दुर्गोत्सव के दौरान राजधानी पटना का मुख्य केंद्र पीरमुहानी से लेकर आर्य कुमार रोड के आसपास रहता है. पूजा के दौरान यह इलाका तीन दिनों तक सोता नहीं बल्कि जागता रहता है. दिन-रात का अंतर मालूम ही नहीं होता है. इस इलाके में एक से बढ़कर एक मां की प्रतिमाएं जगह-जगह विराजमान होती हैं. जिनके दर्शन के लिए मां के भक्त पटना ही नहीं आसपास के जिले से भी पहुंचते हैं.
30 फीट ऊंचा पंडाल
पीरमुहानी के श्रीश्री नवयुवक संघ दुर्गा पूजा समिति का
इस बार राम जन्म भूमि अयोध्या के राम-जानकी मंदिर की तरह दिखेगा. पंडाल का निर्माण कार्य पश्चिम बंगाल के कलाकार कर रहे हैं. यह पंडाल लगभग 50 फीट लंबा और लगभग 30 फीट ऊंचा बनाया जा रहा है. इस बार यहां मर्यादा पुरुषोत्तम राम के महल में मां दुर्गा विराजमान होंगी.
प्रवेश और निकास के लिए अलग अलग द्वार
पंडाल के अंदर प्रवेश करने के लिए और निकलने के लिए अलग-अलग द्वार होगा. पंडाल के हर स्तंभ पर राम मंदिर का प्रतिरूप दिखेगा. पंडाल के पास पहुंचते श्रद्धालुओं को एहसास होने लगेगा कि वे राम जन्म भूमि अयोध्या में है. पंडाल का निर्माण रणधीर कुमार की टीम कर रही है.
आशीर्वादी रूप की होती है पूजा
श्रीश्री नवयुवक संघ दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष अर्जुन यादव ने बताया कि यहां मां की पूजा आशीर्वादी रूप में होती है. यहां भगवान गणेश, मां लक्ष्मी जी, कार्तिकेय, मां सरस्वती की भी प्रतिमा रहेगी. मूर्ति का निर्माण पश्चिम बंगाल के मूर्तिकार जगन्नाथ पाल की टीम कर रही है. इस बार पंडाल के पश्चिम उमा सिनेमा से लेकर राजेन्द्र पथ किया जायेगा.
1938 से हो रहा आयोजन
श्रीश्री नवयुवक संघ दुर्गा पूजा समिति की स्थापना 1938 में किया गया था. तब से शारदीय नवरात्र में पूजा का आयोजन किया जा रहा है. पूजा की व्यवस्था समिति सदस्यों और स्थानीय लोगों और दुकानदारों से चंदा एकत्र किया जाता है. यहां विराजमान होने वाली मां की प्रतिमा की पूजा करने पर मन्नत पूरी होती है
खीर और हलवा का प्रसाद
पूजा के दौरान में यहां बड़े पैमाने पर प्रसाद का वितरण किया जाता है. अष्टमी को खीर और नवमी को हलवा और चना का भोग माता को लगाया जाता है. लगभग तीस हजार से अधिक मां के भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं.