अयोध्या नगरी एक बार फिर भगवान राम की भक्ति में सराबोर होने जा रही है. इस बार सावन के पावन महीने में एक ऐतिहासिक आयोजन होने जा रहा है. पहली बार अयोध्या के भव्य राम मंदिर परिसर में रामलला 29 जुलाई से चांदी और सोने के झूले (हिंडोले) पर विराजमान होंगे. इस दौरान देश-विदेश से आए रामभक्त अपने आराध्य के झूलन स्वरूप के दर्शन कर सकेंगे. यह अवसर बेहद खास होगा, क्योंकि राम मंदिर में राम दरबार की स्थापना के बाद यह पहला सावन झूला मेला होगा.
सावन झूला मेला अयोध्या की एक पुरातन परंपरा रही है, जिसमें सभी प्रमुख मठ-मंदिरों के विग्रह झूलन उत्सव में भाग लेते हैं. इस आयोजन की शुरुआत तीज से होती है और पूरा महीना भगवान के झूले पर सवार होने और भक्तों द्वारा भक्ति-भाव से दर्शन करने में समर्पित रहता है. रामलला के इस पावन झूलन स्वरूप को देखने के लिए हजारों श्रद्धालु अयोध्या पहुंचते हैं. मंदिरों में भजन-कीर्तन, कजरी के सुर और भगवान को समर्पित गीत गूंजते हैं, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय बन जाता है.
राम मंदिर ट्रस्ट ने इस बार झूलनोत्सव को और भी भव्य और श्रद्धालुओं के अनुकूल बनाने की तैयारी कर ली है. ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार, इस बार पहली बार रामलला राजाराम स्वरूप में झूले का आनंद लेंगे. भगवान को नित्य मंडप में कजरी और सावन गीत सुनाए जाएंगे. साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी प्रतिदिन किया जाएगा, जिसमें भक्त भक्ति संगीत और नृत्य के माध्यम से अपनी आस्था प्रकट करेंगे.
श्रद्धालुओं की सुविधा का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है. राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा मणि पर्वत पर भोजन प्रसाद की व्यवस्था की जा रही है, ताकि दूर-दराज से आए भक्तों को भोजन की कोई परेशानी न हो. इसके अतिरिक्त, तीर्थ क्षेत्र पूरम बाग बिजेसी में रात्रि विश्राम की व्यवस्था भी की जाएगी. राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य डॉक्टर अनिल मिश्रा के अनुसार, यह पहली बार होगा जब रामलला का उत्सव इतने भव्य रूप में मनाया जाएगा. यह झूलनोत्सव केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि अयोध्या की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है. भगवान राम के प्रति भक्तों की असीम श्रद्धा इस आयोजन को विशेष बनाती है. यह आयोजन न सिर्फ धार्मिक आस्था को प्रकट करता है, बल्कि अयोध्या की पहचान को भी वैश्विक मंच पर सशक्त बनाता है.