😊अगिया बेताल😊
क़मर सिद्दीक़ी
देश का बजट आ चुका है। इसको अखबारों में इस तरह उकेरा गया है,जैसे एक क्रूप महिला के चेहरे को मेकअप से ढांप दिया गया हो। 7 लाख की बात बड़े जोरो-शोर से कही जा रही है,अरे साहब 7 लाख की कमाई आए कैसे इसके बारे में भी तो कुछ कहते तो अच्छा लगता।
राजधानी के बड़े अखबार ने तो हद ही कर दी। पूरे 8 पेज लगा दिए सरकार के क़सीदे पढ़ने में,और ताज्जुब इस बात का होना चाहिए कि,इसमें बढ़ी हुई क़ीमतों के बारे में एक लाइन भी नहीं। किसी और का बजट ठीक हो न हो,पर लगता है इनका “बजट” सेट कर दिया गया। कहा गया है कि,प्रदूषण रोकने के लिए पुराने वाहनों को बैन किया जाएगा। अच्छा है,पर ये जो दो टांगों वालों ने वैचारिक प्रदूषण फैला रखा है,उसका क्या,ख़ास तौर पर उजले खद्दरधारी ? ये तो हर तरह के प्रदूषण से ख़तरनाक है। पर्यटन के लिए भी बताया गया है। ये भी बता दीजिए कहाँ जाएं,और कैसे जाएं? क्या इसके लिए भी कोई लोन की व्यवस्था होगी। यहां खाने के लाले पड़े हैं,और पर्यटन का ज़िक़्र कर घाव में नमक छिड़का जा रहा है।
एक और विशेष शब्द का ज़िक़्र है,”कृतिम बुद्धिमदता” क्या इसका विकास और विस्तार इस लिए किया जाएगा ताकि लोग आपके बजट को और बेहतर तरीके से समझ सकें। लोगों की प्रतिक्रियाओं से अखबार भरे पड़े हैं, पर महिलाओं का वर्जन ग़ायब है,जबकि उनसे बेहतर बजट के बारे में और कौन बता सकता है। हमेशा की तरह सत्ता पक्ष,और उनके समर्थक इसकी तारीफों के पुल पर पुल बानाने में लगे है,तो विपक्ष इस फुस्सी बम साबित करने में मशगूल है।
आप हैं तो क्या गम है
मामा जी ने फरमाया कि, हमने प्रदेश से माफिया राज को उखाड़ फेंका। इस बयान में आधा तीतर,आधा बटेर है,यानी आधा सच है। उनको ये कहना चाहिए कि,पुराने माफियाओं की जगह दूसरे वालों ने ले ली है,और तरीक़े भी बदल गए हैं। पहले ज़मीन हड़पना,लूट-पाट, रंगदारी होती थी,अब रेत,पत्थर की अवैध खुदाई से काम चल रहा है। पहले सिर्फ व्यक्ति विशेष प्रभावित होता था,अब सरकारी ख़ज़ाना, पर्यावरण सब ख़तरे में आ गया है।
(इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/विश्लेषण ‘प्रदेश लाइव’ के नहीं हैं और ‘प्रदेश लाइव’ इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेता है।)