Home संपादकीय ओबीसी के साथ ओपीसी भी सत्ता की चाबी….!

ओबीसी के साथ ओपीसी भी सत्ता की चाबी….!

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चुनाव चटखारे/कीर्तिराणा

विधानसभा चुनाव में ओबीसी वर्ग को रिझाने के लिए दोनों दलों ने इस वर्ग की पहचान चेहरों को काम पर लगा ही रखा है। अब ओबीसी के साथ ओपीसी पर भी फोकस करना शुरु कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी भले ही शासकीय कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ देने के पक्ष में नहीं हों लेकिन मप्र में कांग्रेस को तो ये ओपीसी ही सत्ता की चाबी लग रही है। वैसे इस स्कीम का लाभ देने की घोषणा करने का उचित अवसर तो मुख्यमंत्री भी तलाश रहे हैं, बस चिंता है तो केंद्रीय नेतृत्व कहीं अड़ंगा न लगा दे।
प्रदेश का कर्मचारी वर्ग तो चाहता है सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ दे।जो इस मामले में कर्मचारियों के मन की बात करेगा कर्मचारी भी उसकी मुंहमांगी मुराद पूरी करने के लिए उधार बैठे हैं।
कांग्रेस को ओपीसी इसलिए सत्ता की चाबी लग रही है क्योंकि छत्तीसगढ़ के बाद हिमाचल प्रदेश में भी उसे ओपीसी ने सत्ता दिलवाई। हाल ही में कर्नाटक चुनाव में भी कांग्रेस की जीत में इस फेक्टर ने काम किया है। इन तीनों राज्यों में मिली हार की समीक्षा के बाद भाजपा भी यदि मप्र में ओपीसी का गुणगान करने लग जाए तो कर्मचारी संगठन क्यों आश्चर्य करेंगे, उन्हें तो अपने आर्थिक लाभ से मतलब है।
🔹ये करप्शन नाथ हुए तो वो उनका घोटाला राज !
कांग्रेस नेताओं को भी यह पता है कि दिग्विजय सिंह की हार और उमा भारती के लिए सत्ता का तानाबाना बुनने वाले अनिल दवे सहित रणनीतिकारों ने दिग्विजय सिंह का नामकरण मिस्टर बंटाढार किया था-यह शब्द भी उमा भारती के राजतिलक का कुंकुम बन गया था।
अब ये पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को करप्शन नाथ का नाम किसने दे दिया ! राजधानी के प्रमुख चौराहों पर रातोंरात लगाए गए कमलनाथ वाले पोस्टर से खलबली मची ही थी कि कुछ घंटों बाद ही शिवराज सिंह के फोटो और घोटाले वाले पोस्टर भी चस्पा हो गए।कमलनाथ वाले पोस्टर में पंद्रह महीने की कमलनाथ सरकार को घोटालों वाली सरकार बताने के साथ ही उनके फोटो के साथ घोटालों को जानने के लिए क्यूआर कोड भी प्रिंट किया है, जिन्हें स्केम जानना हो वो हाथोंहाथ स्केन कर के देख लें।शिवराज के खिलाफ लगाए पोस्टर में
शिवराज नहीं घोटाला राज’ ‘शिवराज के 18 साल..घपले और घोटालों की भरमार’ जैसे टाइटल के साथ इस दौरान हुए घोटालों की जानकारी है।
अब दोनों दलों को एक दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराना जरूरी तो हो गया है लेकिन लोगों का यह सवाल पूछना भी सही है कि राजधानी में जहां चप्पे-चप्पे पर कैमरे लगे हैं पुलिस ने अपने स्तर पर तहकीकात की सजगता क्यों नहीं दिखाई ।
इन पोस्टरों की जांच में किसी दल का नाम आएगा या नहीं लेकिन नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने जैसे ही इस पोस्टर को भाजपा का षड़यंत्र बताया तुरंत भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का जवाब आ गया कि ऐसी ओछी हरकत से भाजपा का लेनादेना नहीं है।अब भाजपा नेता भी शिवराज वाले इन पोस्टरों को लेकर आक्रामक हो सकते हैं।
🔹 अखंड प्रताप सिंह ‘आप’ के हुए
मौसम चुनाव का जरूर है, आयाराम-गयाराम की हवा भी चल पड़ी है।भाजपा, कांग्रेस में तो सिलसिला चल पड़ा है ऐसे में आप पार्टी ने भी दम दिखाना शुरु कर दिया है। पूर्व मंत्री अखंड प्रताप सिंह यादव को अब झाडू पसंद आ गई है।उन्होंने तो भविष्यवाणी भी कर दी है कि मध्य प्रदेश में आप पार्टी ही सरकार बनायेगी और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल को जनता प्रधानमंत्री भी बनायेगी।एपीसिंह यादव का आप के प्रति प्रेम क्यों उमड़ा तो इसकी वजह है चालीस साल के राजनीतिक जीवन में वो जनता दल, कांग्रेस और भाजपा में तो वे पहले ही रह चुके हैं। ऐसे में आप के ही हो सकते थे।
🔹संघ प्रेम हुआ उजागर
मंत्री के दौरे में साथ रहने वाले अधिकारियों को उनके निजी कार्यक्रमों-भोजन भंडारे में भी साथ रहना पड़ता है लेकिन वहां वे खानपान से दूरी बनाए रखते हैं। अब सतना के कलेक्टर अनुराग वर्मा और निगमायुक्त राजेश शाही एक ऐसे विवाद में उलझ गए हैं जिसमें एक दल में तो उनके नंबर बढ़ सकते हैं और दूसरे दल (कांग्रेस) में निशाने पर रहेंगे। सतना में आयोजित आरएसएस के शिक्षक वर्ग में शामिल होने मंत्री पहुंचे थे, साथ में इन अधिकारियों के जाने पर कांग्रेस को कोई एतराज नहीं है।उसकी आपत्ति यह है कि संघ की प्रार्थना और ध्वज प्रणाम में शामिल क्यों हुए। जाहिर है मंत्री ने भी इस तरह के निर्देश नहीं दिए होंगे।वैसे अधिकारी चिंता मुक्त इसलिए हैं कि सरकार ने 2006 में वो आदेश शिथिल कर दिया है कि शासकीय कर्मचारी संघ की गतिविधियों में शामिल होते हैं तो आपत्ति नहीं।
🔹जैसी सोच, वैसी रणनीति
एक साल के अंतर में प्रदेश में पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव होना है। भाजपा ने तो अपना चुनाव कैंपन इस तरह से तैयार किया है कि विधानसभा के साथ ही लोकसभा चुनाव के लिए मतदाताओं का मानस तैयार कर दिया जाए ताकि फिर प्रचार में कार्यकर्ताओं को भी थोड़ा आराम मिल जाए। इसके विपरीत कांग्रेस का सारा फोकस विधानसभा चुनाव आधारित आक्रामक प्रचार है। उसके रणनीतिकारों का मानना है विधानसभा में जीत मिलने पर लोकसभा चुनाव के लिए मतदाताओं का मानस कांग्रेस के पक्ष में हो जाएगा।
🔹इतनी महंगी महाकाल स्तुति
तेज आंधी-बारिश से महाकाल लोक में सप्त ऋषियों की मूर्तियां क्या उखड़ी यहां हुए कथित भ्रष्टाचार की परतें भी उखड़ने लगी है। याद है ना जब 11 अक्टूबर 22 को प्रधानमंत्री मोदी लोकार्पण करने आए थे तब अपने कैलासा बैंड के साथ गायक कैलाश खैर ने महाकाल स्तुति भी प्रस्तुत की थी।इस उछलकूद वाली महाकाल स्तुति के साथ कैलासा बैंड को कुल 50 लाख रु का भुगतान तय हुआ था। मूर्ति कांड होने के बाद से यह पेमेंट भी अटक गया है।लोग यह भी तलाश रहे हैं कि यह पेमेंट किस मद से कौनसा विभाग करेगा।
🔹कालूगोलू की टीम लगी काम पर
कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की जीत के आधार माने जाने वालों में एक नाम सुनील कालू गोलू का भी उभरा था। इनकी रणनीति से प्रभावित कांग्रेस आलाकमान ने सुनील और उनके 40 लोगों की टीम को मप्र में भी काम पर लगा दिया है।ये टीम अपने हिसाब से जिलों में नियुक्तियां तो कर ही रही है साथ ही कांग्रेस नेताओं को यह भी समझा रही है कि प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय मुद्दों को ना उछालें।सारा फोकस मुख्यमंत्री के अठारह साल में हुए भ्रष्टाचार पर ही करें। कर्नाटक में में भी कांग्रेस ने ‘चालीस परसेंट कमीशन वाली सरकार’ से भाजपा को घेरा था।
🔹 एक तीर से दो शिकार
छतरपुर जिले की एक डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने। गृह प्रवेश और पूजापाठ के पारिवारिक आयोजन पर अवकाश ना मिलने पर धार्मिक भावना आहत होने का हवाला देकर जीएडी प्रमुख सचिव को इस्तीफा ही भेज दिया।खबर तो यह भी है कि सर्वे कराने में मशहूर एक पार्टी के सर्वे में बैतूल जिले की आमला सीट से उनका नाम विनिंग केंडिडेट में उभरा है। टिकट मिल गया तो ये धार्मिक भावना आहत होने का मुद्दा वहां तो खूब मददगार साबित हो जाएगा।

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