कब शुरू होंगे शारदीय नवरात्र? इस बार हाथी पर सवार होकर आएंगी माता

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शारदीय नवरात्रि कब से है? जन्माष्टमी समाप्त होने के बाद भक्तों के जेहन में ये सवाल अब आने लगा है. लोग एक-दूसरे से नवरात्रि की डेट पूछ रहे हैं. ऐसे में उज्जैन के आचार्य पंडित आनंद भारद्वाज ने इस सवाल का जवाब तो दिया ही, साथ इस बार मां की सवारी क्या रहेगी और उसका प्रभाव कैसा रहेगा? इस बात का भी जिक्र किया, ताकि भक्त पहले से ही मां के स्वागत की तैयारियां शुरू कर दें.

माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान माता रानी पूरे नौ दिन के लिए धरती लोक पर अपने भक्तों को आशीर्वाद देने लिए आती हैं. हर बार माता की सवारी अलग होती है. नवरत्रि में माता रानी किस वाहन पर सवार होकर आती हैं और जाती हैं, इसका प्रभाव धरती लोक पर जरूर पड़ता है. ये भी माना जाता है कि इस बार माता की जो सवारी होगा, उसके अनुरूप प्रभाव अलगे नवरात्रि यानी चैत्र नवरात्रि तक देखने में आएगा. उ
इस दिन से नवरात्रि
वैदिक पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि अश्विन मास की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होती है. नवमी तिथि को समाप्‍त होती है. इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर से होगी. 22 सितंबर को ही कलश स्‍थापना की जाएगी. फिर 30 सितंबर को महा अष्‍टमी, 1 अक्‍टूबर को महानवमी और 2 अक्‍टूबर को दशहरा पर्व मनाया जाएगा. 2 अक्‍टूबर को ही मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन होता है.

नवरात्रि में घटस्थापना का मुहूर्त
नवरात्रि का आरंभ घटस्थापना के साथ शुरू होता है. 22 सितंबर को सुबह 06:09 बजे से 08:06 बजे तक घटस्‍थापना के लिए सबसे शुभ मुहूर्त है. वहीं, घटस्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:49 बजे से 12:38 बजे तक है.
इस बार ये रहेगी माता की सवारी
शारदीय नवरात्रि में माता के आगमन और प्रस्थान की सवारी बहुत खास होती है. माता की सवारी भविष्य में होने वाली शुभ व अशुभ घटनाओं का संकेत देती है. नवरात्रि के आरंभ और समापन के दिन माता की सवारी प्रकट होती है. इस बार शारदीय नवरात्रि सोमवार से प्रारंभ हो रहे हैं, इसलिए मां दुर्गा की सवारी हाथी होगा. माता का हाथी पर आगमन अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना जाता है. इसे समृद्धि, उन्नति और शांति का प्रतीक माना गया है.