Dark Web: साइबर यूनिट ने डार्क वेब पर भारतीयों की निजी जानकारी बेचने के आरोप में 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के डेटा बैंक से डेटा लीक किया गया था और इसे डार्क वेब पर बिक्री के लिए डाल दिया गया था। पुलिस ने करीब 10 दिन पहले इन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। डार्क वेब एक ऐसी जगह है, जहां इंटरनेट यूजर्स का डेटा अलग-अलग दाम में बेचा जाता है। टेलीकॉम ऑपरेटर BSNL (भारत संचार निगम लिमिटेड) को डेटा ब्रीच का सामना करना पड़ा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, लाखों बीएसएनएल इंटरनेट और लैंडलाइन यूजर्स का चुराया गया डेटा डार्क वेब पर बिक रहा है।
लाखों यूजर्स का डेटा चुराया गया
टेलीकॉम ऑपरेटर BSNL (भारत संचार निगम लिमिटेड) को डेटा ब्रीच का सामना करना पड़ा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, लाखों बीएसएनएल इंटरनेट और लैंडलाइन यूजर्स का चुराया गया डेटा हैकर्स द्वारा डार्क वेब पर बेचा जा रहा है। ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, डार्क वेब पर “Perell” नाम के हैकर से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसने एक टेलीकॉम कंपनी के यूजर्स, विशेष रूप से भारत में बीएसएनएल का फाइबर और लैंडलाइन कनेक्शन यूज करने वालों ग्राहकों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने का दावा किया है।
ईमेल एड्रेस सेलेकर नंबर तक सब लीक
“पेरेल” नाम से काम करने वाले इस हैकर ने चुराए गए डेटा के एक हिस्से को डार्क वेब पर उजागर किया है। डेटासेट में ईमेल एड्रेस, बिलिंग डिटेल, कॉन्टैक्ट नंबर और बीएसएनएल के फाइबर और लैंडलाइन यूजर्स से जुड़े अन्य पर्सनल डेटा जैसी संवेदनशील जानकारी शामिल हैं। इसके अलावा, ऐसा कहा जा रहा है कि अधिक महत्वपूर्ण जानकारी जैसे कि मोबाइल सर्विस आउटेज रिकॉर्ड, नेटवर्क डिटेल, कम्प्लीटेड ऑर्डर और ग्राहक जानकारी से समझौता किया गया है।
हैकर के पास 29 लाख लाइन्स की डिटेल
मामले से परिचित एक सूत्र ने इस ब्रीच की गंभीरता पर प्रकाश डाला, और जोर देकर कहा कि यह ब्रीच बीएसएनएल ग्राहकों की गोपनीयता और सुरक्षा के लिए तत्काल खतरा पैदा करता है। हैकर द्वारा शेयर किए गए डेटा मेंलगभग 32,000 लाइन्स की जानकारी शामिल है, लेकिन हैकर का दावा है कि उसने सभी डेटाबेस से लगभग 2.9 मिलियन (29 लाख) लाइन्स का डेटा हासिल कर लिया है, जिसमें बीएसएनएल ग्राहकों के जिले वाइस डिटेल भी शामिल हैं। इस ब्रीच के संबंध में बीएसएनएल की ओर से कोई कमेंट नहीं किया गया हैलेकिन भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसी सर्ट-इन को कथित तौर पर इस हैकिंग घटना के बारे में सूचित किया गया है।
ग्राहकों पर मंडरा रहा यह खतरा
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट और इंडिया फ्यूचर फाउंडेशन के फाउंडर कनिष्क गौड़ ने इस ब्रीच पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के ब्रीच का बीएसएनएल और उसके यूजर्स दोनों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। गौड़ ने इस ब्रीच की गंभीरता के बारे में बताते हुए कहा कि यह न केवल ग्राहकों की गोपनीयता को खतरे में डालता है बल्कि उन्हें पहचान की चोरी, वित्तीय धोखाधड़ी और टारगेट फिशिंग जैसे जोखिमों के लिए भी उजागर करता है।
क्या है? Dark Web
डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का वो हिस्सा है, जहां तक आपका सर्च इंजन नहीं पहुंचता है। इन्हें स्पेशल वेब ब्राउजर से एक्सेस किया जा सकता है। इसका पोर्शन छोटा होता है। Kaspersky के मुताबिक, इसे डीप वेब का हिस्सा माना जाता है। जिस तरह से समुद्र की सतह और पानी ने नीचे कुछ हस्से तक तो हमारी पहुंच होती है, लेकिन एक हिस्सा ऐसा भी जहां तक अभी तक कोई नहीं पहुंचा है। डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का वही हिस्सा है। इस हिस्से तक बहुत कम लोगों की पहुंच है। यहां के वेब पेज को सर्च इंजन द्वारा इंडेक्स नहीं किया जाता है। डार्क वेब को बहुत खतरनाक माना गया है और यहां पर कई अवैध काम होते हैं। साइबर वर्ल्ड की ये दुनिया अवैध कामों का ठिकाना माना जाता है। कभी इस दुनिया में हैकर्स, लॉ इंफोर्समेंट ऑफिसर्स और साइबर क्रिमिनल्स का दबदबा होता था। हालांकि, एन्क्रिप्शन और The Onion Router जैसी नई टेक्नोलॉजी की मदद से लोग डार्क वेब तक पहुंच सकते हैं। वैसे तो डार्क वेब का इस्तेमाल गैरकानूनी नहीं है, लेकिन इसके कई खतरे होते हैं। यहां आप स्कैम, संदिग्ध सॉफ्टवेयर या सरकारी मॉनिटरिंग का शिकार हो सकते हैं। यही वजह है कि सामान्य यूजर्स को इंटरनेट की इस दुनिया से दूर रहने की सलाह दी जाती है।