Ram Mandir: अयोध्या में आखिर रामलला विराजमान हो गए। पूरे विधि-विधान के साथ भगवान के बाल रूप की प्राण प्रतिष्ठा हुई। भगवान राम के बाल रूप की मूर्ति को गर्भ गृह में स्थापना के बाद सोमवार को प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई है। रामलला माथे पर तिलक लगाए बेहद सौम्य मुद्रा में दिख रहे हैं। आभूषण और वस्त्रों से सुसज्जित रामलला के चेहरे पर भक्तों का मन मोह लेने वाली मुस्कान दिखाई दे रही है। कानों में कुंडल तो पैरों में कड़े पहने हुए हैं। मूर्ति के नीचे आभामंडल में चारों भाइयों राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की छोटी-छोटी मूर्तियों की पूजा की गई है। पीएम मोदी अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में अपने हाथों में चांदी का एक विशेष थाल लेकर पहुंचे हैं। थाल में लाल कपड़े के ऊपर एक चांदी का छत्र भी पीएम मोदी लेकर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए पहुंचे। आखिर चांदी के छत्र का क्या है धार्मिक महत्व और देव पूजन में इसकी क्या मान्यता है। आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं।
चांदी के छत्र का धार्मिक महत्व
- >> धार्मिक अनुष्ठानों में देवताओं के श्रृंगार और उनका महिमामंडन करने के लिए चांदी का छत्र उन्हें भेट किया जाता है।
- >> प्राचीन समय में राजा महराजाओं के सिंहासन पर चांदी का छत्र लगा रहता था। प्रभु राम रघुवंशी हैं और उन्होंने अयोध्या का राजपाट संभाला था, इसलिए वह राजा के रूप में वंदनीय हैं इस कारण उनको सम्मान देने के प्रतीक के तौर पर चांदी का छत्र अर्पित किया जाता है।
- >> धार्मिक मान्यता के अनुसार चांदी का छत्र सत्ता का सूचक है। राजा को क्षत्रपति की उपाधि देने के लिए चांदी के छत्र का प्रयोग किया जाता है और देवताओं के लिए यह चांदी का छत्र उनके आभामंडल का प्रतीक होता है।
- >> हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को क्षीरसागर में शयन करते हुए दर्शाया जाता है। उनके सिर के ऊपर शेष नाग छत्र के रूप में रहते हैं। मां लक्ष्मी की प्रतिमा में हाथी अपनी सूंड से जल वर्षा करते दर्शाए जाते हैं। यह छत्र हिंदू धर्म में देवी देवताओं की दिव्य शक्ति को संबोधित करता है। इसलिए भगवान राम के हर मंदिर में उनके विग्रह के ऊपर लगा छत्र उनकी महिमा को दर्शाता है।
- >> चांदी का यह छत्र भगवान राम के रघुकुल वंश को भी संबोधित करता है। रामलला के विग्रह में चांदी का छत्र उनकी आभामंडल और कीर्ति को भी दर्शाता है।