Friday, February 7, 2025
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फरवरी के पहले सप्ताह में होगी बड़ी प्रशासनिक सर्जरी

भोपाल । मप्र में आईएएस अधिकारियों के बड़े तबादले की एक और सूची बनकर तैयार है। संभावना जताई जा रही है कि फरवरी के पहले सप्ताह में कभी भी यह सूची जारी हो सकती है। इस बार की सूची में मैदानी अफसरों के साथ ही मंत्रालय में भी बड़े स्तर पर सर्जरी होगी। बताया जा रहा है कि कई विभागों के प्रमुख सचिव और अपर मुख्य सचिव बदले जाएंगे। मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि कुछ जिलों के कलेक्टर बदलने का निर्णय राजनीतिक वजह से नहीं हो पाया है, जिनमें ग्वालियर-चंबल संभाग के ही 4 जिले शामिल हैं। इसी तरह महाकोशल एवं इंदौर संभाग के भी दो जिले बताए जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के जापान से लौटने के बाद आईएएस अधिकारियों की यह सूची जारी की जाएगी। इस सूची में आधा दर्जन जिलों के जिलाधीश समेत सचिव एवं प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी प्रभावित हो सकते हैं। गृह, लोक निर्माण विभाग को नए प्रमुख सचिव मिल सकते हैं, वहीं कुछ विभागाध्यक्ष एवं एक या दो संभागायुक्त भी बदले जा सकते हैं। इस संभावित तबादला सूची का फैसला मुख्यमंत्री के विदेश यात्रा से लौटने से पहले या फिर तत्काल बाद में हो सकता है। सूची में जो अधिकारी प्रभावित होंगे, उनके नामों पर पूर्व में मंथन हो चुका है। जिनमें से सरकार ने 4 दिन पहले ही 42 अधिकारियों के तबादला आदेश जारी किए थे। गौरतलब है अभी हाल ही में जो बड़ी प्रशासनिक सर्जरी हुई है उसमें अधिकारियों की परफॉर्मेंस को महत्व दिया गया है। उप सचिव से लेकर सचिव स्तर के आईएएस अफसरों के थोकबंद तबादलों के बाद मप्र सरकार जल्द एक और प्रशासनिक सर्जरी करेगी। इस प्रशासनिक फेरबदल में अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों की नई पदस्थापना की जाएगी। सीएम सचिवालय के अधिकारियों का कहना है कि अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों की नई पदस्थापना को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन के बीच प्रारंभिक दौर की चर्चा हो चुकी है। सीएम डॉ. यादव के जापान दौरे से लौटने के बाद फरवरी के पहले सप्ताह में आईएएस की ट्रांसफर लिस्ट जारी हो सकती है।

नीति के बाद भी थोक तबादले नहीं
प्रदेश सरकार के मंत्रियों की विशेष मांग पर विशेष तबादला नीति प्रभावी हो गई है। नीति के तहत विशेष परिस्थितियों में ही मंत्रियों को तबादले के अधिकार दिए गए हैं। यानी तबादला नीति आने के बाद भी थोक तबादलों पर प्रतिबंध रहेगा। मंत्री मनमर्जी से तबादला नहीं कर सकेंगे। वहीं, तबादला नीति नहीं आने की वजह से सामान्य प्रशासन विभाग के कर्मचारियों के 3 साल बाद एक स्थान से तबादला किए जाने की नीति का पालन नहीं हो पा रहा है, क्योंकि पिछले साढ़े तीन साल से तबादलों पर रोक लगी हुई है। गौरतलब है कि नई तबादला नीति भी 3 साल से अधिक समय से जमे कर्मचारियों का तबादला करने का अधिकार नहीं देती। इससे कर्मचारियों को झटका लगा है, क्योंकि नई नीति के तहत विशेष परिस्थितियों में तबादले हो सकेंगे। ऐसे में सामान्य तबादलों के लिए सिफारिशों का सहारा लेना ही पड़ेगा। विशेष परिस्थितियों के लिए लागू की गई तबादला नीति से शासकीय सेवकों को फायदा नहीं है। ऐसे में नई नीति आने तक उन्हें इंतजार करना होगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पिछली बार तबादलों से प्रतिबंध जून 2021 में हटाया गया था। तब 15 जुलाई से 31 जुलाई 2021 तक सिर्फ 15 दिनों के लिए तबादलों से प्रतिबंध हटाया गया था। वशेष तबादला नीति को लेकर मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कैंसर, लकवा, हार्ट अटैक और अन्य गंभीर बीमारियों व विशेष परिस्थितियों में तबादलों के प्रकरण मुख्यमंत्री समन्वय में आते हैं। जबकि इनका निराकरण मंत्री के अनुमोदन से सचिव स्तर पर हो सकता है। विशेष तबादला नीति के जरिए विशेष परिस्थितियों में तबादला आदेश जारी करने के अधिकारी विभाग को ही सौंप दिए हैं।

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