Home संपादकीय क्या चुनाव से पहले हटेंगे BJP प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा?

क्या चुनाव से पहले हटेंगे BJP प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा?

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भोपाल : मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में सिर्फ आठ महीने बचे हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्या भाजपा (BJP) मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा की लीडरशिप में ही चुनाव लड़ेगी? या फिर चुनाव के पहले सत्ता और संगठन के शीर्ष में कोई बदलाव होगा। हालांकि गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद से ही मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को हटाए जाने को लेकर लगातार कयासबाजी चल रही है, लेकिन अब तक किसी को हटाया नहीं गया है। चूंकि चुनाव में इतना कम वक्त बचा है, ऐसे में अब नहीं लगता कि भाजपा मुख्यमंत्री के पद पर नए नेता की ताजपोशी कर कोई जोखिम मोल लेगी। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को हटाए जाने को लेकर अब भी अटकलें लगाई जा रही हैं। वीडी शर्मा का कार्यकाल फरवरी में पूरा हो चुका है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष पद पर किस की ताजपोशी होगी, इसका फैसला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सहमति से ही होगा। चूंकि विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री चौहान के नेतृत्व में लड़ा जाना है, इसलिए उनकी सहमति सर्वमान्य रहेगी।

ब्राह्मण को ब्राह्मण नेता से ही रिप्लेस

यदि पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बदलती है, तो प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में मप्र के विंध्य इलाके से बीजेपी का नेतृत्व करने वाले पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला के नाम पर विचार कर सकती है। शिवराज सरकार में शुक्ला को मंत्री नहीं बनाया गया है, इसलिए पार्टी उन्हें मौका दे सकती है। प्रदेश अध्यक्ष शर्मा और राजेंद्र शुक्ला एक ही वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस वजह से किसी प्रकार का कोई विवाद भी उत्पन्न नहीं होगा। चूंकि विंध्य में ब्राह्मण वोटर चुनाव को प्रभावित करते हैं, इसलिए शुक्ला के बहाने वहां के ब्राह्मणों को भी साधने में मदद मिलेगी। इस बार विंध्य में महौल भाजपा के पक्ष में नहीं बताया जा रहा है। राजेंद्र शुक्ला मुख्यमंत्री चौहान के भी करीबी माने जाते हैं। गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा भी प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल थे, लेकिन पार्टी के सूत्र बताते हैं कि अब मिश्रा इस दौड़ से बाहर हो गए हैं और अपनी सीट पर फोकस कर रहे हैं।

सुमेर सिंह सोलंकी का नाम सबसे ऊपर

आदिवासी वर्ग से जुड़े राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी को प्रदेश अध्यक्ष पद का सबसे सशक्त दावेदार माना जा रहा है। चूंकि प्रदेश में आदिवासी वर्ग के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं और आदिवासी करीब 85 सीटों पर चुनाव परिणाम प्रभावित करते हैं, इसलिए भाजपा नेतृत्व सुमेर सिंह सोलंकी पर दांव खेल सकती है। सोलंकी आरएसएस के कोटे से राज्यसभा में भेजे गए हैं और उन्हें संगठन में काम करने का अच्छा अनुभव है। वैसे भी भाजपा प्रदेश में आदिवासी लीडरशिप तैयार करने में जुटी है, पर अब तक उसे इसमें सफलता नहीं मिली है। इनके अलावा अनुसूचित जाति वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले लाल सिंह आर्य, वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय, पिछड़ा वर्ग से मंत्री भूपेंद्र सिंह को भी प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में माना जा रहा है। आर्य वर्तमान में भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। प्रदेश में अजा वर्ग के लिए आरक्षित 30 सीटों को ध्यान में रखकर पार्टी उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। विजयवर्गीय वर्तमान में पार्टी में हाशिये हैं। उनके पास पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के अलावा कोई जिम्मेदारी नहीं हैं। भूपेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री का करीबी माना जाता है। गौरतलब है कि गत जनवरी में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है। ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के बाद ही मप्र में प्रदेश अध्यक्ष बदलने को लेकर निर्णय होगा।

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