राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) एक बार फिर से चर्चा में बना हुआ है. NCERT की ओर से लगातार सिलेबस में बदलाव किया जा रहा है. इसी कड़ी में NCERT ने अब 10वीं क्लास की केमिस्ट्री की किताबों से पीरियाडिक टेबल, लोकतंत्र और विविधता, लोकतंत्र की चुनौतियों और राजनीतिक दलों के चैप्टरों को हटाने का निर्णय लिया गया है
इतना ही नहीं इस बदलाव को लेकर NCERT ने अपनी तरफ से एक बयान भी जारी किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि “कोविड-19 महामारी के मद्देनजर छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम करने के लिए कक्षा 10वीं की किताबों से तत्वों, लोकतंत्र, राजनीतिक दलों और लोकतंत्र की चुनौतियों के अध्यायों को हटाया गया है.” NCERT की रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षा नीति पढ़ाई के भार को कम करने और रचनात्मक मानसिकता के साथ सीखने पर जोर देती है.
NCERT की ओर से किताबों से तत्वों के पीरियोडिक क्लासिफिकेशन और चार्ल्स डार्विन के विकास के सिद्धांत के अलावा पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति, सोर्स ऑफ एनर्जी, डेमोक्रेसी, मानव विकास और आनुवंशिकता जैसे विषयों को स्थायी रूप से हटा दिया गया है. हालांकि सिलेबस से इन टॉपिक्स को हटाने की वजह क्लियर नहीं है.
छात्रों को हो सकती है परेशानी
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के इस फैसले से शिक्षक और वैज्ञानिक हैरान हैं. उनका मानना है कि पीरियाडिक टेबल केमिस्ट्री का आधार है. ये तत्वों और उनके गुणों की एक व्यवस्थित समझ प्रदान करती है. 10वीं क्लास के सिलेबस से इसे हटाने के चलते छात्रों को जरूरी केमिस्ट्री प्रिंसिपल्स को समझने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है.
टॉपिक हटाने का नहीं है पहला मामला
ये कोई पहला या दूसरा मामला नहीं है जबकि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने किसी टॉपिक को हटाया हो. लगातार सिलेबस से कई टॉपिक हटाने का कार्य किया जा रहा है. बीते मंगलवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कहा था कि आनंदपुर साहिब संकल्प के संदर्भ में ‘खालिस्तान’ और ‘अलग सिख राष्ट्र’ के संदर्भों को एनसीईआरटी की कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की किताबों से हटा दिया गया है.
केरल सरकार ने एनसीईआरटी (NCERT) द्वारा कक्षा 10 की पाठ्यपुस्तकों से आवर्त सारणी, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान, लोकतंत्र और विविधता और लोकतंत्र की चुनौतियों से संबंधित अध्यायों को हटाए जाने की आलोचना की है। सरकार ने कहा कि यह हमारे देश के लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को चुनौती देने वाला है।