Sunday, September 8, 2024
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अधिकमास में करें तुलसी के साथ शालिग्राम की पूजा, जानिए महत्व

अधिकमास जिसे पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। धर्मग्रंथों में अधिकमास में विष्णु स्वरूप शालिग्राम के साथ श्री महालक्ष्मी स्वरूपा तुलसीजी का पूजन सयुंक्त रूप से करने का काफी महत्व बताया गया है। इस मास में तुलसी और शालिग्राम का पूजन कई गुना फलदाई बताया गया है। इस मास में तुलसी और शालिग्राम के पूजन से महिलाओं का सौभाग्य अखंड रहता है और संतान से जुड़ी हुई समस्याएं दूर होकर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

तुलसी पूजन का महत्व

हिंदू ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार अधिकमाह में तुलसी पूजन से कई तरह के सकारात्मक बदलाव आते हैं। जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है। कहा जाता है जहां पर तुलसी का पौधा होता है और उसकी पूजा-सेवा की जाती है, उस घर में लक्ष्मीजी की सदैव कृपा बनी रहती है। इस माह में अगर तुलसी की पूजा की जाए तो इससे श्रीहरि प्रसन्न हो जाते हैं। वहीं, इस दौरान अगर तुलसी का सेवन किया जाए तो व्यक्ति को अनेक चंद्रायण व्रतों के समान फल प्राप्त होता है। पद्मपुराण के अनुसार पुरुषोत्तम माह में तुलसी का पूजन, कीर्तन, ध्यान, रोपण और धारण करने से वह समस्त पाप को जलाती है और स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदान करती है।

यदि मंजरी युक्त तुलसी पत्रों के द्वारा भगवान श्री विष्णु की पूजा की जाए तो अनंत पुन्यफलों की प्राप्ति होती है। जहां पर तुलसी लगी हुई होती है वहीं भगवान श्री कृष्ण की समीपता है तथा वहीं ब्रह्मा और लक्ष्मीजी भी सम्पूर्ण देवताओं के साथ विराजमान होते हैं। तुलसीजी के निकट जो स्रोत्र -मंत्र आदि का जप किया जाता है,वह सब अनंत गुना फल देने वाला होता है। इस माह शाम के समय तुलसी के नीचे घी का दीपक जलाने से सभी रोग-शोक समाप्त हो जाते हैं।

शालिग्राम पूजन का महत्व

पदमपुराण के अनुसार जो प्राणी अधिकमास में शालिग्राम का दर्शन करता है। उसे मस्तक झुकाता, स्न्नान कराता और तुलसी दल समर्पित कर पूजन करता है। वह कोटि यज्ञों के समान पुण्य तथा कोटि गोदानों का फल पाता है। इनके स्मरण,कीर्तन,ध्यान,पूजन और प्रणाम करने पर अनेक पाप दूर हो जाते हैं। जिस स्थान पर शालिग्राम और तुलसी होते हैं,वहां भगवान श्री हरि विराजते हैं और वहीं सम्पूर्ण तीर्थों को साथ लेकर भगवती लक्ष्मी भी निवास करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि शालिग्राम में भगवान केशव विराजमान हैं,वहां सम्पूर्ण देवता,असुर,यक्ष तथा चौदह भुवन मौजूद हैं। जो शालिग्राम शिला के जल से अपना अभिषेक करता है,उसे सम्पूर्ण तीर्थों में स्न्नान के बराबर और समस्त यज्ञों को करने समान ही फल प्राप्त होता है।

ऐसे शालिग्राम का पूजन है लाभकारी

छत्राकार शालिग्राम के पूजन से राज्य सुख आदि एवं वर्तुलाकार की पूजा से धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। विकृत फटे हुए,शूल के नोक के समान, शकट के आकार के पीलापन लिए हुए,भग्न चक्र वाले शालिग्राम दुःख, दरिद्रता, व्याधि, हानि के कारण बनते हैं अतः इन्हें घर, मंदिर में नहीं रखना चाहिए। यदि आपके जीवन में बहुत कष्ट हैं तो आपको अपने पूजा घर में शालिग्राम जी को स्थापित करना चाहिए और नित्य सेवा करनी चाहिए

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