Saturday, July 27, 2024
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बसंत पंचमी पर ये सात मंत्र खाेलेंगे आपके भाग्य

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर सास बसंत पंचमी का पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल बसंत पंचमी 14 फरवरी, बुधवार को है। बसंत पंचमी के पावन पर्व के दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। मां सरस्वती को विद्या और बुद्दि का दाता कहा जाता है। इस दिन विद्या का अध्ययन करने वालों सभी को मां सरस्वती की पूजा-अर्चना जरूर करनी चाहिए। बसंत पंचमी का दिन शुभ कार्यों के लिए अति उत्तम माना गया है। इस दिन शादी-विवाह, मुंडन, नामकरण, गृह-प्रवेश व खरीदारी की जाती है। कहते हैं कि इस दिन विवाह के बंधन वाले जातकों को सभी देवी-देवताओं का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और जोड़े का बंधन सात जन्मों तक रहता है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का तिलकोत्सव हुआ था। इसलिए यह दिन शादी के लिए काफी शुभ माना गया है।बसंत पंचमी के पावन दिन मां के लिए व्रत रखें और हो सके तो इन मंत्रों का शुद्ध उच्चारण करें। अक्षर, शब्द, अर्थ और छंद का ज्ञान देने वाली भगवती सरस्वती अपने भक्तों पर विशेष कृपा देती हैं। यहां नीचे दिए गए मंत्र बहुत ही शुभ हैं। इन मंत्रों का जप करने से मां सरस्वती विशेष कृपा करती हैं….


‘वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि। मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणी विनायकौ॥’

ऐं ह्रीं श्रीं अंतरिक्ष सरस्वती परम रक्षिणी।मम सर्व विघ्न बाधा निवारय निवारय स्वाहा।।

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनींवीणापुस्तकधारिणीमभयदां। जाड्यान्धकारापहाम्हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।

ॐ सरस्वती मया दृष्ट्वा, वीणा पुस्तक धारणीम। हंस वाहिनी समायुक्ता मां विद्या दान करोतु में ऊॅं।।

ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।। कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्। वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।। रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्। सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।। वन्दे भक्तया वन्दिता च मुनीन्द्रमनुमानवै:।

शारदा शारदाभौम्वदना। वदनाम्बुजे। सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रिया तू।’

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