म्युचुअल फंड में जब भी निवेश की चर्चा होती है, तो ज्यादातर लोग SIP के बारे में जानते हैं। लेकिन कई निवेशकों को यह जानकारी नहीं होती कि SIP की तर्ज पर किसी एक फंड से धनराशि दूसरे फंड में ट्रांसफर भी की जा सकती है। एक फंड से दूसरे फंड में जमा धनराशि के ट्रांसफर के इसी व्यवस्थित तरीके को सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान यानी एसटीपी कहते हैं।एक ऐसी निवेश स्ट्रैटजी है, जिसमें निवेशक अपने पैसे को एक म्युचुअल फंड से दूसरे में तय अंतराल पर ट्रांसफर कर सकते हैं। यह प्रक्रिया बिना किसी परेशानी के होती है और निवेशकों को बेहतर रिटर्न देने वाले फंड में शिफ्ट होने का मौका मिलता है। STP निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाने में मदद करता है और संभावित नुकसान को कम करता है। वे बाजार की स्थिति के अनुसार अपने निवेश को इक्विटी से डेट फंड या इसके विपरीत शिफ्ट कर सकते हैं। हालांकि, STP का इस्तेमाल केवल एक ही एसेट मैनेजमेंट कंपनी द्वारा मैनेज किए जा रहे फंड्स के बीच किया जा सकता है। अलग-अलग कंपनियों के म्युचुअल फंड स्कीम्स के बीच फंड ट्रांसफर की सुविधा इसमें नहीं होती।
सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) में निवेशकों को मिलते हैं तीन ऑप्शन
फ्लेक्सिबल STP- इसमें निवेशक अपनी मौजूदा जरूरतों के हिसाब से ट्रांसफर की जाने वाली राशि तय कर सकते हैं। वे बाजार की स्थिति और म्युचुअल फंड स्कीम्स के प्रदर्शन को देखकर ज्यादा या कम रकम ट्रांसफर करने का फैसला ले सकते हैं।
फिक्स्ड STP- इसमें निवेशक पहले से तय करता है कि एक म्युचुअल फंड से दूसरे में कितनी रकम ट्रांसफर होगी। यह रकम हर बार एक जैसी रहती है।
कैपिटल सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान- इसमें फंड से हुए मुनाफे को दूसरी बेहतर ग्रोथ वाली योजना में ट्रांसफर किया जाता है।
सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) के फायदे
सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) का सबसे बड़ा फायदा यह है कि फंड ट्रांसफर जल्दी और आसानी से होता है। निवेशकों को चुने गए फंड्स के बीच पैसा अपने आप ट्रांसफर होने की सुविधा मिलती है, जिससे उनका उपयोग बिना किसी परेशानी के हो सकता है। इसके अलावा भी इसके कई फायदे है…
ज्यादा रिटर्न
यह निवेशकों को बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान अधिक फायदेमंद स्कीम्स में निवेश ट्रांसफर करने की सुविधा देता है। इस तरह बाजार का लाभ उठाकर खरीदी और बेची गई सिक्योरिटीज से अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।
स्थिरता
जब शेयर बाजार में ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है, तो निवेशक STP के जरिए अपने फंड को अधिक स्थिर निवेश योजनाओं, जैसे डेट फंड और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में शिफ्ट कर सकते हैं।
डिसिप्लिन अप्रोच
यह निवेशकों को दो म्यूचुअल फंड योजनाओं के बीच फंड को नियमित और योजनाबद्ध तरीके से ट्रांसफर करने में मदद करता है।
रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग
यह तरीका म्यूचुअल फंड में STP के जरिए निवेश करते समय अपनाया जाता है। इससे निवेशक अपने निवेश की औसत लागत को कम कर सकते हैं। रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग का मतलब है कि जब फंड की कीमत कम हो, तब उसमें निवेश करना और जब कीमत बढ़े, तब उसे बेचना। इससे निवेशकों को ज्यादा मुनाफा कमाने का मौका मिलता है।
टैक्सेबिलिटी
सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) के तहत किया गया प्रत्येक ट्रांसफर कर कटौती के दायरे में आता है, बशर्ते इससे पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन) हो। यदि कोई निवेशक 3 साल से पहले म्युचुअल फंड से पैसा निकालता है, तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के तहत 20% कर देना होगा। वहीं, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर भी टैक्स लगेगा, लेकिन यह निवेशक की वार्षिक आय पर निर्भर करता है।
स्विचिंग कॉस्ट पर ध्यान दें, वरना होगा नुकसान
म्युचुअल फंड निवेशकों के लिए स्विचिंग कॉस्ट पर ध्यान देना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह उनके निवेश रिटर्न पर बड़ा असर डाल सकता है। अक्सर निवेशक इस अहम पहलू को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे उनका अनावश्यक खर्च बढ़ सकता है। स्विचिंग का मतलब है निवेश को एक फंड से दूसरे फंड में ट्रांसफर करना, जिसमें एग्जिट लोड और कैपिटल गेन टैक्स जैसे खर्च शामिल होते हैं।