भोपाल। चीते मध्यप्रदेश के गौरव हैं, उन्हें बाहर नहीं भेजेंगे। चीता संरक्षण (Cheetah Conservation) और प्रबंधन में लगे वन विभाग के कर्मचारियों को नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका सीखने के लिए भेजा जाएगा। यह बातें कंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री ने चीता संरक्षण को लेकर आयोजित बैठक में कही हैं। बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए हैं। भोपाल स्थित मुख्यमंत्री आवास में चीतों के संरक्षण को लेकर बैठक हुई।
इसमें केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र सिंह, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, वन मंत्री डॉ. विजय शाह और मध्य प्रदेश सरकार के अधिकारी शामिल हुए। केंद्रीय मंत्री यादव ने कहा है कि चीता परियोजना के अंतर्गत चीता संरक्षण एवं प्रबंधन में संलग्न अधिकारी और कर्मचारियों को नामीबिया/ दक्षिण अफ्रीका अध्ययन प्रवास के लिए चयनित कर भेजा जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा चीतों की सुरक्षा, संरक्षण, संवर्धन और प्रस्तावित चीता प्रोटेक्शन फोर्स के लिए केंद्र सरकार की ओर से वित्तीय संसाधन सहित हर संभव सहयोग दिया जाएगा।
चीता प्रबंधन पर जताया संतोष
केंद्रीय वन मंत्री ने प्रदेश में चीतों के रखरखाव पर संतोष जताया। यादव ने कहा कि चीता परियोजना से संबंधित प्रमाणिक जानकारी जनता को मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीतों की देखभाल करने वाला स्टॉफ परिश्रमी है। परियोजना निश्चित ही सफल होगी।
चीता स्टेट होना प्रतिष्ठा की बात : शिवराज
मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने कहा कि मध्य प्रदेश चीता स्टेट है। यह प्रतिष्ठा की बात है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि चीतों के लिए वैकल्पिक रहवास के लिए गांधी सागर अभयारण्य में आवश्यक व्यवस्थाएं युद्ध स्तर पर पूर्ण करवाएं। बैठक में परियोजना से पर्यटन विकास की गतिविधियों पर भी चर्चा हुई। वन मंत्री डॉ. शाह ने चीता की मॉनिटरिंग में तैनात कर्मचारियों को सुरक्षा की दृष्टि से आधुनिक वाहन भी उपलब्ध करवाने का सुझाव दिया। बैठक में प्रारंभ में ही चीता शावकों के जन्म के सर्वाइवल रेट की जानकारी दी गई। जिसमें सर्वाइवल रेट कम होने की बात कही गई। सीएम ने कहा कि राज्य सरकार चीता परियोजना की सफलता के लिए प्रतिबद्ध है।