EWS आरक्षण : सरकारी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की शुरुआत करने वाले संविधान में 103वें संशोधन की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा. CJI यूयू ललित की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। जनवरी 2019 में 103वें संविधान संशोधन के तहत EWS कोटा लागू किया गया था। वहीं, चीफ जस्टिस ललित 8 नवंबर को पद से रिटायर होने वाले हैं सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में शुरू की गई ईडब्ल्यूएस आरक्षण नीति के विभिन्न पहलुओं से संबंधित 40 याचिकाओं को सुनवाई के लिए मंजूर किया है
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को 10% आरक्षण की वैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना शुरू हो गया है। चीफ जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि इस मामले में 4 आदेश पढ़े जाएंगे। सबसे पहले जस्टिस दिनेश महेश्वरी ने फैसला सुनाया है। जस्टिस महेश्वरी ने कहा कि आर्थिक आधार पर आरक्षण सही है। वहीं, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने भी आरक्षण को मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं माना है।
याचिकाओं में EWS आरक्षण को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताते हुए रद्द करने की मांग की गई। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पूछा, क्या EWS आरक्षण देने के लिए संविधान में किया गया संशोधन संविधान की मूल भावना के खिलाफ है? एससी/एसटी वर्ग के लोगों को इससे बाहर रखना क्या संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है क्या? राज्य सरकारों को निजी संस्थानों में एडमिशन के लिए EWS कोटा तय करना संविधान के खिलाफ है क्या?

EWS में संविधान का नहीं हुआ है उल्लंघन: केंद्र
केंद्र सरकार ने कोर्ट में कानून का समर्थन किया। सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि यह कानून गरीबों के लिए आरक्षण का प्रविधान करता है। इस कानून से संविधान के मूल ढांचे को मजबूती मिलेगी। इसे संविधान का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता।
संविधान का उल्लंघन बताकर सुप्रीम कोर्ट में दी गई थी चुनौती
तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी DMK सहित कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इसे चुनौती दी। याचिकाओं में EWS आरक्षण को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताते हुए रद्द करने की मांग की गई। ईडब्ल्यूएस आरक्षण के विरोधियों ने कहा है कि आरक्षण का उद्देश्य लोगों को गरीबी से ऊपर उठाना नहीं है, बल्कि उन लोगों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना है जिन्हें संरचनात्मक असमानताओं के कारण इससे वंचित किया गया था
27 सितंबर को कोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला
बेंच ने मामले की साढ़े छह दिन आरक्षण के पक्ष और विपक्ष की दलीलें सुनने के बाद 27 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि CJI ललित 8 नवंबर यानी मंगलवार को रिटायर हो रहे हैं। रिटायर होने से एक दिन पहले CJI की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले में फैसला सुना सकते हैं। इस पीठ में CJI के अलावा जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, एस रवींद्र भट, बेला एम त्रिवेदी और जेबी पार्डीवाला शामिल हैं।