व्यापार : घरेलू टायर उद्योग में मुनाफा होने की संभावना है। क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार घरेलू टायर उद्योग को चालू वित्त वर्ष में 7 से 8 प्रतिशत की राजस्व वृद्धि देखने को मिलेगी। यह वृद्धि रिप्लेसमेंट डिमांड के कारण होगी, जो वार्षिक बिक्री का आधा हिस्सा है। इसमें कहा गया इस खंड में वृद्धि की उम्मीद है। हालांकि मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) की ओर से खरीद धीमी रहने की संभावना है। ओईएम वे कंपनियाँ हैं, जो उत्पाद बनाती हैं और जिन्हें किसी अन्य कंपनी द्वारा खरीदा जाता है। इसके बाद फिर उस कंपनी के ब्रांड नाम के तहत बेचा जाता है।
प्रीमियम उत्पादों की मांग बढ़ने की संभावना
रिपोर्ट के अनुसार प्रीमियम उत्पादों की बढ़ती मांग से कंपनियों की कमाई (रियलाइजेशन) को थोड़ी बढ़त मिलने की उम्मीद है। हालांकि, इसमें कहा गया है कि बढ़ते व्यापारिक तनाव और अमेरिकी टैरिफ के कारण चीनी उत्पादकों द्वारा स्टॉक को अन्य बाजारों में डंप किए जाने का जोखिम चुनौती खड़ी कर सकता है।
ऑपरेटिंग प्रॉफिटेबिलिटी 13 से 13.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थिर इनपुट लागत और बेहतर क्षमता उपयोग के चलते ऑपरेटिंग प्रॉफिटेबिलिटी 13 से 13.5 प्रतिशत के स्तर पर स्थिर रहने की संभावना है। मजबूत नकदी प्रवाह, संतुलित बैलेंस शीट और संयमित पूंजी खर्च के चलते इस क्षेत्र के स्थिर क्रेडिट स्थिति बनी रहने की संभावना है।
टॉप छह टायर निर्माताओं का किया गया विश्लेषण
रिपोर्ट के अनुसार भारत के शीर्ष छह टायर निर्माताओं, जो सभी वाहन खंड़ों की जरूरतें पूरी करते हैं। इस क्षेत्र के एक लाख करोड़ रुपये के राजस्व में 85 प्रतिशत का योगदान करते हैं के विश्लेषण से यह संकेत मिला है। इसमें कहा गया कि घरेलू मांग मुख्य आधार बनी हुई है, जो कुल मात्रा का 75 प्रतिशत है और शेष निर्यात से प्राप्त होता है।
निर्यात में चुनौतियां
हालांकि, निर्यात की गति जोखिम के साथ आती है। अमेरिका, जिसने पिछले वित्त वर्ष में भारत के टायर निर्यात में 17% और कुल उद्योग उत्पादन में 4 से 5% की हिस्सेदारी की। उसने कई भारतीय वस्तुओं पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए हैं, इससे भारतीय उत्पादों की मूल्य प्रतिस्पर्धा प्रभावित हो सकती है।
अमेरिकी टैरिफ बनी परेशानी
इसके साथ ही, अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ के कारण चीन की अमेरिकी बाजार तक पहुंच सीमित हो गई है। इससे अतिरिक्त आपूर्ति के भारत जैसे मूल्य-संवेदनशील बाजारों की ओर मुड़ जाने का खतरा बढ़ गया है। सस्ते आयात पर अंकुश लगाने के लिए भारत चीन से आयातित बड़े ट्रक और बस रेडियल टायरों पर 17.57% तक की एंटी-डंपिंग और प्रतिकारी शुल्क लगाता है।
हालांकि, रिपोर्ट में चेताया गया है कि अगर समय रहते सुरक्षा उपाय नहीं किए गए तो अन्य क्षेत्रों में भी सस्ते टायरों की व्यापक आमद से घरेलू कमाई (रियलाइजेशन) पर दबाव पड़ सकता है।