केंद्रीय नागरिक उड्डयन एवं इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कभी कांग्रेस में थे, अब भाजपा में हैं। कांग्रेस में थे, तो उनकी चमक अलग ही थी, लेकिन भाजपा में जाने के बाद उनकी चमक कुछ धुंधली पड़ गई है। उनका ओजपूर्ण भाषण समा बांध देता है। अब आते हैं, मुद्दे की बात पर। लोकसभा चुनाव में करीब एक साल का वक्त बचा है। बड़ा सवाल यह है कि क्या सिंधिया लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे? और लड़ेंगे, तो कहां से। गुना से या ग्वालियर से। भाजपा में आने के बाद से वे गुना और ग्वालियर दोनों स्थानों पर सक्रियता बनाए हुए हैं।
राजनीति के जानकारों की मानें, तो ज्योतिरादित्य सिंधिया आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी सीट बदल सकते हैं। वे गुना सीट को छोड़कर ग्वालियर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। इसकी कुछ खास वजहें हैं। पहला तो यह कि भाजपा गुना सांसद केपी यादव का टिकट किस आधार पर काटेगी। और यदि सिंधिया के दबाव में केपी यादव का टिकट काटा जाता है, तो भाजपा को यादव समाज की नाराजगी झेलना पड़ेगी। गुना लोकसभा क्षेत्र में मुंगावली, अशोकनगर, शिवपुरी, गुना आदि सीटों पर यादव मतदाता निर्णायक की भूमिका में हैं, यदि वे भाजपा से छिटक गए, तो सिंधिया का चुनाव जीतना मुश्किल हो जाएगा। क्षेत्रफल के लिहाज से बात करें, तो ग्वालियर के मुकाबले गुना लोकसभा क्षेत्र का क्षेत्रफल बहुत बड़ा है, जिसे कवर करने में सिंधिया को ज्यादा मशक्कत करना पड़ेगी। इसके उलट ग्वालियर सांसद विवेक शेजवलकर का टिकट काटना भाजपा संगठन को आसान होगा। क्षेत्रफल छोटा होने से कम समय में ग्वालियर सीट को कवर करना आसान होगा। यही वजह है कि सिंधिया केंद्र में मंत्री बनने के बाद से ग्वालियर पर फोकस कर रहे हैं और शहर को विकास की कई सौगातें दे चुके हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो जिस तरह से नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस ग्वालियर नगर निगम में अपना मेयर बनाने में सफल हुई है, उसे देखकर ग्वालियर सीट निकालना सिंधिया के लिए आसान नहीं होगा
केपी यादव ने कसा सिंधिया पर तंज, सियासत गरमाई
ज्योतिरादित्य सिंधिया और गुना सांसद केपी यादव के बीच कोल्ड वार जारी है। सांसद यादव और सिंधिया समर्थक मंत्रियों के बीच बयानबाजी चलती रहती है। दो दिन पहले गुना में एक कार्यक्रम में सांसद केपी यादव ने एक ऐसी बात कह दी, जिससे प्रदेश की सियासत गरमा गई। यादव ने सिंधिया का नाम लिए बगैर उन पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि कुछ लोगों झांसी की रानी के साथ गद्दारी नहीं की होती तो आज हम आजाद की 75वीं वर्षगांठ नहीं, बल्कि 175वीं वर्षगांठ मना रहे होते। इसके बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने सांसद यादव को प्रदेश कार्यालय में तलब कर लिया।