जंगल में ट्री हाउस की रहस्यमयी गतिविधियां, युवक-युवतियों पर ग्रामीणों को शक

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देवास : शुक्रवासा के घने जंगलों में पिछले कुछ वर्षों से रह रहे HOWL नामक संगठन से जुड़े युवक-युवतियों की गतिविधियां अब पुलिस और प्रशासन की जांच के घेरे में आ गई हैं। ग्रामीणों की शिकायत के बाद मंगलवार को देवास पुलिस बल और राजस्व विभाग की टीम मौके पर पहुंची और इन युवाओं से पूछताछ की गई।

टपरीनुमा ढांचों में युवक-युवतियां रह रहे

जंगल के भीतर बने टपरीनुमा ढांचों में करीब 8 से 10 युवक-युवतियां रह रहे हैं। जांच के दौरान टीम को मौके पर तीन से चार पार्टिशन वाली टपरियां मिलीं, जिनमें रह रहे लोगों की पहचान की जा रही है। पूछताछ में एक युवक सौरभ बनर्जी सामने आया, जो मूलतः पश्चिम बंगाल का निवासी है। उसके साथ चार अन्य युवाओं के नाम भी सामने आए हैं। वहीं, जो युवतियां यहां मौजूद थीं, वे इंदौर की रहने वाली है।

इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज भी मिले

पुलिस को इनके पास से कुछ इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज भी मिले हैं। अब यह पड़ताल की जा रही है कि ये उपकरण किन गतिविधियों में इस्तेमाल हो रहे थे। इसके अलावा, यह भी सवाल खड़ा हो रहा है कि इन युवाओं को आर्थिक सहायता कहां से मिल रही है और वे जंगल जैसे एकांत और आदिवासी क्षेत्र में क्यों रह रहे हैं।

बाहरी लोगों की आवाजाही रहती

ग्रामीणों का आरोप है कि इन युवाओं की गतिविधियां संदिग्ध हैं और उनके यहां अक्सर बाहरी लोगों की आवाजाही रहती है। इससे ग्रामीणों में आशंका है कि ये लोग कहीं धर्म परिवर्तन जैसी गतिविधियों में तो लिप्त नहीं हैं। इसी आधार पर पुलिस अब धर्मांतरण के दृष्टिकोण से भी जांच कर रही है। थाना प्रभारी अजय गुर्जर ने नवभारत टाइम्स.कॉम को बताया कि प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि HOWL नामक यह समूह युवाओं को अपने साथ जोड़ता है, फिर कथित रूप से उनका माइंड वॉश कर उन्हें परिवार से दूर कर देता है। चार लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं और अन्य संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है।

नहीं उठा रहा है कोई नंबर

रिपोर्ट्स के अनुसार, HOWL ग्रुप के सोशल मीडिया पर दिए गए संपर्क नंबर पर जब हमारे संवाददाता ने कॉल किया तो वह नंबर बंद मिला।
फिलहाल पुलिस इस बात की जांच में जुटी है कि संगठन के पीछे कौन लोग हैं, फंडिंग का स्रोत क्या है और इनका असली उद्देश्य क्या है। कथित तौर पर इस संगठन के ऊपर धर्मांतरण के भी आरोप लग रहे हैं।