Saturday, July 27, 2024
Homeदेशसिर्फ एक रात में हुआ था इस मंदिर का निर्माण, रातों रात...

सिर्फ एक रात में हुआ था इस मंदिर का निर्माण, रातों रात बदल गई थी सूर्य मंदिर के मुख्य द्वार की दिशा

बिहार में औरंगाबाद का एकमात्र सूर्य मंदिर है। इस मंदिर की विशेष बात यह है कि यह मंदिर केवल एक रात में तैयार कर दिया गया था। ऐसी मान्यता है कि औरंगाबाद के इस एकमात्र सूर्य मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान विश्वकमा ने अपने हाथों से किया था। इस मंदिर की मुख्य बात यह है कि यह अस्ताचल गामी सूर्य मंदिर है। सामान्यत: सभी मंदिरों के द्वारा सूर्योदय की दिशा में खुलते है लेकिन यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसकी द्वार सूर्यअस्त की दिशा यानि पश्चिमी की ओर खुलते हैैं। भगवान विश्वकर्मा से जुड़े देश कई मंदिर हैैं जैसे कि दिल्ली महाभारत कालीन भगवान विश्कर्मा मंदिर- भगवान विश्कर्मा का सबसे पुराना मंदिर दिल्ली में है। कहा जाता है कि देवलोक के वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा ने महाभारत काल के सबसे प्राचीन नगर इंद्रप्रस्थ का निर्माण किया था। पांडवों ने खांडव वन पर इंद्रपस्थ नामक नगर की स्थापना की थी। यह नगर पांडवों की राजधानी रहा और अब वर्तमान में दिल्ली के नाम से विख्यात है जो भारत की राजधानी है। वास्तु और शिल्प के देवता भगवान विश्वकर्मा की जयती इस साल 16 सितंबर 2024, सोमवार को मनाई जाएगी। हालांकि देश के कुछ स्थानों में साल में दो बार विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। इस लिहाज से आज, 22 फरवरी 2024 को भी कुछ लोग विश्कर्मा जयंती मना रहे हैं। हर साल कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाती है। इस मौके पर भगवान विश्वकर्मा की और कारखानों के यंत्रों, मशीनों व औजारों की पूजा की जाती है। भगवान विश्वकर्मा की विधिवत पूजा करने के बाद लोग प्रसाद बांटते हैं। माना जाता है कि विश्वकर्मा जयंती पर विधि विधान से पूजा करने से व्यापार में तरक्की मिलती है और निर्माण कार्य में विघ्न-बाधाएं कम होती हैं। इस विशेष दिन कारीगरों, बढ़ई, शिल्पकारों, मशीनरी, लोहार, औप श्रमिक विश्वकर्मा जयंती पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments