कुड़कानार/ कभी केवल एक पुराने इमली के पेड़ के लिए पहचाने जाने वाला कुड़कानार का यह माध्यमिक शाला परिसर आज हरियाली से आच्छादित एक सुंदर गार्डन जैसा नजर आता है। शाला के प्रधान अध्यापक धीरेन्द्र यादव की मेहनत और संकल्प का ही परिणाम है कि आज यहां सैकड़ों फलदार, छायादार, औषधीय और फूलदार पौधे लहलहा रहे हैं।
धीरेन्द्र यादव ने वर्ष 2009 में जब प्रधान अध्यापक के रूप में शाला में पदभार संभाला, उस समय परिसर में केवल एक इमली का पेड़ था। बाउंड्रीवॉल न होने से लगाए गए पौधे सुरक्षित नहीं रह पाते थे। उन्होंने बाउंड्रीवॉल निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेजा, जिसे स्वीकृति मिलने के बाद शाला परिसर में व्यवस्थित पौधरोपण शुरू किया गया।
‘जब आठ घंटे शाला में बिताने हैं, तो क्यों न हरियाली में बिताएं’
धीरेन्द्र यादव कहते हैं, ’’जब दिन का अधिकांश समय स्कूल में ही बिताना है तो क्यों न इसे हराभरा बनाया जाए।’’ इसी सोच के साथ उन्होंने कृषि महाविद्यालय कुहरावंड, आसना नर्सरी और बाजार से विभिन्न पौधे लाकर शाला में रोपित करना शुरू किया। आज उनकी यह पहल न केवल पर्यावरण के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि बच्चों के लिए भी एक जीवंत सीख है।
हर वर्ष शिक्षकों के साथ मिलकर बच्चों ने भी पौधे लगाए और उनका संरक्षण करते रहे। धीरे-धीरे ये पौधे बड़े होकर अब वृक्षों का रूप ले चुके हैं। वर्तमान में शाला परिसर में 50 से अधिक प्रजातियों के 100 से अधिक पेड़-पौधे हैं। गर्मी के मौसम में ये पेड़ शीतल छाया प्रदान करते हैं, जिससे विद्यार्थियों को प्राकृतिक ठंडक का अहसास होता है।
पौधों की प्रजातियों में छायादार पौधे कदंब, गुलमोहर, अकेशिया, अशोक, नीम और फलदार पौधों में आम, इमली, आंवला, कटहल, नींबू, अमरूद, जामुन, बेर, नारियल, बादाम, औषधीय पौधे कनेर, तुलसी, करी पत्ता, तेजपत्ता, कॉफी के अलावा गुलाब, गुड़हल, गेंदे, गुलमोहर के पौधे लगाए गए हैं।