Friday, February 7, 2025
Homeराज्‍यमध्यप्रदेशडी-लिस्टिंग गर्जना रैली में उमड़ा जनसैलाब, पारंपरिक वेषभूषा में पहुंचे जनजातीय समाज...

डी-लिस्टिंग गर्जना रैली में उमड़ा जनसैलाब, पारंपरिक वेषभूषा में पहुंचे जनजातीय समाज के लोग

भोपाल  ।   जो लोग जनजाति समाज की संस्कृति और पूजा-पद्धति से अलग हो गए हों, उन्हें नौकरियों व छात्रवृत्तियों में आरक्षण और शासकीय अनुदान का लाभ नहीं देने और ऐसे लोगों की डी-लिस्टिंग की मांग को लेकर जनजातीय समुदाय आज भोपाल के भेल दशहरा मैदान में डी-लिस्टिंग गर्जना रैली कर रहा है। इसका आयोजन जनजाति सुरक्षा मंच की ओर से किया जा रहा है। इस रैली के लिए शुक्रवार सुबह से ही प्रदेश के विभिन्‍न हिस्‍सों से जनजातीय समाज के लोगों का भोपाल पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। सुबह 11 बजे तक हजारों लोगों की भीड़ भेल दशहरा मैदान पर एकत्र हो चुकी थी। कार्यक्रम में बड़ी संख्‍या में जनजातीय समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा में भी पहुंचे। इनमें महिलाओं की तादाद भी काफी है। कार्यक्रम शुरू होने से पूर्व आदिवासी लोक कलाकारों द्वारा मंच पर सांस्‍कृतिक कार्यक्रम पेश किए जा रहे हैं। मंच के क्षेत्र संयोजक कालू सिंह मुजाल्दा ने बताया कि यह रैली जनजातीय समुदाय की भावनाओं का प्रकटीकरण है। हमारी मांगें पूरी होने तक अभियान जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप जनजाति की पात्रता के लिए विशिष्ट प्रकार की संस्कृति व पूजा-पद्धति अनिवार्य रूप से सुनिश्चित की गई है। यदि कोई इसे त्यागकर दूसरी पूजा पद्धति और संस्कृति को मानता है तो वह जनजाति के लिए सुनिश्चित लाभ का अधिकारी नहीं रह जाता है। बावजूद इसके नौकरियों, छात्रवृत्तियों एवं शासकीय अनुदान देने के मामले में संविधान की भावनाओं को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। मंच के प्रांतीय संयोजक कैलाश निनामा ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 342 में मतांतरित लोगों को जनजातीय आरक्षण के लाभ से बाहर करने के लिए देश की संसद अब तक न तो कानून बना पाई है और न ही अब तक इसमें संशोधन के लिए प्रस्ताव पर ही विचार किया है। जबकि, यह मसौदा 1970 के दशक से संसद में ही विचाराधीन है। निनामा ने डी-लिस्टिंग के पीछे वजह स्पष्ट करते हुए बताया कि मतांतरण के बाद जनजाति का सदस्य भारतीय क्रिश्चियन कहलाता है। इसके बाद कानूनन वह अल्पसंख्यक की श्रेणी में आ जाता है। चूंकि संविधान के अनुच्छेद 341 व 342 में कोई स्पष्ट प्रविधान नहीं है, इसलिए मतांतरित लोग दोहरी सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। रैली के संयोजक सौभाग्य सिंह मुजाल्दा ने बताया कि मंच लंबे समय से जागरूकता अभियान चला रहा है। 2000 की जनगणना और डा. जेके बजाज के अध्ययन से सामने आए तथ्यों को सामने रखते हुए 2009 में राष्ट्रपति को 28 लाख पोस्टकार्ड लिखे और सौंपे गए। इसके बाद 2020 में 448 जिलों के जिलाधीशों व संभागीय आयुक्तों के साथ ही राज्यों के राज्यपाल व मुख्यमंत्रियों से मिलकर राष्ट्रपति महोदय को ज्ञापन भेजकर डी-लिस्टिंग का अनुरोध किया जा चुका है।

RELATED ARTICLES

Contact Us

Owner Name:

Deepak Birla

Mobile No: 9200444449
Email Id: pradeshlive@gmail.com
Address: Flat No.611, Gharonda Hights, Gopal Nagar, Khajuri Road Bhopal

Most Popular

Recent Comments

Join Whatsapp Group
Join Our Whatsapp Group