किडनी रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है. दिल्ली पुलिस ने एक महिला डॉक्टर सहित 7 लोगों को ऑर्गन ट्रांसप्लांट में अरेस्ट किया है. इस पूरे मामले में बांग्लादेश हाई कमीशन से फर्जी दस्तावेज मिलने की भी बात कही गई है. महिला डॉक्टर ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए विदेशों से भी लिंक बताया जा रहा है.
भारत और बांग्लादेश का है कनेक्शन
पुलिस के मुताबिक महिला डॉक्टर का ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट में बांग्लादेश और भारत के कनेक्शन जुड़े हुए है. महिला डॉक्टर पर आरोप है कि लोगों को ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए प्रेरित करती थी. साथ ही वह बांग्लादेश और बिचोलियों से बात करके अपना नेटवर्क बनाती थी.
दिल्ली पुलिस ने महिला डॉक्टर को अरेस्ट करने से पहले बांग्लादेश के तीन नागरिकों को भी गिरफ्तार किया था. महिला डॉक्टर किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन है. जो फिलहाल बतौर जूनियर डॉक्टर अपोलो में काम कर रही थीं. किडनी ट्रांसप्लांट एक प्रोसेस है. जिसमें आपके शरीर में डोनर से ली गई किडनी लगाई जाती है. यह आमतौर पर किडनी फेलियर के इलाज के लिए किया जाता है.
किडनी ट्रांसप्लांट का पूरा प्रोसेस क्या होता है?
एक व्यक्ति के शरीर में दो किडनी होती है. एक किडनी के सहारे भी इंसान सालों तक जिंदा रह सकता है. लेकिन जब दोनों किडनियां खराब, या दोनों सही से फंक्शन नहीं करती है यूं कहें कि काम करना बंद कर दें तो इंसान को बचाना बेहद मुश्किल है. एक इंसान में किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत तब पड़ती है जब उसकी दोनों किडनी पूरी तरह से काम करना बंद कर दें. किडनी ट्रांसप्लांट में खराब किडनी को निकालकर अच्छी किडनी लगाई जाती है.
किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत कब पड़ती है?
किडनी जब पूरी तरह से खराब या काम करना बंद कर देती है. यानि किडनी लास्ट स्टेज में पहुंच जाती है. आम बोलचाल की भाषा में बोले तो किडनी टॉयलेट और ब्लड को ठीक से फिल्टर नहीं कर पाती है तब किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है. ब्लड को प्यूरीफाई करने का काम किडनी का है. जब किडनी ठीक से काम नहीं करता है तो मरीज की जान को खतरा है. तभी मरीज को किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी जाती है.
किडनी ट्रांसप्लांट में डोनर की क्या भूमिका है?
किडनी ट्रांसप्लांट वाले व्यक्ति अगर जिंदा है तो ट्रांसप्लांट की तैयारी डोनर के हिसाब से की जाती है. अगर किसी मरे हुए व्यक्ति की किडनी लेनी है तो ट्रांसप्लांट केंद्र मरीज को किडनी मिलने के बाद पूरी जानकारी देता है. इसके बाद ही सर्जरी होती है. आमतौर पर खराब किडनी को हटाया नहीं जाता है बल्कि उसी किडनी के नीचले हिस्से में ट्रांसप्लांट किया जाता है. इसके बाद लगी हुई किडनी को ब्लड वेसल्स और ब्लैडर के साथ जोड़ा जाता है.