Monday, December 23, 2024
HomeसंपादकीयOPS : भाजपा के लिए चुनावी चुनौती बन सकती है ओल्ड पेंशन...

OPS : भाजपा के लिए चुनावी चुनौती बन सकती है ओल्ड पेंशन स्कीम

OPS : कांग्रेस जिन प्रमुख मुद्दों पर अगला चुनाव लडऩे जा रही है, उनमें ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) लागू करना भी एक मुद्दा है। ओल्ड पेंशन स्कीम भाजपा के लिए आने वाले दिनों में चुनावी चुनौती बन सकती है। मुख्य विपक्षी दल विधानसभा के भीतर और बाहर जिस तरह से इस मुद्दे को हवा दे रहा है, उससे साफ है कि वह इसे सात महीने बाद होने वाले राज्य के विधानसभा चुनावों में प्रमुख मुद्दा बनाएगा। कुछ समय पूर्व कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश के चुनावों में भी इसे मुद्दा बनाया था और उसे सफलता भी मिली थी। यही वजह है कि कांग्रेस मप्र में इस मुद्दे को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा को लगातार घेर रही है। अभी भाजपा इस मामले में बैकफुट पर दिखाई दे रही है। विधानसभा में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने साफ कर दिया कि सरकार के पास इस तरह का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। इसके बाद से कांग्रेस आक्रामक है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मीडिया के सामने साफ कहा कि कांग्रेस की सरकार बनी तो प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की जाएगी। गौरतलब है कि कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ और राजस्थान में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की जा चुकी है और जिन राज्यों में चुनाव होना है, कांग्रेस वहां इसे लागू करने का वादा कर रही है। भाजपा और राज्य सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम की कांग्रेस की चुनावी चाल की काट ढूंढु रही है। भाजपा की दिक्कत यह है कि वह इस मामले में केवल एक राज्य में फैसला नहीं ले सकती। उसे इसके लिए राष्ट्रीयस्तर पर नीति निर्धारित करना पड़ेगी।

Deepak Birla

कर्मचारी वर्ग किसी भी चुनाव में राजनीति को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। ऐसा माना जाता है कि वर्ष 2003 मे ंदिग्विजय सिंह की सरकार के पतन के पीछे कर्मचारी वर्ग की नाराजगी भी एक बड़ा कारण थी। यही वजह है कि कांग्रेस आगामी चुनाव में इस वर्ग को साधकर चल रही है। भाजपा की सफलता अब तक की यह रही है कि कर्मचारी वर्ग उसका विरोधी नहीं रहा है पर ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर मप्र के कर्मचारी संगठन पूरी तरह लामबंद हो गए हैं। इस साल होने वाले चुनाव में कर्मचारियों के बिषय चुनावी मुद्दा बनते भी दिखाई दे रहे हैं। ओल्ड पेंशन स्कीम से प्रदेश के पांच लाख से अधिक कर्मचारियों के सीधे हित जुड़े हैं। लिहाजा वे इस मामले को लेकर संवेदनशील दिख रहे हैं। यह स्कीम उन कर्मचारियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जो 2005 के बाद नई पेंशन स्कीम में शामिल हैं।

इसलिए महत्वपूर्ण है ओपीएस

न्यू पेंशन स्कीम और ओल्ड पेंशन स्कीम में बुनियादी अंतर यह है कि न्यू पेंशन स्कीम कन्ट्रीब्यूटरी होती है। कर्मचारी और नियोक्ता का योगदान म्यूच्युअल फंड और अन्य फंडों में नियोजित किया जाता है। रिटायरमेंट के समय पर उस पर जो लाभ मिलता है, उसके हिसाब से कर्मचारी को पेंशन दी जाती है। यानि पेंशन की राशि इन्वेस्टमेंट के रिटर्न के आधार पर निर्धारित होती है। इसके विपरीत ओल्ड पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के महीन में कर्मचारी को मिल रहे वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन निर्धारित हो जाती है। महगाई भत्ता इसके अतिरिक्त होता है। इसलिए एनपीएस में शामिल कर्मचारी ओपीएस के लिए संघर्ष करते दिख रहे हैं। कांग्रेस ने कर्मचारियों की इसी भावना को देखकर चुनावी दांव चला है। कमलनाथ को राजनीति का चतुर खिलाड़ी माना जाता है। पिछले चुनाव में उन्होंने किसानों की कर्जमाफी का दांव खेला था। भाजपा ने भावान्तर योजना और किसान सम्मान निधि के नाम पर किसानों को लाभान्वित करने का व्यापक अभियान चलाया था, पर कर्जमाफी की घोषणा चुनाव में ज्यादा कारगर रही थी। इस बार वह कर्मचारियों की ओपीएस स्कीम को मुद्दा बना रही है।

RELATED ARTICLES

Contact Us

Owner Name:

Deepak Birla

Mobile No: 9200444449
Email Id: pradeshlive@gmail.com
Address: Flat No.611, Gharonda Hights, Gopal Nagar, Khajuri Road Bhopal

Most Popular

Recent Comments

Join Whatsapp Group
Join Our Whatsapp Group