Arthik Mandi : हाल ही में दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स और अमेजन के फाउंडर और अरबति बिजनेसमैन जेफ बेजोस ने चेतावनी देते हुए आने वाले खतरे को लेकर लोगों को आगाह किया… दुनिया भर में आईटी और स्टार्टअप कंपनियां बढ़ती महंगाई और आर्थिक संकट को देखते हुए बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं। पिछले दिनों ट्विटर फेसबुक जैसी बड़ी टेक कंपनियों ने भी अपने कर्मचारियों की संख्या में कटौती की है। अब अमेजन भी बड़े उसी क्रम में छंटनी कर रहा है। लगातार छंटनी की खबरें आ रही हैं… जिसने आम लोगों को अपने भविष्य को लेकर सोचने पर मजबूर कर दिया है। उन्होंने अनुमान जताया कि आर्थिक मंदी आ सकती है, इसलिए लोगों को खरीदारी से बचना चाहिए और पैसे बचाकर रखना चाहिए।
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अमेरिकी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए क्रेडिट पर निर्भर
CNN से बातचीत करते हुए उन्होंने अमेरिकी परिवारों को नई कार, टीवी, फ्रिज आदि वस्तुओं को खरीदने से बचने के लिए कहा क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका मंदी के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था अभी अच्छी नहीं दिख रही है, चीजें धीमी हो रही हैं। उन्होंने कहा कि आप कई क्षेत्रों में छंटनी देख रहे हैं। घरेलू कर्ज बढ़कर 16.5 ट्रिलियन डॉलर हो गया है और अमेरिकी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए क्रेडिट पर निर्भर हैं।”
जेफ बेजोस ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन (CNN) को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “लोगों को मेरी सलाह है कि टेबल से कुछ जोखिम कम करें। यदि आप खरीदारी करने जा रहे हैं, तो शायद उस खरीदारी को थोड़ा धीमा कर दें। यदि आप एक बड़े स्क्रीन वाला टीवी खरीदने पर विचार कर रहे हैं, तो आप प्रतीक्षा कर सकते हैं और अपने पैसे रोक सकते हैं और देख सकते हैं कि क्या होता है। नए ऑटोमोबाइल, रेफ्रिजरेटर, या जो कुछ भी हो, उसके साथ भी यही सच है। थोड़ा जोखिम हटाइए।”
चीन में आने वाली है वर्ष 1929 से भी बड़ी आर्थिक मंदी
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चीन एक बड़े आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा है, ऐसा मानना है विश्व के बड़े अर्थशास्त्रियों का, उनका यह भी कहना है कि जिस आर्थिक संकट में चीन घिरता जा रहा है वह वर्ष 1929 में अमरीका में आई महामंदी से भी बड़ा संकट होगा जिसने पूरे यूरोप को अपनी चपेट में ले लिया था। आने वाले समय में चीन के अंदर 50 करोड़ लोग अपनी नौकरियों से हाथ धो बैठेंगे और इतने ही लोग भूख से परेशान होंगे क्योंकि लंबी और भीषण गर्मी के कारण किसान अपनी फसल नहीं बचा पा रहे हैं। चीन ने अपने पर्यावरण को इतना नुक्सान पहुंचाया है कि अब वहां पर मौसम बदलने लगा है।
लम्बी और भीषण गर्मी से वहां की नदियां, झीलें और तालाब सूखते जा रहे हैं। इससे किसानों की फसल बर्बाद हो रही है। बड़े-बड़े हाइड्रो प्रोजैक्ट के लिए पानी नहीं मिल रहा जिससे बिजली की कमी हो गई है और इसका खराब असर चीन के विनिर्माण क्षेत्र में साफ देखा जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ चीन का रीयल एस्टेट बुलबुला फूट चुका है, इसके चलते चीन की आम जनता मकान खरीदने के लिए जो पैसे बैंकों को चुका रही थी वह चुकाना अब बंद कर चुकी है, इससे चीन के बैंकों की कमाई खत्म हो रही है और वे दिवालिया हो रहे हैं।
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Britain में आ गई मंदी, Rishi Sunak सरकार की घोषणा
ब्रिटेन आर्थिक मंदी की चपेट में आ चुका है. और आने वाले दिनों इसकी अर्थव्यवस्था और सिकुड़ सकती है. ब्रिटिश सरकार इससे निपटने की कोशिश में जुट गई है. प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) की सरकार ने मंदी पर काबू पाने के लिए कई कदम उठाने का ऐलान किया है. सुनक की सरकार ने 5500 करोड पाउंड का फिस्कल प्लान पेश किया है. बीते दिन वित्त मंत्री जेरमी हंट ने सरकार के इमरजेंसी बजट का खुलासा किया, जिसमें टैक्स की दरों में बड़ी बढ़ोतरी की गई है. एनर्जी कंपनियों पर विंडफॉल टैक्स को 25 फीसदी से बढ़ाकर 35 फीसदी कर दिया गया है. इलेक्ट्रिक जेनरेटर पर 45 फीसदी का टेंपरेरी टैक्स लगाया गया है. इसके अलावा टॉप टैक्स के दायरे में अब सवा लाख पाउंड सालाना कमाने वाले लोग भी आएंगे. साथ ही सुनक की सरकार ने ऐलान किया है कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर 2025 से एक्साइज ड्यूटी नहीं लगेगी.
आर्थिक मंदी का सामना कर सकते हैं विश्व के कई देश
कोरोना महामारी के बाद से ही विश्व की अर्थव्यवस्था वापस पटरी पर आने की कोशिश कर रही है। वहीं कई देशों की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। यही वह है कि जानकार और विभिन्न संगठन विश्व के कई देशों में गहराते आर्थिक मंदी के संकट की तरफ आगाह कर चुके हैं। इन जानकारों का कहना है कि विश्व के कई देशों में आर्थिक मंदी का संकट गहराता दिखाई दे रहा है। यदि ये बात सच साबित हुई थी तो विश्व की अर्थव्यवस्था जो कि पहले से ही कोरोना महामारी के चलते बेपटरी हो रखी है, और बुरी स्थिति में पहुंच जाएगी।
दरअसल, विश्व के कई देशों में आर्थिक संकट को लेकर जो चेतावनी दी गई है वो यूरोपीय संघ ने दी है। ईयू का कहना है कि 19 देशों के यूरोजोन में आर्थिक मंदी का संकट साफ दिखाई दे रहा है। ईयू के मुताबिक इसके सदस्य देश इन सर्दियों में आर्थिक मंदी का सामना करेंगे। ईयू ने इसकी सबसे बड़ी वजह महंगाई और ईंधन की बढ़ती कीमतों को बताया है। ईयू का कहना है कि विश्व में 2020-2021 में आई कोविड-19 महामारी ने आर्थिक गतिवधियों को काफी हद तक बर्बाद किया है। इससे जब राहत मिलने लगी तो यूक्रेन-रूस हमले ने इसको वापस पटरी से उतारने का काम किया है। इसकी वजह से विश्व के बाजार में ईंधन की कीमत काफी बढ़ गई है। इतना ही नहीं इसका असर हर तरफ देखने को मिल रहा है।
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क्या भारत में भी है इस तरह का कोई संकट
इस बीच ये सवाल उठना लाजमी है कि इन देशों में कौन से देश शामिल हैं और क्या भारत में भी इस तरह का कोई संकट है। इस सवाल का जवाब तलाशना बेहद जरूरी है। वहीं यदि बात करें भारत की तो यहां पर आर्थिक मंदी का खतरा नहीं है। हालांकि, आईएमएफ ने देश की आर्थिक वृद्धि दर को करीब 7 फीसद कर दिया है, लेकिन दूसरे देशों की तुलना में भारत कहीं अधिक बेहतर स्थिति में है। अगले वर्ष भी भारत में आर्थिक वृद्धि की दर चीन समेत कई देशों से बेहतर रहने का अनुमान लगाया गया है। हालांकि भारत के पड़ोसी देशों में इस आहट को सुना जा सकता है। ये देश पहले से ही आर्थिक रूप से बदहाल होने की कगार पर पहुंच चुके हैं।