Sunday, December 22, 2024
Homeसंपादकीयमैं दो महीने पहले स्वर्गीय हो गया होता.....

मैं दो महीने पहले स्वर्गीय हो गया होता…..

शराब, सिगरेट, मांसाहार से दूर रहने, रोज 7 किमी मार्निंग वॉक के बाद भी यह प्राब्लम क्यों हुई?

सत्यकथा/ कीर्ति राणा-89897-89896

 

गतांक से आगे…( चतुर्थ भाग ) 

 

बॉंबे हॉस्पिटल में 5 नवंबर को डॉ इदरीस एहमद खान द्वारा की गई एंजियोग्रॉफी और सीएचएल अस्पताल में 16 नवंबर को हुई बायपास सर्जरी के बाद 21 को इस हिदायत के साथ डॉ मनीष पोरवाल ने छुट्टी दी कि 7 दिन बाद स्टिच रिमूव करेंगे, शाम के वक्त हॉस्पिटल आ जाना। इसके साथ ही परिजनों को हिदायत दी कमोड वाली लेट्रिन का उपयोग करें। नया खर्चा इसलिए आ गया कि इंडियन स्टाइल वाली लेट्रिन थी नीचे वाले रूम में।ऊपर बच्चों के  रूम में कमोड वाली थी लेकिन इतना चढ़ना-उतरना मेरे लिए उस दौरान आसान नहीं था।

 

नया खर्चा कमोड वाली टॉयलेट बनवाना पड़ी 

नया खर्चा इसलिए आ गया कि इंडियन स्टाइल वाली लेट्रिन थी नीचे। इससे भी बड़ी तात्कालिक परेशानी यह थी कि तुलसी नगर में हमारे मकान से सट कर एक अन्य मकान का निर्माण कार्य चल रहा था।दिन भर ठोंका-पीटी, डस्ट एलर्जी जैसी दिक्कत 

अस्पताल से छुट्टी हुई तो भाभी-भतीजियों आदि ने सुदामा नगर चलने का विकल्प सुझा दिया-जो कि हर लिहाज से ठीक ही था।अस्पताल से सीधे वहां चले गए।इस बीच घर पर तनु ने इंडियन पेटर्न वाली लेट्रिन की जगह कमोड वाली के लिए तोड़फोड़ कर के दो-तीन दिन में तैयार करवा ली थी। सात दिन बाद टांके कटाने पहुंचे तब मैंने देखा कि जहां जहां सर्जरी हुई थी वहां, जिस तरह कॉपियों के पन्ने जोड़ने के लिए स्टेपलर का उपयोग किया जाता है, उसी तरह घाव के दोनों किनारों की चमड़ी स्टेपल कर रखी थी।

 

एक-एक कर निकाले मेडिकेटेड स्टेपल स्टिच 

जिस जूनियर डॉक्टर को मेडिकेटेड स्टेपल स्टिच रिमूव करने के लिए कहा था उन्होंने घाव से पट्टी हटाने के बाद टांकों पर बीटाडीन लगाया (बीटाडीन क्रीम एक एंटीसेप्टिक और डिसइंफेक्‍टेंट एजेंट है।इसका इस्तेमाल घाव और कटने के कारण होने वाले संक्रमण के इलाज और रोकथाम के लिए किया जाता है। यह हानिकारक माइक्रोब को मारता है और उनके विकास को नियंत्रित करता है, जिससे प्रभावित क्षेत्र में इंफेक्शन रुक जाता है)।इसके बाद प्लकर जैसे मेडिकल उपकरण से घाव पर लगे एक एक स्टेपल को निकाल कर रूई पर एकत्र कर डस्टबीन में डाल दिया।

 

अरे, एक टांका खुल गया…

सुदामा नगर में घर के अंदर ही घूमना-फिरना जारी था। उस क्षेत्र में भांजी-पत्रकार नेहा मराठे की परिचित फिजियोथेरेफिस्ट डॉ युक्ति चौहान हर दिन एक्सरसाइज करवा रही थी। मौसम लगातार ठंडा होने से लगभग पूरे वक्त स्वेटर-टोपा-शाल अनिवार्य हो गया था।सुबह उठने से लेकर सोने के पहले तक गोलियों वाले डोज और एंटीबायोटिक गोली का कुछ ऐसा असर था कि लगभग हर दूसरे-तीसरे दिन उल्टी हो ही रही थी।डॉक्टर ने नहाने की मनाही कर रखी थी, एक दिन स्पंज करने के बाद सर्जरी वाले स्थान (सीने, बाएं हाथ की कलाई और दोनों पैर की पिंडलियों पर) आइंटमेंट (मरहम) लगाते वक्त श्रीमती और भाभी की नजर सीने पर लगे टांकों पर पड़ी तो एक टांका कुछ खुल चुका था और वहां की चमड़ी की जगह गहरा गड्डा नजर आ रहा था। उस स्थान का फोटो लेने के बाद डॉ भरत बागोरा को सेंड किया ताकि वह डॉ पोरवाल से परामर्श ले सके।कुछ ही देर बाद उनका फोन आ गया कि शाम को हॉस्पिटल आना होगा।

शुगर पेशेंट को अकसर हो जाती है ऐसी परेशानी

घबराहट और बढ़ गई, परिवार के सदस्यों के साथ शाम को अस्पताल पहुंचे।डॉ पोरवाल ने परीक्षण किया, ढाढस बंधाया कि चिंता की बात नहीं है।अकसर शुगर पेशेंट के साथ यह प्राब्लम हो जाती है। अब लगातार ड्रेसिंग होगी, धीरे-धीरे यह घाव जब भरने लगेगा, आसपास की चमड़ी पर जब रेडनेस नजर आने लगेगी तब ही स्टिच लगाने की स्थिति बन सकेगी।सेकंड ओपिनियन के लिए मैंने अभिन्न मित्र-डॉ अशोक शर्मा को भी यह प्रॉब्लम बताई तो उन्होंने भी डॉ पोरवाल जैसी ही राय दी।

 

इतने परहेज के बाद भी कार्डियक अरेस्ट क्यों 

जिन भी शुगर पेशेंट मरीजों की सर्जरी होती है उन्हें ठंडा मौसम, बारिश आदि के चलते जिन परेशानियों से जूझना पड़ता है, मैं भी उस सब का सामना कर रहा हूं।सीएचएल हॉस्पिटल में कभी डॉ कविता वर्मा तो कभी डॉ कादंबरी ड्रेसिंग करती हैं। एक दिन मैंने डॉ पोरवाल से पूछ ही लिया सर, मैं तो शराब, सिगरेट-तंबाकू का सेवन भी नहीं करता। वजन भी अधिक नहीं है। ‘प्रजातंत्र’ का ऑफिस पांचवी मंजिल पर होने से मैं लिफ्ट की अपेक्षा सीढ़ियों से ही आना-जाना करता हूं।कार्डियक अरेस्ट आने के पहले तक हर दिन 10-11 हजार स्टेप (करीब 6.50-7किमी) मार्निंग वॉक करता रहा हूं, बीपी भी नार्मल रहता है, टेंशन भी नहीं पालता।जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक का सेवन भी नहीं, घर के खाने को ही प्राथमिकता देता हूं ।इतने परहेज के बाद भी मुझे हार्ट संबंधी प्रॉब्लम क्यों हुई? 

सबसे बड़ी वजह हेरिडिटी

 

डॉ पोरवाल ने पूछा  आप के परिवार में किसी को हार्ट संबंधी परेशानी रही है क्या? मीना और मैंने कहा पिताजी और अंकल आदि को यह प्रॉब्लम रही है। उनका कहना था सबसे मुख्य कारण तो हेरिडिटी (वंशानुगत) ही है।रही बात बाकी सभी सावधानियां बरतने, मार्निंग वॉक आदि करने की तो इतना सब करते रहने से ही अब तक बचे रहे वरना बहुत पहले हार्ट अटेक की स्थिति बन जाती। 

 

ये मरहम पैरों पर नहीं लगाना था…

एक दिन ड्रेसिंग के दौरान दोनों पिंडलियों में की गई सर्जरी-टांके वाली जगह दिखाई। लेडी डॉक्टर ने सर्जरी वाले स्थान को अंगुलियों से दबा कर देखा और पूछा इस पर क्या लगाया है? मैंने कहा वही मरहम लगा रहे हैं गोलियों के साथ लिखा था और सीने और पैरों पर टांके वाली जगह पर लगाने के लिए कहा था। यहां के टांके सूखे नहीं और दर्द भी कम नहीं हो रहा है, शायद इसीलिए नई चमड़ी भी नहीं आ पा रही है।उनका कहना था वह मरहम पैरों पर नहीं सिर्फ हार्ट के टांकों वाली जगह पर ही लगाना था।उसे लगाना बंद कर दीजिए, नहाते वक्त दोनों पैरों वाली इस जगह पर अच्छे से साबुन लगाया करें, कुछ दिनों में यहां नई चमड़ी आ जाएगी।

(बाकी सत्यकथा अगले अंक में पढ़िए) 

RELATED ARTICLES

Contact Us

Owner Name:

Deepak Birla

Mobile No: 9200444449
Email Id: pradeshlive@gmail.com
Address: Flat No.611, Gharonda Hights, Gopal Nagar, Khajuri Road Bhopal

Most Popular

Recent Comments

Join Whatsapp Group
Join Our Whatsapp Group