Sunday, April 13, 2025
Homeधर्ममहर्षि बाल्मीकि से पहले हनुमान जी ने लिखी थी रामायण, फिर अचानक...

महर्षि बाल्मीकि से पहले हनुमान जी ने लिखी थी रामायण, फिर अचानक गायब कैसे हो गई! पढ़ें हनुमत गाथा

रामायण को महर्षि बाल्मीकि द्वारा लिखा गया. इसे लिखने में उनको बहुत परिश्रम और समय देना पड़ा. लेकिन एक रामायण ऐसी भी है जिसे बाल्मीकि जी से पहले हनुमान जी ने लिख डाला था.हनुमान जी ने इस रामायण को कब और कैसे लिखा एवं इस रामायण का क्या हुआ? आइये विस्तार से जानते हैं इस कथा के बारे में.

हनुमद रामायण: ऐसा माना जाता है कि प्रभु श्रीराम की रावण के ऊपर विजय प्राप्त करने के पश्चात ईश्वर की आराधना के लिये हनुमान हिमालय पर चले गये थे. वहां जाकर उन्होंने पर्वत शिलाओं पर अपने नाखून से रामायण की रचना की जिसमे उन्होनें प्रभु श्रीराम गाथा का उल्लेख किया था. कुछ समयोपरांत जब महर्षि वाल्मिकी हनुमानजी को अपने द्वारा रची गई रामायण दिखाने पहुंचे तो उन्होंने हनुमानजी द्वारा रचित रामायण भी देखी. उसे देखकर वाल्मिकी थोड़े निराश हो गये तो हनुमान ने उनसे उनकी निराशा का कारण पूछा तो महर्षि बोले कि उन्होने कठोर परिश्रम के पश्चात जो रामायण रची है वो हनुमान की रचना के समक्ष कुछ भी नहीं है अतः आने वाले समय में उनकी रचना उपेक्षित रह जायेगी. ये सुनकर हनुमान ने रामायण रचित पर्वत शिला को एक कन्धे पर उठाया और दूसरे कन्धे पर महर्षि वाल्मिकी को बिठा कर समुद्र के पास गये और स्वयं द्वारा की गई रचना को राम को समर्पित करते हुए समुद्र में समा दिया. तभी से हनुमान द्वारा रची गई हनुमद रामायण उपलब्ध नहीं है. तदुपरांत महर्षि वाल्मिकी ने कहा कि तुम धन्य हो हनुमान, तुम्हारे जैसा कोइ दूसरा नहीं है और साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि वो हनुमान की महिमा का गुणगान करने के लिये एक जन्म और लेंगे. इस बात को उन्होने अपनी रचना के अंत मे कहा भी है.

महाकवि तुलसीदास जी ही थे महर्षि बाल्मीकि का का अवतार : माना जाता है कि रामचरितमानस के रचयिता कवि तुलसी दास कोई और नहीं बल्कि महर्षि वाल्मिकी का ही दूसरा अवतार थे.

तुलसीदास को मिली हनुमद रामायण की एक शिला : महाकवि तुलसीदास के समय में ही एक पटलिका को समुद्र के किनारे पाया गया जिसे कि एक सार्वजनिक स्थल पर टांग दिया गया था. ताकी विद्यार्थी उस गूढ़लिपि को पढ़कर उसका अर्थ निकाल सकें. माना जाता है कि कालीदास ने उसका अर्थ निकाल लिया था और वो ये भी जान गये थे कि ये पटलिका कोई और नहिं बल्कि हनुमान द्वारा उनके पूर्व जन्म में रची गई हनुमद् रामायण का ही एक अंश है. जो कि पर्वत शिला से निकल कर ज़ल के साथ प्रवाहित होके यहां तक आ गई है. उस पटलिका को पाकर तुलसीदास ने अपने आपको बहुत भग्यशाली माना कि उन्हें हनुमद रामायण के श्लोक का एक पद्य प्राप्त हुआ.

RELATED ARTICLES

Contact Us

Owner Name:

Deepak Birla

Mobile No: 9200444449
Email Id: pradeshlive@gmail.com
Address: Flat No.611, Gharonda Hights, Gopal Nagar, Khajuri Road Bhopal

Most Popular

Recent Comments

Join Whatsapp Group
Join Our Whatsapp Group