भिण्ड : मध्य प्रदेश के भिंड जिले के गोरमी तहसील का जलविहार मेला ग्वालियर-चंबल संभाग का एक मात्र ऐसा मेला है। इस मेले की खासियत यह है कि एक दिन मेले की बागडोर महिलाओं के हाथ में रहती है। मेले में दुकानदार और खरीदार महिलाएं ही रहती हैं। इस दिन मेले में पुरुषों का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित रहता है। इतना ही नहीं प्रवेश द्वार से लेकर मेले में सुरक्षा व्यवस्था बनाने के लिए महिला पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई जाती है। इस दिन मेले में महिलाएं घूंघट की ओट से पूरी तरह आजाद नजर आती हैं। इस मेले के आयोजन को लेकर महिलाओं को काफी इंतजार रहता है। भिंड जिले का यह मेला केवल महिलाओं के लिए ही आयोजित होता है। इस मेले में पुरुषों के प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंध रहता है।
मेले का आयोजन पांच दिन तक
भिंड जिले के गोरमी में बड़ी जग्गा कालिया मर्दन (श्रीकृष्ण) भगवान का मंदिर है। 182 साल पहले फूल डोल ग्यारस पर्व पर जलविहार मेले का आयोजन किया जाता है। मेले की शुरुआत मंदिर के महंत स्वर्गीय केशवदास महाराज के द्वारा की गई थी, मेले का आयोजन पांच दिन तक रखा जाता है। इस पांच दिन वाले मेले में दो दिन पुरुषों की इंट्री पर बैन रहती है। इन दो दिन में केवल महिलाएं ही खरीददारी करने आती है पुरुष की एंट्री नही रहती। मेला 5 दिन तक भरा जाता है जिसमे दो दिन महिलाओं का होता है। 3 दिन का पुरुषों का रहती है मेले में शरारती लोग महिलाओं पर शरारत न करें इसलिए ये व्यवस्था पुराने लोगो ने रखी है।
मिलती है घूंघट से मुक्ति
गोरमी तहसील का जलविहार मेला ग्वालियर-चंबल संभाग का एक मात्र ऐसा मेला है।जहां मेले में एक दिन पूरी व्यवस्थाएं महिलाएं ही संभालती हैं। इस दिन मेले में महिलाएं घूंघट की ओट से पूरी तरह आजाद नजर आती हैं। इस मेले के आयोजन को लेकर महिलाओं को काफी इंतजार रहता है।