सागर पंचायत उपचुनाव होंगे पूरी तरह पेपरलेस, राज्य निर्वाचन आयोग ने विकसित किया विशेष सॉफ्टवेयर

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सागर: मध्‍य प्रदेश राज्‍य निर्वाचन आयोग ने ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिसकी मदद से सागर में होने जा रहे पंचायत उपचुनाव पूरी तरह से पेपरलेस होंगे. पंचायत उपचुनाव में डॉक्यूमेंटेशन का काम लैपटॉप पर होगा. दरअसल राज्य निर्वाचन आयोग के मुताबिक इंटीग्रेटेड पोलिंग बूथ मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए मतदान प्रक्रिया पेपरलेस होगी. मतदाता की पहचान डिजिटल तरीके से होगी. डैशबोर्ड के जरिए वोटर टर्नआउट और पोलिंग परसेंटेज की जानकारी मिलेगी.

इस नई प्रणाली का उपयोग सागर में होने जा रहे पंचायत उपचुनाव में पहली बार किया जाएगा. आयोग का कहना है कि इस व्यवस्था के लागू होने से पूरी मतदान प्रक्रिया में समय और संसाधनों की बचत होगी. साथ ही पेपरलेस प्रक्रिया के कारण पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकेगा.

राज्य निर्वाचन आयोग का इंटीग्रेटेड पोलिंग बूथ मेनेजमेंट सिस्टम

मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग के कमिश्नर मनोज श्रीवास्तव ने बताया "इंटीग्रेटेड पोलिंग बूथ मैनेजमेंट सिस्टम के तहत वोटर्स प्रजेन्स, अटेंडेन्स वेरिफिकेशन सिस्टम के द्वारा मतदाता की डिजिटल पहचान की जाएगी. इसके अलावा लाइव डैशबोर्ड के जरिए वोटर टर्नआउट और पोलिंग परसेंटेज की ताजा जानकारी मिलेगी. चुनाव प्रक्रिया में डिजिटल टूल्स का उपयोग कर जनता और चुनावकर्मियों को समय पर अपडेट जानकारी दी जाएंगी."

 

 

उन्होंने आगे कहा "फिलहाल पंचायत के उपचुनावों में इस सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाएगा. भविष्य में इसी व्यवस्था से त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में इसे लागू कर दिया जाएगा. इस व्यवस्था का उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया में लगने वाले समय और संसाधनों की बचत करना है. इस प्रक्रिया से जनता को घंटों कतार में नहीं लगना पड़ेगा. वहीं मतदान कर्मियों को भी प्रक्रिया में कम समय लगेगा."

पर्यावरण नुकसान और चुनाव खर्च होगा कम

आयुक्त मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर के उपयोग से पर्यावरण नुकसान, चुनाव प्रक्रिया में समय की बचत, चुनाव सामग्री के परिवहन की कम लागत और पेपर सिस्टम में लगने वाली सामग्री की जरूरत कम से कम पड़ेगी. इससे चुनाव प्रक्रिया में होने वाला खर्च तो कम होगा ही, मतदान के बाद मतगणना भी जल्द हो सकेगी. पूरी मतदान प्रक्रिया में लगने वाले कर्मचारियों की संख्या कम होगी.

उन्होंने बताया कि मतदाता पहचान में होने वाले विवाद कम होंगे. डिजिटल प्रक्रिया के कारण गलती या गड़बड़ी की गुंजाइश ना के बराबर होगी. इलेक्ट्रॉनिक वोटर आइडेंटिफिकेशन, रियलटाईम वोटर टर्नआउट और ऑटोमेटेड डाटा शेयरिंग से पारदर्शिता रहेगी.