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वट सावित्री व्रत पर इस बार है खास संयोग, जानें सही तारीख, पूजा की विधि

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Vat Savitri Vrat: 19 मई 2023 को सुहागिनें वट सावित्री व्रत रखेंगी इस साल वट सावित्री व्रत के दिन कई शुभ योग बन रहा है जो कई राशियों पर धन की बरसा होगी। हिन्दू मान्यतानुसार पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिन महिलाएं वट सावित्री व्रत करती है। हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन व्रत सावित्री का व्रत रखा जाता है। इस साल वट सावित्री का व्रत 19 मई 2023 को रखा जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस बार साल वट सावित्री व्रत पर 30 साल बाद खास संयोग बन रहा है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता सावित्री अपने पति सत्यवान को यमराज से छीनकर वापिस ले आई थीं। वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा करने से त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश का आशीर्वाद मिलता है, जिससे वैवाहिक जीवन में कभी संकट के बादल नहीं आते। इस साल वट सावित्री व्रत के दिन कई शुभ योग बन रहे है।

पुराणों के अनुसार बरगद का पेड़ अकेला ऐसा वृक्ष है जो कि 300 से ज्यादा सालों तक जीवित रहता है यानि इस पेड़ की आयु बहुत लंबी होती है। अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री व्रत की पूजन सामग्री और बरगद के पेड़ का महत्व।

30 साल बाद बन रहा है शुभ संयोग

ज्येष्ठ अमावस्या पर वट सावित्री व्रत की शुरुआत 18 मई को शाम 07.37 मिनट पर होगी और 19 मई को शाम 06.17 मिनट पर समाप्ति होगी। इस साल वट सावित्री व्रत पर शश योग, गजेकसरी योग और शोभन योग का संयोग बन रहा है जिससे कई राशियां लाभान्वित होंगी। इस दिन शनि जयंती भी है, जानकारों के अनुसार 30 साल बाद शनि जयंती पर शोभन योग का संयोग बन रहा है जिससे कई राशियां लाभान्वित होगी।

वट सावित्री व्रत पूजा सामग्री

वट सावित्री व्रत रखने वाली महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करने से पहले सावित्री-सत्यवान की प्रतिमा, लाल कलावा, कच्चा सूता, धूप-अगरबत्ती, मिट्टी का दीपक, घी, फल, रोली मिष्ठान, सवा मीटर कपड़ा, नारियल, पान, अक्षत, सिंदूर सहित अन्य सिंगार के समान।
पूजा विधि: वट सावित्री व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान करने के बाद वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की मूर्ति रख कर विधि विधान से पूजा करें। इसके बाद वट वृक्ष पर जल चढ़ाएं. साथ ही कच्चे सूते से वट के वृक्ष में सात बार परिक्रमा करते हुए बांध दें। अब महिलाएं सावित्री-सत्यवान के प्रतिमा के सामने रोली, अक्षत, भीगे चने, कलावा, फूल, फल अर्पित करें।

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