आचार्य चाणक्य प्राचीन भारत के एक महान रणनीतिकार थे, जिन्होंने अपने जीवन कई नीतियां दी. अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर चाणक्य नीति नामक पुस्तक लिखी थी. आचार्य चाणक्य के द्वारा दी गई नीतियों को बाद में चाणक्य नीति के नाम से जाना जाने लगा. मान्यता है कि अगर उनकी बताई नीतियों के अनुसार कार्य किया जाए को किसी भी परिस्थिति में आपकी असफलता नहीं हो सकती.
चाणक्य नीति में कई सिद्धांत बताए गए हैं जो मनुष्य को जीवन में सही दिशा दिखाते हैं. वहीं चाणक्यनीति में आचार्य चाणक्य ने कुछ ऐसे जगहों का जिक्र किया है जहां मनुष्य को चुप रहना चाहिए. इन स्थानों पर चुप रहने से मनुष्य की इज्जत बची रहती है और विवाद नहीं होते. तो आइए जानते हैं चाणक्यनीति में ऐसे कौन से स्थान बताये गये हैं जहां हमें चुप रहना चाहिए.
मूर्खों से बात करते समय
जब आप किसी मूर्ख से बात करते हैं जरूरी नहीं है कि वह आपकी बात को समझ पाए. आपके यदि मूर्खो से बहस करेंगे तो आपका ही मजाक बनेगा इसलिए हमेशा मूर्खो के सामने चुप रहे और उनसे बात करने से बचे. ऐसा करने पर आप बेफिजूल के विवादों से बचे रहेंगे.
गुस्सा आने पर
अगर आपको गुस्सा आ रहा है तो चुप हो जाए और किसी से बात न करें. ऐसा इसलिए क्योंकि क्रोध में व्यक्ति अपना आपा खो देता है और उसे सही गलत में फर्क नजर नहीं आता. क्रोध में बात करने से परिस्थिति और बिगड़ सकती है इसलिए ऐसे स्थान पर चुप रहना ही उत्तम होता है.
जब लोग करें चुगली
जब आपके आस पास लोग चुगली कर रहे हों तो आपका चुप रहना ही बेहतर होता है. अगर आप ऐसे स्थान पर बात करते हैं तो आपका रिश्ता दूसरों के साथ खराब हो सकता है. ऐसे स्थान पर बोलने से विवाद भी हो सकते है इसलिए इस परिस्थिति में चुप रहना ही उत्तम होता है.
नशे में धुत व्यक्ति से
आपको कभी भी नशे में धुत व्यक्ति से बात करने का प्रयास नहीं करना चाहिए और यदि कोई नशेड़ी आपसे बात करने का प्रयास करे तो चुप रहना ही बेहतर है. नशे में डूबे व्यक्ति को सही गलत का फर्क समझ नहीं आता ऐसे में वह आपसे कुछ भी बोल सकता है. अक्सर ऐसी परिस्थितियों में बात करने से विवाद पैदा होते है.