भोपाल। उच्च शिक्षा विभाग के विश्वविद्यालयों और काॅलेज में स्टाफ की कमी बरकार है। हालात यह है कि एक भी विश्वविद्यालय में नियमित रजिस्ट्रार नहीं हैं। प्रदेश के 13 विश्वविद्यालयों में से एकमात्र अंतिम नियमित रजिस्ट्रार 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो गए। अब सभी विवि में डिप्टी रजिस्ट्रार को रजिस्ट्रार का प्रभार देकर काम चलाया जा रहा है। वहीं 500 कॉलेजों में प्राचार्य नहीं हैं। सभी पदों पर प्रभारियों को नियुक्त किया गया है। राजधानी के एक दर्जन कॉलेजों में एक भी प्राचार्य नहीं हैं। प्रदेश में कई कॉलेज ऐसे हैं, जिनमें एक या दो ही नियमित प्रोफेसर बचे हैं। ये कॉलेज अतिथि विद्वानों के भरोसे चल रहे हैं। बता दें कि प्रदेश में विभाग के 13 विश्वविद्यालय और 536 कॉलेज हैं।
खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा
जानकारों की माने तो इसकी वजह यूजीसी के भर्ती नियम 1990 में संशोधन न हो पाना है। परिणामस्वरूप 2011 के बाद से प्रोफेसरों की पदोन्नतियां नहीं हुईं। इस वजह से प्रदेश के 293 पुराने कॉलेज और 2011 के बाद खुले नए कॉलेजों में भी प्राचार्य नहीं हैं। जानकारों की माने तो विवि और कॉलेजों में रजिस्ट्रार और प्राचार्य का प्रभार होने के कारण अधिकारी समय पर निर्णय नहीं ले पाते हैं। नतीजतन विवि में प्रशासनिक तंत्र कमजोर हो रहा है और कॉलेजों में पढ़ाई का स्तर गिर रहा है। इसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है।