कर्मचारी और नियोक्ता के कॉन्ट्रीब्यूशन में भी बदलाव संभव है.
एनपीएस के तहत कर्मचारी टोटल कार्पस की 60 प्रतिशत रकम को रिटायरमेंट के समय निकाल सकता है, जो कि टैक्स फ्री होता है. एनपीएस में बदलाव की खबरों के बाद यह उम्मीद है कि सरकार किसी भी कीमत पर पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने के पक्ष में नहीं है. पिछले दिनों वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने रॉयटर्स से बातचीत में ओपीएस को लागू करने से मना किया था.