भोपाल । चुनावी साल में मालवा-निमाड़ में सत्ता, संगठन और संघ की हलचलें बढ़ गई हैं। हाल ही में इंदौर में हुई संघ की समन्वय बैठक में खासकर निमाड़ को लेकर संघ ने अपने फीडबैक में कमजोर स्थिति की तरफ इशारा किया है। पिछले चुनाव में खरगोन जिले की एक भी सीट भाजपा नहीं जीत पाई थी। पांच सालों में मालवा-निमाड़ में नया नेतृत्व नहीं उभरा और भाजपा की जमीनी पकड़ कमजोर हुई है। ऐसे में अब संघ यहां नेतृत्व तैयार करने में मददगार साबित हो रहा है। उसके पसंदीदा लोगों की नियुक्तियां की जा रही हैं।
आदिवासी युवाओं को बीच अपनी पैठ जमा रहे डॉ. निशांत खरे को संघ के दखल के बाद सरकार ने मप्र युवा आयोग का अध्यक्ष बनाकर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है। उनसे पहले धार लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके संघ की पसंद रहे हर्ष चौहान को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था। इससे पूर्व निमाड़ में नया आदिवासी नेतृत्व देने के लिए भाजपा सुमेर सिंह सोलंकी को राज्यसभा में भेज चुकी है। प्रदेश की कुल 230 सीटों में से मालवा-निमाड़ में 66 सीटे हैं। मालवा-निमाड़ में आदिवासी वोटबैंक का प्रतिशत ज्यादा है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहीं से 35 सीटों की बढ़त के साथ भाजपा से सत्ता की चाबी छिनी थी। मालवा-निमाड़ की 66 सीटों में से 22 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। उनमें से 16 सीटें कांग्रेस ने जीत ली थी।
मप्र के किंगमेकर मालवा-निमाड़ पर संघ का फोकस
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