Monday, December 23, 2024
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कमजोर मिलिंग से बिगड़ी प्रदेश की खाद्यान्न वितरण व्यवस्था

भोपाल ।  विगत गेहूं खरीदी में उक्रेन-रूस युद्ध के कारण बड़े पैमाने पर गेहूं का निर्यात होने से बाजार में कीमतें अच्छी होने से किसानों ने निजी सेक्टर में बिकवाली ज्यादा की थी। इस कारण सरकारी गोदामों में गेहूं का भंडारण अपेक्षा से काफी कम हुआ था। लिहाजा गेहूं की पर्याप्त उपलब्धता नहीं होने से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में इस बार चावल की आपूर्ति ज्यादा की जा रही है। ऐसे में इस बार धान खरीदी के साथ ही मिलिंग पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है ताकि समय पर मिलिंग की जाकर राशन दुकानों में चावल की सप्लाई समय पर की जा सके। लेकिन राज्य स्तर पर की गई समीक्षा में पाया गया कि मिलिंग की गति काफी धीमी है। अगर यही स्थिति रही तो फरवरी माह में खाद्यान्न आवंटन की व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। इन हालातों को देखते हुए प्रबंध संचालक नागरिक आपूर्ति निगम ने धान उत्पादक जिलों के कलेक्टरों को अपने जिले में मिलिंग की गति बढ़ाने कहा है।
सीधे खरीदी केन्द्र से दे रहे धान
चावल की उपलब्धता राशन दुकानों में समय पर हो सके इसे देखते हुए धान की मिलिंग नीति में बड़ा परिवर्तन शासन ने किया है। इस बार खरीदी केन्द्रों से सीधे मिलिंग के लिए धान दी जा रही है। इसके पीछे की वजह यह बताई जा रही है कि पहले खरीदी केन्द्र से वेयर हाउस में धान जाती थी फिर वेयर हाउस से मिलिंग के लिये धान दी जाती थी। इसमें काफी समय लगता था। लिहाजा इस समय को बचाने के लिये सीधे खरीदी केन्द्र से धान मिलर को देने का निर्णय लिया गया। लेकिन इसके बाद भी मिलिंग की गति काफी धीमे होने से चावल की अपेक्षित मात्रा उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
यह है स्थिति
जनवरी के पहले सप्ताह में धान मिलिंग की राज्य स्तर पर की गई समीक्षा में पाया गया है कि प्रदेश मे जनवरी माह में सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं में 181357 टन चावल का वितरण किया जाना है। इसके विरुद्ध प्रदेश में मात्र 70858 टन चावल उपलब्ध है। अगर इसकी पूर्ति 15 जनवरी तक नहीं होती है तो राशन वितरण व्यवस्था बिगड़ सकती है। नान के प्रबंध संचालक तरुण कुमार पिथोड़े ने स्पष्ट कहा है कि मिलिंग की गति धीमी होने से प्रदेश के अन्य आवश्यकता वाले जिलों में चावल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। जनवरी माह के आवंटन के विरुद्ध हितग्राहियों को चावल वितरण में कठिनाई होने लगी है।
चावल उत्पादक जिलों पर मिलिंग का जोर
प्रदेश में सतना रीवा मंडला कटनी सिवनी नर्मदापुरम बालाघाट और जबलपुर प्रमुख धान उत्पादक जिले हैं। इन जिलों में होने वाली मिलिंग से संबंधित जिलों के हितग्राहियों को चावल वितरण के साथ ही प्रदेश के अन्य जिलों के हितग्राहियों के लिये अंतर जिला परिवहन किया जाना है। लेकिन इस माह के पहले सप्ताह हुई समीक्षा में मिलिंग की स्थिति काफी कमजोर रही। सतना जिले में मिलिंग का प्रतिशत 7 फीसदी रीवा में 5 फीसदी मंडला में 9 फीसदी कटनी में 2 फीसदी सिवनी मे 6 फीसदी नर्मदापुरम में 1 फीसदी बालाघाट में 3 फीसदी और जबलपुर में 2 फीसदी ही मिलिंग हो सकी है। इन आठों जिलों में 571387 टन का अनुबंध मिलिंग के लिये हुआ था। जिसके विरुद्ध मिलिंग के लिये 103261 टन धान दी गई थी। इसमें से महज 34738 टन चावल जमा हो सका है।
यह है सतना की स्थिति
समीक्षा के दौरान सतना में उपार्जित धान की मात्रा 409914 टन थी। इसमें से मिलिंग के लिये अनुबंध 71532 टन का हुआ था। मिलिंग के लिये मिलर्स को 29475 टन धान दी गई। जिसके विरुद्ध मिलिंग का प्रतिशत 7 फीसदी रहा। इसमें चावल की जमा मात्रा 9924 टन रही। मिलर्स से 9825 टन की प्राप्ति शेष है तो मिलिंग के लिये शेष धान की मात्रा 380439 टन है।

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