शहडोल: मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में दगना कुप्रथा आज भी जारी है। इस तरह के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। एक बार फिर निमोनिया के इलाज के नाम पर मासूम बच्चों को गर्म सलाखों से दागने का मामला सामने आया है। जिला मुख्यालय में ही ऐसी घटना सामने आई है। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही आई सामने। मासूम को शहडोल रेफर किया गया है। बालक एसएनसीयू में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है। प्रशासन के तमाम दावों की पोल खोलती एक तस्वीर सामने आई है, जिले में दागना प्रथा बंद होने का नाम नहीं ले रही है। लगातार जिला प्रशासन इस पर ग्रामीण अंचलों में लोगों को जागरूक करने के कई दावे जरूर करता है, लेकिन तमाम दावे कागजों तक ही सीमित रह गए हैं।
स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल
मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी अब सवाल खड़े होने लगे हैं। डेढ़ माह के मासूम को सांस लेने और पेट फूलने की समस्या हुई, तो परिजनों ने अंधविश्वास के फेर में उसे 51 बार गर्म सलाखों से दगवा दिया। शिशु के पेट, सिर, माथा, पैर और कंधे में सलाखों से दागा गया है। बालक की हालत बिगड़ी, तब परिजन इलाज के लिए उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे, जहां गंभीर हालत को देखते हुए उसे मेडिकल कॉलेज, शहडोल रेफर कर दिया गया। बालक एसएनसीयू में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है।
अंधविश्वास का सहारा
हरदी निवासी प्रेमलाल बैगा के डेढ़ माह के बेटे प्रदीप को गर्म सलाखों से दागा गया। मासूम प्रदीप बैगा को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। नजदीकी अस्पताल में इलाज की कोई सुविधा न मिलने पर परिजनों ने अंधविश्वास का सहारा लिया और मासूम को राहत पहुंचाने के लिए उसके पेट, सिर, माथा, पैर और कंधे को गर्म सलाखों से दगवा दिया। हरदी गांव में सीएचओ एवम एएनएम की पदस्थापना है, लेकिन सही समय पर मासूम की मॉनिटरिंग न होने की वजह से उसे दिक्कत बढ़ी तो परिजनों ने उसे दागवा दिया, जिसकी वजह से अब उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।