Friday, December 27, 2024
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11 दिसंबर को पौष मास की संकष्टी चतुर्थी, जानें महत्व, विधि, कथा, मंत्र, लाभ और पूजन के शुभ मुहूर्त

9 दिसंबर से पौष मास आरंभ हो चुका है तथा 11 दिसंबर 2022, दिन रविवार को गणेश संकष्टी चतुर्थी व्रत (Sankashti Chaturthi 2022) रखा जा रहा है।

पौष मास की इस चतुर्थी को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन रात्रि में चंद्रमा को जल अर्पित करके व्रत पूर्ण किया जाता है। इस दिन श्री गणेश के दर्शन और व्रत करने का बहुत महत्व है। इस बार यह व्रत 11 दिसंबर को ही रखा जाएगा।

आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त, कथा, पूजा विधि, मंत्र के बारे में-

महत्व : संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) यह दिन प्रथम पूजनीय श्री गणेश के नाम है। इस तिथि पर गणपति की पूजा की जाती है और चंद्रदर्शन करके चंद्रमा को अर्घ्य देने के पश्चात व्रत पूर्ण होता है। शास्त्रों में भगवान श्री गणेश बुद्धि और चातुर्य के देवता माने गए हैं।

उनकी उपासना से बुद्धि अत्यंत तीव्र होती है तथा विद्या की प्राप्ति आसानी से हो जाती है। जो भक्त अपार धन कमाना चाहते हैं उनमें बुद्धि और विवेक होना अतिआवश्यक है, जो कि भगवान गणेश के पूजन-अर्चन और उनकी कृपा से सरलता से मिल जाते हैं। इस बार पौष मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी रविवार, 11 दिसंबर को मनाई जा रही है। इस दिन चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व है।

अत: जो महिलाएं चतुर्थी पर व्रत-पूजन कर रही हैं उन्हें भगवान गणेश को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाना चाहिए। इस तरह से पूजन करके श्री गणेश का आ‍शीष प्राप्त किया जा सकता है।

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के शुभ मुहूर्त :

11 दिसंबर 2022, रविवार

पौष कृष्ण चतुर्थी तिथि का प्रारंभ- 11 दिसंबर 2022 को 04.14 पी एम से

12 दिसंबर 2022 को 06.48 पी एम चतुर्थी का समापन।

संकष्टी चतुर्थी चन्द्रोदय का समय- 11 दिसंबर को 08.01 पी एम।

दिन का चौघड़िया

लाभ- 09.39 ए एम से 10.57 ए एम

अमृत- 10.57 ए एम से 12.14 पी एम

शुभ- 01.32 पी एम से 02.50 पी एम

रात का चौघड़िया

शुभ- 05.25 पी एम से 07.07 पी एम

अमृत- 07.07 पी एम से 08.50 पी एम

लाभ- 01.57 ए एम से 12 दिसंबर को 03.39 ए एम तक

शुभ- 05.22 ए एम से 12 दिसंबर 07.04 ए एम तक।

पूजा विधि- Ganesha Puja Vidhi

– अखुरथ या संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।

– इसके बाद घर के मंदिर में गणेश प्रतिमा को गंगा जल और शहद से स्वच्छ करें।

– सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल, जनेऊ, प्रसाद आदि चीजें एकत्रित करें।

– धूप-दीप जलाएं।

– ॐ गं गणपते नमः मंत्र का 108 बार जाप करते हुए पूजा करें।

– गणेश जी के सामने व्रत करने का संकल्प लें और पूरे दिन अन्न ग्रहण न करें।

– व्रत में फलाहार, पानी, दूध, फलों का रस आदि चीजों का सेवन किया जा सकता है।

– गणपति की स्‍थापना के बाद पूजन इस तरह करें :

– सबसे पहले घी का दीपक जलाएं। इसके बाद पूजा का संकल्‍प लें।

– फिर गणेश जी का ध्‍यान करने के बाद उनका आह्वान करें।

– इसके बाद गणेश को स्‍नान कराएं। सबसे पहले जल से, फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) और पुन: शुद्ध जल से स्‍नान कराएं।

– अब गणेश जी को वस्‍त्र चढ़ाएं। अगर वस्‍त्र नहीं हैं तो आप उन्‍हें एक नाड़ा भी अर्पित कर सकते हैं।

– इसके बाद गणपति की प्रतिमा पर सिंदूर, चंदन, फूल और फूलों की माला अर्पित करें।

– सुगंधित धूप जलाएं।

– अब एक दूसरा दीया जलाकर गणपति की प्रतिमा को दिखाकर हाथ धो लें। हाथ पोंछने के लिए नए कपड़े का इस्‍तेमाल करें।

– मोदक, मिठाई, गुड़ और फल का नैवेद्य चढ़ाएं।

– इसके बाद गणपति को नारियल और दक्षिण प्रदान करें।

– चतुर्थी कथा पढ़ें।

– अब अपने परिवार के साथ श्री गणेश की आरती करें।

– गणेश के मंत्र व चालीसा और स्तोत्र आदि का वाचन करें।

– इसके बाद हाथों में फूल लेकर गणपति के चरणों में पुष्‍पांजलि अर्पित करें।

– अब गणपति की परिक्रमा करें। ध्‍यान रहे कि गणपति की परिक्रमा एक बार ही की जाती है।

– इसके बाद हर भूल-चूक के लिए माफी मांगें।

– पूजा के अंत में साष्टांग प्रणाम करें।

– पूजा के बाद घर के आसपास जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें।

– गाय को रोटी या हरी घास दें। किसी गौशाला में धन का दान भी कर सकते हैं।

– रात को चंद्रमा की पूजा और दर्शन करने के बाद यह व्रत खोलें।

– शाम को चंद्रमा निकलने से पहले गणपति जी की एक बार पुन: पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें।

– अब व्रत का पारण करें।

गणेश मंत्र- Ganesh Mantra

ॐ गणाधिपाय नमः

ॐ उमापुत्राय नमः

ॐ विघ्ननाशनाय नमः

ॐ विनायकाय नमः

ॐ ईशपुत्राय नमः

ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः

ॐ एकदंताय नमः

ॐ इभवक्त्राय नमः

ॐ मूषकवाहनाय नमः

ॐ कुमारगुरवे नमः।

पौष चतुर्थी कथा : Paush chaturthi Vrat Katha

पौष मास में संकष्टी चतुर्थी का व्रत कर रहे भक्तों को दोनों हाथों में पुष्प लेकर श्री गणेश जी का ध्यान तथा पूजन करने के पश्चात पौष गणेश चतुर्थी की यह कथा अवश्य ही पढ़ना अथवा सुनना चाहिए।

इस व्रत की कथा के अनुसार एक समय रावण (Ravan n Bali Ki Katha) ने स्वर्ग के सभी देवताओं को जीत लिया व संध्या करते हुए बाली को पीछे से जाकर पकड़ लिया। वानरराज बाली रावण को अपनी बगल (कांख) में दबाकर किष्किन्धा नगरी ले आए और अपने पुत्र अंगद को खेलने के लिए खिलौना दे दिया।

अंगद, रावण (Ravan) को खिलौना समझकर रस्सी से बांधकर इधर-उधर घुमाते थे। इससे रावण को बहुत कष्ट और दु:ख होता था। एक दिन रावण ने दु:खी मन से अपने पितामह पुलस्त्य जी को याद किया। रावण की यह दशा देखकर पुलस्त्यजी ने विचारा कि रावण की यह दशा क्यों हुई? उन्होंने मन ही मन सोचा अभिमान हो जाने पर देव, मनुष्य व असुर सभी की यही गति होती है।

पुलस्त्य ऋषि ने रावण से पूछा कि तुमने मुझे क्यों याद किया है? रावण बोला- पितामह, मैं बहुत दु:खी हूं। ये नगरवासी मुझे धिक्कारते हैं और अब ही आप मेरी रक्षा करें। रावण की बात सुनकर पुलस्त्य जी बोले- रावण, तुम डरो नहीं, तुम इस बंधन से जल्द ही मुक्त हो जाओगे। तुम विघ्नविनाशक श्री गणेशजी का व्रत करो। पूर्व काल में वृत्रासुर की हत्या से छुटकारा पाने के लिए इन्द्रदेव ने भी इस व्रत को किया था, इसलिए तुम भी इस व्रत को करो।

तब पिता की आज्ञानुसार रावण ने भक्तिपूर्वक इस व्रत को किया और बंधनरहित हो अपने राज्य को पुन: प्राप्त किया। मान्यतानुसार जो भी पौष मास की चतुर्थी पर इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करता है, उसे सफलता अवश्य ही प्राप्त होती है।

लाभ- Ganesh Worship Benefits

– अखुरथ चतुर्थी (Akhuratha Chaturthi) के दिन व्रत-उपवास रखने तथा श्री गणेश का सच्चे मन से पूजन करने से जीवन के सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं।

– इस चतुर्थी पर व्रत रखने पर जहां सौभाग्य मिलता है, वहीं संतान की चाह रखने वालों की मनोकामना पूर्ण होती है।

– इस दिन पूरे मनोभाव से जो व्यक्ति प्रथमपूज्य भगवान श्री गणेश का ध्यान लगाकर पूजन करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होने की मान्यता है।

– आज के दिन भगवान गणेश का पूजन करके उन्हें तिल-गुड़ के लड्डू और दूर्वा चढ़ाने से वे प्रसन्न होकर अपने भक्तों के समस्त कष्टों का हरण करके उनके जीवन को सुखी और समृद्धिभरा आशीष प्रदान करते हैं।

– अखुरथ चौथ व्रत रखने से जीवन में निरंतर सुख-समृद्धि आने लगती है तथा परेशानियों से मुक्ति भी मिलती है।

– यह संकष्टी चौथ या चतुर्थी अपने नाम जैसे की तरह ही सभी संकटों को हरने वाली मानी गई है।

– इस चतुर्थी पर श्री गणेश के भक्त अपने दुखों से छुटकारा पाने के लिए उनकी आराधना करके हर तरह का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

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