LED or CFL: फिलामेंट वाले बल्ब के दिन लगभग अब खत्म हो गए हैं। बिजली की मदद से प्रकाश करने के तरीके में एलईडी (LED) सबसे नया आविष्कार है। LED बल्ब आज रोशनी के सबसे किफायती साधन हैं। अब लोगों के पास ज्यादा एनर्जी सेविंग लाइटिंग ऑप्शन्स मौजूद हैं। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लैंप (CFLs) या लाइट-एमिटिंग डायोड्स (LEDs) का इस्तेमाल ही घरों में करना चाहिए।

एलईडी बल्ब टिकाऊ होते हैं, इनका जीवनकाल लंबा होता है, इनमें बिजली की खपत कम होती है लेकिन रोशनी अधिक मिलती है। प्रकाश के लिए इस्तेमाल होने वाले नए जमाने के इस आविष्कार के व्यापक प्रचलन से न केवल हमारे घरेलू बिजली बिल में भरपूर कमी आती है बल्कि बिजली उत्पादन के क्षेत्र में देश का बहुमूल्य संसाधन बचता है। आइए विस्तार से जानते हैं एलईडी (LED) बल्ब क्या हैं और कैसे काम करते हैं। और साथ ही यह भी, कि CFL (सीएफएल) और पारंपरिक टंगस्टम फिलामेंट बल्बों से ये कैसे अलग हैं। आइए जानते हैं।
LED का इस्तेमाल कई डिवाइसेज में किया जाता है-
एलईडी का फुल फॉर्म है- Light Emitting Diode, जो एक किस्म का सेमीकंडक्टर होता है जिसमें बिजली का प्रवाह होने पर photon के रूप में रोशनी पैदा होती है। LED नई लाइटिंग टेक्नोलॉजी है। LED का इस्तेमाल टीवी, डिजिटल वॉच और कई डिवाइसेज में किया जाता है। जब आप LED को ऑन करते हैं तब आप डायोड के नाम के सेमीकंडक्टर मटेरियल के जरिए इलेक्ट्रिक करंट को भेजते हैं। जब इलेक्ट्रिक करंट के इलेक्ट्रॉन सेमीकंडक्टर के जरिए फ्लो होते हैं तब लाइट पैदा होती है। ये ट्रेडिशनल बल्ब की तुलना में 90 प्रतिशत तक बिजली बचाते हैं।
सीएफएल को ऑन करते हैं तो इसमें इलेक्ट्रिसिटी ट्यूब के जरिए पास होती है, जिसमें कुछ केमिकल (आर्गन और मरकरी) होते हैं, जो अल्ट्रावायलेट लाइट एमिट करते हैं। फिर इंसानी आंखों न दिखाई देने वाली ये अल्ट्रावायलेट लाइट ट्यूब के अंदर फ्लोरोसेंट कोटिंग पर स्ट्राइक करती हैं।
फिर कुछ समय बाद ये एक्साइटेड कोटिंग विजिबल लाइट एमिट करता है। सीएफएल स्टार्ट होने के लिए ज्यादा बिजली की खपत करते हैं और ये वार्म अप होने के लिए एक या दो मिनट लेते भी हैं। लेकिन, जब ये चलने लगते हैं फिर ये करीब फिलामेंट वाले बल्ब की तुलना में 70 प्रतिशत कम बिजली की खपत करते हैं।
एलईडी या सीएफएल दोनों ही ट्रेडिशनल बल्ब की तुलना में ज्यादा बिजली बचाते हैं। लेकिन, सबसे दोनों में से सबसे ज्यादा एफिशिएंट LED होता है। CFLs लगभग 25% ज्यादा एफिशिएंट हैं, तो वहीं LEDs लगभग 75% ज्यादा एफिशिएंट होते हैं।
LEDs और CFLs दोनों ही काफी लंबे समय तक चलते हैं। लेकिन, यहां भी LED आगे हैं। जहां ट्रेडिशनल बल्ब की लाइफ 1000 घंटे की होती है। तो वहीं, CFLs की 10,000 घंटे की और LEDs की लगभग 25,000 घंटे की लाइफ होती है।
CFL (सीएफएल) बल्ब पारंपरिक टंगस्टन फिलामेंट बल्ब की तुलना में कम लेकिन LED बल्ब से अधिक बिजली खपत करती है। सीएफएल का जीवन काल पारंपरिक बल्ब की तुलना में अधिक लेकिन एलईडी बल्ब की तुलना में कम होता है। फ्यूज कर जाने की समस्या सीएफएल बल्बों में होती है और एलईडी बल्ब की तुलना में ये जल्दी खराब हो जाते हैं।