How Sugar became Chini: हमारी रसोई में चीनी एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है. इसकी मिठास हमारे जीवन में रच-बस गई है, और हम इसे अपनी संस्कृति का हिस्सा मानते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह मीठा पदार्थ, जिसे हम चीनी कहते हैं, भारत का मूल निवासी है?
भारत में शक्कर का इतिहास
चीनी का इतिहास भारत में गन्ने की खेती से जुड़ा हुआ है. ईसा पूर्व सातवीं शताब्दी में लिखे गए ‘चरकसंहिता’ जैसे आयुर्वेद ग्रंथों में गन्ने के रस से शक्कर बनाने की विधि का उल्लेख मिलता है. कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ में भी 5 प्रकार की शक्कर का वर्णन है, जो गुड़, खांड, शिलाजातु, मधु और मधुरास कहलाते थे.
सफेद सोने से कैसे बनी चीनी
यह कहानी थोड़ी जटिल है. भारत में इस्तेमाल होती थी ‘शक्कर’, जो चीनी से अलग है. गन्ने के रस को गर्म करके इसे सुखाकर शक्कर बनती थी. उजली- पारदर्शी और दानेदार चीनी का चीन से गहरा वास्ता है. 13वीं शताब्दी में इतालवी व्यापारी मार्को पोलो ने अपने संस्मरणों में बताया है कि चीन के बादशाह कुबलई खां ने मिस्र से कारीगर बुलवाए थे, जिन्होंने चीन के लोगों को दानेदार शक्कर बनाना सिखाया. चूंकि इस तकनीक को चीन से मुगलकाल में भारत लाया गया, इसलिए इस प्रक्रिया से बनी शक्कर को ‘चीनी’ कहा गया.
भारत में कब आई चीनी मिलें
पहली चीनी मिलें 1610 में भारत में स्थापित हुईं. ब्रिटिश शासनकाल में, चीनी का उत्पादन और व्यापार बढ़ा, और यह भारत में एक महत्वपूर्ण उद्योग बन गया. चीनी का उपयोग विभिन्न प्रकार के व्यंजनों, मिठाइयों और पेय पदार्थों में किया जाता है. इसका उपयोग दवाओं और औद्योगिक उत्पादों में भी किया जाता है.
भारत में, ‘लड्डू’ और ‘बर्फी’ जैसी मिठाइयां चीनी के बिना अधूरी हैं. चाय और कॉफी में चीनी का उपयोग एक आम बात है. चीनी का उपयोग विभिन्न प्रकार के सॉस और मसालों में किया जाता है.
हेल्थ पर कैसा असर डालती है चीनी
हालांकि चीनी का स्वादिष्ट उपयोग होता है, लेकिन इसका अधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. यह मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा हुआ है. चीनी का भारत में एक लंबा और समृद्ध इतिहास रहा है. यह हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है. हमें इसका उपयोग संयम से करना चाहिए और इसके स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभावों के बारे में जागरूक रहना चाहिए.