इंदौर। वैसे तो मध्यप्रदेश के इंदौर शहर को सबसे से साफ-सुथरा शहर कहा जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि वहां कि धरती जितनी साफ है। उतना ही आसमान प्रदूषित है। शहर की प्रदूषित (Air polution) होने की वजह जल, वायु, मिट्टी व भूगर्भ जल के प्रदूषित होने का दुष्प्रभाव जहां लोगों की सेहत पर पड़ रहा है, वहीं अर्थव्यवस्था की सेहत भी खराब हो रही है।
इंदौर की हवा को साफ रखने के तीन साल में 193 करोड़ खर्च कर चुके है, लेकिन उसके बाद भी वायु प्रदूषण रोकने की कवायद पर सवाल खड़े कर रहे है। इस साल शहर का पीए-10 का स्तर 98 है, जो काफी ज्यादा है। इसे 85 से कम होना चाहिए।
इंदौर शहर की प्रदूषित होती हवा को लेकर इंदौर के मेयर ही टिप्पणी कर चुके है कि स्वच्छ शहर में वायु प्रदूषण चांद पर दाग के जैसा है। जिम्मेदार विभाग प्रदूषण रोकने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं कर रहे है और न ही जनता जागरुक है। एनजीटी ने 5 साल पहले इंदौर की वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए एक्शन प्लान बनाया था। एनजीटी ने 14 विभागों की जिम्मेदारी तय की थी, लेकिन सभी ने कागजों पर प्लान बनाए, धरातल पर उतरते तो शहर की हवा भी ताजा रहती।
ये है हवा प्रदूषण की वजह
>>>शहर में वाहनों की संख्या ज्यादा। वाहनों का प्रदूषण ज्यादा फैलता है। ग्रीन बेल्ट के पेड़ भी ब्रिजों के निर्माण पर काटे जा रहे है। ये पेड़ भी धूल को हवा में जाने से रोकने के लिए मददगार होते है।
>>>शहर की आबादी 40 लाख है और 18 लाख से ज्यादा वाहन है। 15 साल पुराने वाहनों को हटाने का नियम यहां सख्त नहीं है। कई पुराने वाहन धुआं उड़ाते हुए सड़कों पर दौड़ रहे है।
>>>शहर में कई जगह सड़कों का निर्माण, मेट्रो प्रोजेक्ट व निजी निर्माण हो रहे है। ये निर्माण शेड या नेट को कवर कर नहीं किए जाते है। इस कारण धूल उडती है और हवा को प्रदूषित करती है।
>>>नगर निगम में एक हजार से ज्यादा डीजल वाहन डोर टू डोर कलेक्शन करते है। उनकी स्पीड कम होती है। वे भी प्रदूषण फैलाते है।
>>>शहर और आसपास के क्षेत्रों में टायर मोल्डिंग के कारखाने है। रेस्त्रां,होटल में अभी भी तंदूर पर रोटियां बनती है। चौराहों पर वाहनों के इंजन बंद करने का अभियान शिथिल पड़ा है।
>>>मार्च अप्रैल में किसान खेतों में पराली जलाते है। आसपास के जंगलों में भी आग लग जाती है। पराली जलाने वालों के खिलाफ जुर्माना नहीं होता।