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मोबाइल का ज्यादा इस्तेमान न करने दें

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छोटे बच्चों के अभिभावकों को ये चिंता सताती रही है कि बच्चे मोबाइल के सामने कितना समय बिताते हैं। पहले टीवी अब तकनीक के बढ़ने के साथ कई और स्क्रीन्स बढ़ गई हैं जिसमें मोबाइल स्क्रीन भी शामिल है।
जहां कई सारे माता-पिता इस बात को लेकर परेशान रहते हैं वहीं कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। यूएस टेक कंपनी के लिए काम करने वाली डॉरेथी का दो साल का बच्चा है और उनका कहना है, 'मुझे पता है कि मुझे अपने बच्चे के स्क्रीन टाइम पर पाबंदी रखनी चाहिए।'
हालांकि वह बताती हैं कि जब उन्हें काम करना होता है या उनका बच्चा जब सुबह जल्दी जाग जाता है तो उसे व्यस्त रखने का सबसे अच्छा तरीका फोन ही है। वह अकेली नहीं है।
मीडिया और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने वाले बच्चों पर एक रिपोर्ट पेश की। इसके मुताबिक 8 साल और इससे कम उम्र के बच्चे रोजाना घर पर 2 घंटे 19 मिनट स्क्रीन के सामने बिताते हैं। ये आंकड़ा 2011 के लगभग बराबर है लेकिन 2013 से डेढ़ घंटे ज्यादा है। ये सर्वे 2013 में उस वक्त हुआ था जब स्मार्टफोन का इतना चलन नहीं था लेकिन टीवी देखने का क्रेज घट रहा था।
हालांकि बच्चे अब मोबाइल और दूसरी डिवाइसों की तरफ ज्यादा शिफ्ट हो रहे हैं, ठीक अपने माता-पिता की तरह। सर्वे में ये बात सामने आई कि बच्चे एक दिन में 48 मिनट मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा बच्चे कई वर्चुअल डिवाइस और इंटरनेट टॉयज के संपर्क में भी आ रहे हैं।
कुछ माता-पिता इस बात से चिंतित हैं कि स्क्रीन के सामने इतना वक्त गुजारने से बच्चे एक्सर्साइज और सीखने को इतना वक्त नहीं दे पा रहे लेकिन स्टडजी से ये बात साफ नहीं हो पा रही।
दो साल की बच्ची की मां जेनी बताती हैं, 'मेरे बच्चे किसी सामान्य बच्चे से कम शैतान नहीं हैं क्योंकि हम बहुत कम टीवी देखते हैं। अगर सही समय पर उन्हें स्क्रीन के सामने वक्त बिताने दिया जाए तो कभी-कभी ठीक भी रहता है।
पीडिएट्रिक स्पीच पैथोलॉजिस्ट जेन का कहना है, 'स्क्रीन के सामने जरा भी वक्त न बिताना, ये बिल्कुल अवास्तविक है। इसमें बैलेंस बनाकर रखना चाहिए। वह सलाह देती हैं कि इसके लिए विजिबल शेड्यूल बनाएं ताकि बच्चे इसको सीमित करना समझ सकें।

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