अस्पताल में चुपके से नर्स ने मुझे चाकलेट खिलाते हुए कहा अंकल शहीदी पर्व की बधाई…
सत्यकथा/कीर्ति राणा-89897-89896
गतांक से आगे…
एक उम्र के बाद न तो जन्मदिन का उत्साह रहता है और न ही मैरेज एनेवर्सरी का लेकिन जब इस दिन कुछ अनोखा/अकल्पनीय हो जाए तो यह दिन इस रूप में भी याद रह जाता है। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ, 16 नवंबर को सीएचएल हॉस्पिटल में बायपास सर्जरी हुई, तीन दिन आईसीयू में रहा।इसी दौरान 18 तारीख को विवाह की 35वीं वर्षगांठ थी।ज्यादा बोल पाने की स्थिति तो नहीं थी लेकिन दवाई देने के साथ ही देखभाल कर रही नर्स से मैंने धीरे से कहा सिस्टर आज मेरा शहीदी पर्व है, आप मेरी मिसेज को बुला देंगी। केरल की इस नर्स ने साथ वाली नर्स से कहा ये अंकल कुछ शहीदी पर्व कह रहे हैं, क्या होता है यह? यह नर्स भी केरल निवासी ही थी, उस नर्स ने आकर पूछा अंकल आप का त्योहार है क्या, शहीदी पर्व क्या होता है?
मैंने हल्की सी हंसी के साथ कहा सिस्टर आज मेरी मैरेज एनेवर्सरी है।दोनों खिलखिलाकर हंसते हुए बोली अच्छा आप इसे शहीदी पर्व बोलते हैं।कुछ देर बाद ही एक नर्स मेरे बेड के समीप आई, धीरे से बोली अंकल मुंह खोलिए।मैंने मुंह खोला और उसने चॉकलेट का एक पीस मुंह में रखते हुए कहा कांग्रेचुलेशन अंकल।किसी से कहना मत कि मैंने चॉकलेट खिलाई है।इस बीच दूसरी नर्स के साथ श्रीमती मेरे बेड के नजदीक आई तो दोनों नर्सों ने हंसते हुए उन्हें भी बधाई दी और बोली अंकल तो शहीदी पर्व कह रहे थे।मैंने श्रीमती से धीरे से कहा इन्होंने मेरा मुंह मीठा कराया है।इस तरह 35वीं विवाह वर्षगांठ आईसीयू में मन गई। 18 नवंबर 1986 को शादी के बाद 21 नवंबर को आशीर्वाद समारोह था।अस्पताल से छुट्टी भी 21 नवंबर को ही हो गई।
कम से कम आप मेरी तरह लापरवाही न बरतें
मेडिकल साइंस ने जिस तरह तरक्की की है उसके बाद बायपास सर्जरी होना कोई भय या आश्चर्य की बात नहीं रह गई। अनोखी मेरी ही यह सर्जरी नहीं हुई। सत्यकथा की यह समापन किस्त है।यह सब विस्तार से लिखने का आयडिया दिमाग में इसलिए आया कि जब यकायक ऐसे हालात का सामना करना पड़ जाए तो अकसर दिमाग काम करना बंद कर देता है या परिवार के बाकी सदस्य बेवजह परेशान हो जाएंगे यह सोचकर हम अपनी परेशानी बताने से हिचकते हैं।
बायपास सर्जरी की यह सत्य कथा लिखने का एकमात्र उद्देश्य यही रहा है कि इस गंभीर बीमारी को लेकर पाठक-मित्रों में कुछ जागरुकता आ जाए-यह कहना ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’ समान भी है। कारण यह कि आए दिन इंदौर के मेदांता, शेल्बी, अपोलो, सीएचएल आदि प्रमुख अस्पतालों में जटिल हार्ट सर्जरी में सफलता संबंधी प्रेस कांफ्रेंस अटैंड करने और हार्ट अटैक के कारण, लक्षण, कैसे बचे जैसी बातें डॉक्टरों से पूछने-लिखने के बावजूद खुद मैं ही लापरवाह बना रहा।खैर लिखना मेरा काम है, जरूरी नहीं कि यह सत्यकथा पढ़ने के बाद भी लोग सतर्क हो ही जाए।
लगा कि पत्रकार की अपेक्षा सरकारी विभाग में भृत्य होना बेहतर रहता। परिजनों के तात्कालिक सहयोग से आर्थिक तनाव में राहत मिल गई
बायपास सर्जरी के भारी भरकम खर्च के लिए धनराशि जुटाना भी तब कंधों पर पहाड़ उठाने जितना ही चुनौतीपूर्ण हो जाता है जब आप सक्षम नहीं हों।उस अवधि में मुझे लगता रहा कि यदि पत्रकारिता पेशे की जगह किसी शासकीय कार्यालय में भले ही भृत्य की पोस्ट पर भी होता या जर्नलिज्म को साइड बिजनेस की तरह करने की स्थिति रहती तो ऐसी आर्थिक बदहाली से तो नहीं जूझना पड़ता।
खैर मेरी दिक्कतों में तात्कालिक राहत के रूप में कलेक्टर मनीष सिंह की तत्परता, इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी और टीम द्वारा की गई 25 हजार की आर्थिक मदद के साथ स्टेट प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल, महासचिव नवनीत शुक्ला, फ्री प्रेस उज्जैन के ब्यूरो चीफ निरुक्त भार्गव, बहन मीना राणा शाह, भोपाल के डॉ नवीन आनंद जोशी आदि जनसंपर्क विभाग के वर्तमान सीपीआर-पीएस राघवेंद्र सिंह, तत्कालीन आयुक्त सुदाम खाड़े (अभी आयुक्त स्वास्थ्य), संचालक जनसंपर्क आदित्य प्रताप सिंह, अशोक मनवानी (जनसंपर्क मुख्यमंत्री प्रेस प्रकोष्ठ)से लेकर मुख्यमंत्री चौहान के ओएसडी आयएएस आनंद शर्मा से अपने अपने स्तर पर प्रयास करते रहे।जनसंपर्क विभाग इंदौर के संयुक्त संचालक आरआर पटेल के समन्वय से समय रहते आर्थिक मदद की राह आसान हो गई।इस सबके साथ ही परिवार के सदस्यों ने जिस तरह भारी खर्च के तनाव से राहत दिलाई उससे भी टेंशन कम हो गया।
इस बायपास सर्जरी के बाद संबंधित डॉक्टरों से हुई चर्चा और गूगल पर इस बीमारी को लेकर की गई छानबीन में कुछ जो प्रमुख बातें सामने आई हैं, हो सकता है इनसे पाठक-मित्रों को भी कुछ मदद मिल जाए।
हृदय रोग होने के कारण
हृदय रोग का सबसे प्रमुख कारण धूम्रपान करना। परिवार में किसी को इस बीमारी का होना।बहुत ज्यादा मोटापा। मधुमेह और उच्च रक्तचाप होना।सुस्त जीवनशैली।दैनिक जीवन में शारीरिक श्रम न करना।बहुत ज्यादा तनाव लेना। फास्टफूड का सेवन करना। परिवार के जिन बुजुर्गों (दादा-पिता-अंकल, दादी, मां आदि) को जो बीमारियां रही हों(जैसे शुगर, बीपी, हृदय रोग, लकवा, ब्रेन हेमरेज आदि) तो चिकित्सकों का मानना है ये (जेनेटिक) बीमारियां उनके बच्चों को होती ही है।
हार्ट अटैक के वो लक्षण जो सिर्फ महिलाओं में दिखते हैं-पेट दर्द और सांस लेने में तकलीफ हो तो नजरअंदाज न करें।पीठ, गर्दन, जबड़े और बांहों में दर्द।सांस लेने में तकलीफ और चक्कर आना। तेज पेट दर्द या पेट से जुड़ी बीमारी । ठंडा पसीना आना। आराम के बावजूद थकान महसूस करना। छाती में दबाव और दर्द महसूस होना।
इस तरह बचा जा सकता है हार्ट अटेक से
• तनाव मुक्त रहें।
•सिगरेट-तंबाकू छोड़ दें
•भोजन शाकाहारी अपनाएं
• मांसाहार त्याग दें
• नियमित मार्निंग वॉक करे
• शुगर-बीपी की शिकायत को गंभीरता से लें।
• इन बीमारियों से संबंधित गोलियां नियमित लें।
• छह माह में टोटल बॉडी चेकअप कराएं।
•परिवार के सदस्यों में किसी का मेडि क्लेम जरुर हो।
• पति-पत्नी की उम्र 60 से ऊपर हो गई हो तो अपने अविवाहित पुत्र के नाम से बीमा करवाएं।
• इसमें आश्रित माता-पिता भी कवर हो जाते है।
• फैमिली डॉक्टर सहित अन्य जरूरी नंबरों की सूची फोन बुक के साथ ही घर की किसी दीवार पर भी चिपका सकते हैं।
• अपने फोन को किसी भी तरह के लॉक (फेस लॉक, कोड लॉक) से मुक्त रखें।
• कम उम्र में हार्ट अटैक या उससे जुड़ी समस्याओं की हिस्ट्री है, तो उसे रेग्युलर चेकअप कराना चाहिए।
• अगर किसी के परिवार में 45 साल से कम उम्र में किसी पुरूष को और 55 साल से कम उम्र में किसी महिला को हार्ट प्रॉब्लम रही है तो, उस परिवार के सदस्यों को सतर्क रहने की जरूरत है।
•एटीएम कार्ड, जीमेल आदि के पासवर्ड के साथ मित्रों आदि से लेनदेन की जानकारी परिजनों को भी हो।बैंकों की पासबुक बीमा पॉलिसी आदि में नामिनी (उत्तराधिकारी) की कार्रवाई जरूर पूर्ण कर के रखें।
हार्ट अटैक के लक्षण
अगर आपके सीने में असहज दबाव, दर्द, सुन्नता, निचोड़न, परिपूर्णता या दर्द जैसा महसूस हो रहा है तो इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए. अगर यह बेचैनी आपकी बाहों, गर्दन, जबड़े या पीठ तक फैल रही है तो आप सचेत हो जाएं और जितनी जल्दी हो सके अस्पताल पहुंचें. यह हार्ट अटैक आने के कुछ मिनट या घंटे पहले के लक्षण।
कौनसे फल से कोलोस्ट्राल कम होता है
सेब और खट्टे फल- इन फलों में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है।एवोकाडो- इसे खाने से शरीर में बैड कोलेस्ट्रोल कम होता है और गुड कोलेस्ट्रोल बढ़ता है।बेरीज और अंगूर- कोलेस्ट्रोल कम करने के लिए सभी तरह की बेरीज जैसे स्ट्रोबेरी, ब्लूबेरी, रसबेरी और अंगूर खाने में शामिल करने चाहिए।
आजकल कंसेशन में होती है हार्ट से जुड़ी जांच
कंप्लीट ब्लड काउंट।लिपिड प्रोफाइल।एचबी ए।सी।एक्सरे चेस्ट।टीएमटी।2-डी इको डोपलर।कार्डियोलॉजिस्ट परामर्श।सी.टी एंजियोग्राफी डॉक्टर के परामर्श पर ही कराएं।दो वर्ष के बच्चे से 35 साल के युवा को हार्ट की प्रॉब्लम कम होती है।40 से 60 साल की उम्र वालों में कॉमन बीमारी है।60 वर्ष उम्र वालों-वरिष्ठ नागरिकों-में यह समस्या होना साधारण बात है।उम्र के इस पड़ाव पर अपनी बचत राशि सहेज कर रखें।मेडि क्लेम करा रखा है तो एक भी किश्त ना चूकें। आयुष्मान कार्ड जरूर बनवालें-इस कार्ड के होने पर अधिकतम 5 लाख तक बीमारी खर्च में राहत की सुविधा मिल सकती है। शहर के प्रमुख अस्पतालों में लगने वाले स्वास्थ्य शिविरों में और पैथ-लेब द्वारा भी
आजकल कंसेशन में होती है हार्ट व अन्य बीमारियों से जुड़ी जांच।
हार्ट अटैक के 50 फीसदी मामले बढ़े
मेडिकल जनरल लॉन्सेट की रिपोर्ट के अनुसार साल 1990 से 2016 के बीच भारत में हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामलों में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार हर 100 में से 28.1 लोग हार्ट अटैक और स्ट्रोक से मर रहे हैं। इसमें से हार्ट अटैक से करीब 18 लोगों की मौत होती है। अहम बात यह है कि इसमें 50 फीसदी लोग ऐसे हैं जिनकी उम्र 70 से भी कम है। इसमें भी एक बड़ी संख्या 50 के उम्र के आस-पास के लोगों की है। हार्ट अटैक और स्ट्रोक से महिलाओं की तुलना में पुरूषों की ज्यादा मौत होती है।
रिफाइंड तेल में पॉम ऑयल की मिलावट
कैलाश अस्पताल दिल्ली के डॉ प्रशांत राज गुप्ता के मुताबिक कम उम्र में हार्ट अटैक होने की सबसे बड़ी वजह लोगों की लाइफ स्टाइल और खान-पान है। ये दोनों चीजें बहुत खराब हो चुकी है। लोग ठीक से नींद नहीं लेते हैं, रात में देर तक जगते हैं। खाने में जंक फूड, पॉम ऑयल का इस्तेमाल बढ़ गया है। जिसकी वजह से जोखिम बढ़ता जा रहा है। आज जो रिफाइन्ड तेल इस्तेमाल किया जा रहा है, उसमें पॉम आयल भी मिलाया जाता है। इसके अलावा भोजन में मैदे वाली चीजों की हिस्सेदारी बढ़ गई है।प्रीजरवेटिव फूड खाया जा रहा है।हरि सब्जियों का इस्तेमाल कम हो गया है। जिससे भी जोखिम कहीं ज्यादा हो गया है।
कम उम्र में हार्ट अटैक
फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा के डा प्रनीत अरोड़ा के मुताबिक कम उम्र में हार्ट अटैक होने की सबसे बड़ी वजह , धुम्रपान है। इसके बाद लाइफस्टाइल एक बड़ा फैक्टर है। हो सकता है कि आप बाहर से फिट दिखते हैं, लेकिन लाइफस्टाइल आपके शरीर को नुकसान पहुंचाती है। नींद कम लेना, बैलेंस डाइट नहीं होना , ऐसे लोग जो रात में काम करते हैं।मनोवैज्ञानिक सामाजिक प्रेशर भी हार्ट अटैक की वजह बन रहा है।
अचानक हार्ट अटैक कैसे?
इस संबंध में डॉ प्रशांत राज गुप्ता के मुताबिक ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर के अंदर जो क्लॉटिंग होती है। वह किसी दूसरे अंग में रहती है। और वह रियलटाइम में जाकर दिल को खून पहुंचाने वाली धमनियों को ब्लॉक कर देती है। जिसकी वजह से अचानक दिल का दौरा पड़ता हैं और इसका अंदाजा पहले से लग नहीं पाता है। यह ऐसे लोगों को ज्यादा होता है, जिनकी दिल को खून पहुंचाने वाली धमनियों में पहले से ब्लॉकेज है। ऐसे में जब ब्लॉकेज दूसरे अंग से अचानक पहुंचता है तो व्यक्ति को मौका ही नहीं मिल पाता है। जिसे थंबोलाई कहा जाता है।
(सत्यकथा समाप्त)