Sunday, September 8, 2024
Homeदेशपरम्परा के गीत-संगीत पर थिरका भोपाल, टैगोर कला केन्द्र की अनूठी प्रस्तुति...

परम्परा के गीत-संगीत पर थिरका भोपाल, टैगोर कला केन्द्र की अनूठी प्रस्तुति ‘होरी हो ब्रजराज’

भोपाल। मुरली की मोहक तान,  ढोल-मृदंग से उठती लय-ताल की अलमस्त उड़ान, प्यार-मनुहार भरे गीतों का गान और नृत्य की मचलती थिरकनों का गहराता रोमांच…। तहज़ीब के रंगों से सराबोर यह दिलकश नज़ारा गुरूवार शाम भोपाल के रसिकों के लिए वासंती पैगाम बन गया। टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केन्द्र की ओर से रवीन्द्र भवन के मुक्ताकाश मंच पर ‘होरी हो ब्रजराज’ की शक्ल में सजी यह सलोनी शाम यक़ीनन दर्शकों के ज़ेहन में मुद्दतों तक क़ायम रहेगी। ये नज़ारा ब्रज और मैनपुरी लोक अंचल में सदियों से प्रचलित होली के गीतों का था। प्रसिद्ध नृत्यांगना क्षमा मालवीय ने पुरू कथक अकादमी के पचास से भी ज़्यादा कलाकारों की टोली बनाई और इस मंडली के साथ भाव-भंगिमाओं और लयकारी का इन्द्रधनुष रच दिया। कथाकार-कवि संतोष चौबे की मूल संकल्पना और विचार को अपनी पुरकशिश आवाज़ में पेश किया कला समीक्षक तथा जाने-माने उद्घोषक विनय उपाध्याय ने। जबकि अनूप जोशी बंटी ने होली के सतरंगी नज़ारे को अपनी प्रकाश-परिकल्पना से दिलकश बना दिया।

एकता व भाईचारे की सुंदर मिसाल

लोक गीतों के साथ ‘होरी हो ब्रजराज’ का कारवाँ कृष्ण-राधा और ब्रज के हुरियारों के संग अठखेलियाँ करता प्रेम, सद्भाव, अमन, एकता और भाईचारे की सुंदर मिसाल बना। वरिष्ठ संगीतकार संतोष कौशिक और राजू राव ने इन गीतों का संगीत संयोजन किया है। वासंती चहक-महक से गुलज़ार इस प्रस्तुति का लुत्फ़ लेने दर्शकों का हुज़ूम उमड़ पड़ा। करीब डेढ़ घंटे के इस जादुई मंज़र की शुरूआत “चलो सखी जमुना पे मची आज होरी” से होती है। कृष्ण, उनकी प्रिय सखी राधा और गोकुल के ग्वाल-बाल मिलकर रंग-गुलाल के बीच मीठी छेड़छाड़ का उल्लास भरा माहौल तैयार करते हैं।

फागुन की अलमस्ती और उमंगों के गीत

फागुन की अलमस्ती और उमंगों का सिलसिला होली गीतों के साथ आगे बढ़ता है और ताल पर ताल देता “आज मोहे रंग में बोरो री” पर जाकर मिलन और आत्मीयता में सराबोर होता है। द्वापर युग से आज तक चली आ रही परम्परा के गीतों की यह खनक देर तक राजधानी के रसिकों से अठखेलियां करती रही। मिट्टी की सौंधी गंध से महकते गीतों और उन्हें संवारती मीठी-अल्हड़ धुनों के साथ कलाकारों के भावपूर्ण अभिनय ने होरी के इस रूपक को एक रोमांचक अहसास में बदल दिया। होली की दृश्य छवियों पर केन्द्रित चित्र प्रदर्शनी ‘बिम्ब-प्रतिबिम्ब’ भी आकर्षण का केन्द्र रही, इसका आकल्पन छायाकार नीरज रिछारिया ने किया। विश्वरंग सचिवालय, मानविकी एवं उदार कला विभाग, आरएनटीयू तथा स्टुडियो आईसेक्ट की साझा पहल से यह प्रस्तुति तैयार हुई है।

RELATED ARTICLES

Contact Us

Owner Name:

Deepak Birla

Mobile No: 9200444449
Email Id: pradeshlive@gmail.com
Address: Flat No.611, Gharonda Hights, Gopal Nagar, Khajuri Road Bhopal

Most Popular

Recent Comments

Join Whatsapp Group
Join Our Whatsapp Group