Rudrabhishek: सावन का महीना शुरू हो चुका है। हिंदू धर्म में इस महीने को काफी पवित्र माना गया है। इस माह जो भी भक्त पूरी आस्था के साथ शिव भक्ति करता है, उसको जीवन में किसी भी तरह के संकट का सामना नहीं करना पड़ता है। इस माह में रुद्राभिषेक का बेहद खास महत्व माना जाता है। वहीं, अगर सावन के सोमवार को रूद्राभिषेक किया जाए तो ये बहुत ही शुभ माना जाता है। सावन में शिव पूजा अमोघ फल देने वाली मानी गई है। खास तौर पर महिलाएं सावन मास में विशेष पूजा-अर्चना और व्रत-उपवास रखकर पति की लंबी आयु की प्रार्थना भोलेनाथ से करती हैं।
सावन का महीना इस बार अधिक मास होने के नाते यह 30 अगस्त तक चलेगा यानी पूरे 58 दिन। सावन के महीने में शिवजी की आराधना की जाती है, क्योंकि पृथ्वी लोक के कर्ताधर्ता श्री विष्णु जी चार माह के विश्राम को चले जाते हैं और सारा भार भगवान शंकर पर आ जाता है। इस माह में पृथ्वी लोक में रहने के कारण शिवजी को खुश करना आसान कार्य माना जाता है।
इस माह में भगवान शिव के रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है और यदि वह दिन सोमवार का हो तो कहना ही क्या है। सोमवार के दिन रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव बेहद प्रसन्न होते हैं। इस माह का पहला सोमवार तो 10 जुलाई को बीत चुका है। वहीं, दूसरा सोमवार 17 जुलाई था। इसके बाद तीसरा 24 जुलाई, चौथा 31 जुलाई, पांचवां 07 अगस्त, छठवां 14 अगस्त, सातवां 21 अगस्त और आठवां तथा अंतिम सोमवार 28 अगस्त को होगा। सावन महीने के प्रत्येक सोमवार को शिव की पूजा करनी चाहिए। इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव के ध्यान से विशेष लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। सोमवार का प्रतिनिधि ग्रह चंद्रमा है और चंद्रमा मन का कारक होता है। मनुष्य के मन का नियंत्रण चंद्रमा करता है। चंद्रमा भगवान शिवजी के मस्तक पर विराजमान है, इसलिए जो भी शिव की आराधना करता है। शिव उसके मन को नियंत्रित करते हैं। सावन में जब भी समय मिले और जितना समय मिले पूरी आस्था और सात्विकता के शिव की आराधना करें, क्योंकि सावन में शिव बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं।
रुद्राभिषेक करते समय इन बातों का रखें ध्यान
- रूद्राभिषेक से पहले भगवान गणेष, मां पार्वती, ब्रह्मदेव, मां लक्ष्मी, नवग्रह, धरती मां, अग्नि देव, सूर्य देव और मां गंगा का ध्या किया जाता है।
बड़ी सी थाली लें और इसमें रूद्राभिषेक के लिए शिवलिंग को स्थापित करें, लेकिन ध्यान रहे ही शिवलिंग उत्तर दिशा में हो और खुद पूर्व दिशा की ओर मुहं करके बैंठें।
श्रृंगी में गंगाजल डालकर, शिवलिंग पर अर्पित करें। इस दौरान ‘ऊं नम: शिवाय मंत्र’ का जाप करते रहें।
शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद, गन्ने का रस, सरसों का तेल और इत्र अर्पित करें।
महादेव को सफेद चंदन का तिलक लगाएं। फिर पान का पत्ता, अक्षत, बेलपत्र, भांग, जनेऊ और धतूरा चढ़ाएं।
धूप व दीप जलाएं और पूरे परिवार के साथ भगवान शिव की आरती करें।
आरती करने के बाद अभिषेक का जल पूरे घर में छिड़के। कहा जाता है कि घर में छिड़काव से रोगों से छुटकारा मिलता है। - रूद्राभिषेक के बाद शिव चालीसा और शिव जी आरती जरूर करनी चाहिए।