Friday, September 27, 2024
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Corona BF.7 : कोरोना से बचना है तो बुस्‍टर डोज जरूरी, नेजल वैक्सीन आसान और अच्‍छा विकल्‍प

क‍िसको दी जा सकती है..? क्‍या है प्राइस..? कहां मिलेगी..?

Corona BF.7 : चीन समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना (Corona) के नए वैरिएंट ने हलचल मचा दी है कई देशों में स्थिति काफी खराब हो गई है। कोरोना के नए वेरिएंट आने के बाद कई देश सुरक्षा को लेकर बड़े कदम उठा रहे हैं। कोरोना के खतरे को देखते हुए भारत भी अलर्ट मोड पर आ गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी गाइडलाइन में लोगों से भीड़भाड़ वाले जगहों पर न जाने की हिदायत दी गई है. मास्क पहनने को कहा गया है. वहीं, यह भी कहा गया है कि अब तक जिन लोगों ने बूस्टर डोज नहीं लगवाया है, वे जल्द से जल्द वैक्सीन लगवा लें. क्या आपने भी अब तक नहीं लगवाया बूस्टर डोज, जो यहां जाने स्लॉट बुक करने का आसान तरीका..

क्या है बूस्टर डोज

‘बूस्टर’ शब्द का मतलब वैक्सीन के बाद दिए जाने वाले टीके से है. हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, बूस्टर डोज वैक्सीन के दोनों डोज के हफ्ते, महीने या सालों बाद भी ले सकते हैं. इससे पहले भी ज्यादातर वयस्कों को खसरा, काली खांसी या मेनिनजाइटिस जैसी बीमारियों में बूस्टर शॉट दिया जाता था. टेटनस के लिए भी हर 10 साल में बूस्टर शॉट्स की सलाह दी जाती है.

बूस्टर डोज कैसे काम करता है

कुछ वैक्सीन ऐसी होती हैं, जिनमें प्राइमरी डोज के बाद बूस्टर शॉट दिया जाता है. प्राइमरी डोज का काम इम्यून सिस्टम को उस वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी को पहचानने और उत्पन्न करने के लिए तैयार करना होता है. बूस्टर डोज शरीर के इम्यून सिस्टम को उस वायरस के खिलाफ और मजबूत बना देता है. बुजुर्गों या कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों के लिए बूस्टर डोज रामबाण हो सकता है.

इस तरह बुक करें बूस्टर डोज का स्लॉट

अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से बूस्टर डोज लगवा सकते हैं. पहले और दूसरे डोज लेने के 6 महीने बाद बूस्टर डोज लगवाया जा सकता है. अगर आपने भी अब तक बूस्टर डोज नहीं लगवाया है तो यहां जानें किस तरह स्लॉट बुक कर यह डोज लगवा सकते हैं..

  1. सबसे पहले को-विन पोर्टल cowin.gov.in में बूस्टर खुराक के लिए आस-पास के स्वास्थ्य केंद्र की तलाश करें.
  2. अब नजदीकी वैक्सिनेशन सेंटर को सर्च करें.
  3. अपने जिले, पिन कोड या मैप के जरिए स्वास्थ्य केंद्र सर्च कर सकते हैं.
  4. रजिस्टर्ड फोन नंबर से भी स्वास्थ्य केंद्र खोज सकते हैं.
  5. अब रजिस्टर्ड फोन नंबर से लॉग इन करें.
  6. होमपेज पर साइन इन बटन पर क्लिक करें.
  7. अब अपना मोबाइल नंबर टाइप करें.
  8. अब आपके नंबर पर एक OTP मिलेगा, जिसे टाइप कर लें.
  9. एक नई विंडो ओपन होगी, उसमें ‘शेड्यूल अपॉइंटमेंट’ बटन पर क्लिक कर दें.
  10. नई विंडो में सुविधा के अनुसार अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं.

नेजल वैक्सीन आसान और अच्‍छा विकल्‍प

हाल ही में केंद्र सरकार ने भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन (Nasal Vaccine) को मंजूरी दे दी है. इस वैक्सीन का नाम iNCOVACC है. बूस्टर डोज के लिए इसकी दो बूंद नाक में डाली जाएगी. आईएमए के सेक्रेटरी अनिल गोयल की ओर से वैक्सीन को लेकर दी गयी जानकारी के मुताबिक नेजल वैक्सीन भी दूसरी वैक्सीन की तरह ही असरदार है. इसका फायदा यह है कि इससे लोग घबराएंगे नहीं. और इसे बिना किसी तकलीफ के मरीज को दिया जा सकेगा.

क‍िसको दी जाएगी नेजल वैक्सीन ,क्‍या है प्राइस, कहां मिलेगी नेजल वैक्सीन ?

कोविन प्लेटफॉर्म cowin.gov.in पर अब ये वैक्सीन भी उपलब्ध होगी. ये वैक्सीन 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को लगाई जाएगी. नाक से दी जाने वाली इस वैक्सीन को बूस्टर डोज पर लगाया जाएगा. नेजल वैक्सीन वर्तमान में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन, सीरम इंस्टीट्यूट के कोविशील्ड और कोवोवैक्स, रूसी स्पुतिनिक वी और बायोलॉजिकल ई लिमिटेड की कॉर्बेवैक्स वैक्सीन कोविन पोर्टल पर लिस्टेड हैं. भारत बायोटेक ने बीते 6 सितंबर को घोषणा की थी कि उसकी दुनिया की पहले इंट्रानेजल COVID-19 वैक्सीन iNCOVACC (BBV154) को डीजीसीआई की ओर 18 वर्ष से ऊपर लोगों के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है.

जानिए कितनी है कीमत

जानकारी के मुताबिक iNCOVACC वैक्सीन की कीमत 800+ 5% GST बताई जा रही है. यह सरकार द्वारा तय की गई कीमत है. वहीं बताया जा रहा है कि निजी अस्पतालों को एक डोज के लिए 150 रुपये का एडमिनिस्ट्रेटिव चार्ज लगाने की भी मंजूरी है। इस प्रकार इस वैक्सीन की एक खुराक की कीमत फिलहाल लगभग 1000 रुपये पड़ेगी।

नेजल वैक्सीन कैसे करती है काम

नेजल स्प्रे वैक्सीन को नाक के जरिए दिया जाता है। यह नाक के अंदरुनी हिस्सों में इम्यून तैयार करती है। अंदरूनी हिस्सों में इम्युनिटी तैयार होने से ऐसे बीमारियों को रोकने में ज्यादा असरदार साबित होती है जो हवा के जरिए फैलती है। नेजल वैक्सीन के एक्सपर्ट का कहना है कि, अन्य वैक्सीनों की तुलना में नेजल वैक्सीन बेहतर और कारगर साबित होगी। इसकी दो खुराक दी जाती है।

कैसे दी जाएगी नेजल वैक्सीन? 

यह वैक्सीन नाक के जरिए स्प्रै करके दी जाती है, मतलब वैक्सीन लेने वाले की बांह पर टीका नहीं लगाया जाता. बूस्टर डोज के तौर पर एक शख्स को नेजल वैक्सीन की 8 बूंद नाक से दी जाएगी. जानकारी के मुताबिक नेजल वैक्सीन के परीक्षण में शामिल लोगों को करीब 28 दिन के अंतराल पर टीके की दोनों खुराक दी गई थी. परीक्षण में ये बात सामने आई की जिन लोगों को नेजल वैक्सीन की डोज दी गई थी उनमें वायरस से लड़ने की इम्यूनिटी विकसित हुई थी.

जनवरी 2023 के अंत तक होगी उपलब्ध

इंट्रानेजल वैक्सीन को पहले कोवाक्सीन या कोविशील्ड के साथ पूरी तरह से टीका लगाए गए लोगों के लिए बूस्टर शॉट के रूप में मंजूरी मिली थी। रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी के अंत तक ये उन लोगों के लिए उपलब्ध होगी जिन्होंने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज ली है।

नाक से दी जाने वाली नेजल वैक्सीन के फायदे

  1. इस वैक्सीन को लगाने में सीरिंज इस्तेमाल की जाएगी, मगर सीरिंज बिना सुई के होगी.
  2. इस टीके को देने के लिए हेल्थवर्करों को खास ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होगी.
  3. 18 साल से अधिक आयु के लोगों और बुजुर्गों को कहीं भी नेजल वैक्सीन की डोज दी सकती है.
  4. सुई का इस्तेमाल न होने से किसी अन्य तरह के संक्रमण की गुंजाइश न के बराबर है.

वैक्सीन लेने के बाद दिख सकते हैं ये साइड इफेक्ट

वैक्सीन लेने के बाद बुखार, सिर दर्द, नाक बहना, छींक आना अनेक जरूरी साइड इफेक्ट देखने को मिल सकते हैं. भारत बॉयोटेक की सलाह है कि जिन लोगों को पहले किसी भी तरह के टीके लगने पर हेल्थ संबंधी तकलीफें महसूस हुई है वे लोग नेजल वैक्सीन की खुराक लेने से पहले अपने डॉक्टर से जरुर संपर्क कर लें.

कम और मध्यम आय वाले देशों के हिसाब से बनाया गया

भारत बायोटेक के मुताबिक, नाक के माध्यम से दिए जाने वाले इस टीके को विशेष रूप से कम और मध्यम आय वाले देशों के हिसाब से डिजाइन और विकसित किया गया है। वैक्सीन को अमेरिका के मिसूरी के सेंट लुइस स्थित वाशिंगटन विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी में विकसित किया गया है। भारत बायोटेक का कहना है कि iNCOVACC आसान भंडारण और वितरण के लिए दो से आठ डिग्री सेल्सियस पर रखी जा सकती है। कंपनी के मुताबिक, वैक्सीन को तीन चरणों के क्लीनिकल ट्रायल से गुजारा गया. वैक्सीन लेने वालों का परीक्षण किया गया और सफल परिणाम आने के बाद उसे खास तौर से नाक में ड्रॉप (बूंद) के जरिये डालने के लिए विकसित किया गया है। बयान के मुताबिक, प्रोडक्ट डेवलपमेंट और क्लीनिकल ट्रायल को आंशिक रूप से भारत सरकार की ओर से वित्त पोषित किया गया था।

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